दिल्ली एनसीआर में गर्मी के साथ प्रदूषण ने भी बरपाया ‘कहर’, हवा में ओजोन का स्तर कई गुना बढ़ा
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में ओजोन गैस का स्तर कई गुणा बढ़ गया है। सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट) ने ओजोन को लेकर अपना विश्लेषण जारी किया है। दिल्ली-एनसीआर के बाद 6 बड़े शहरों की बात करें तो मुंबई दूसरे नंबर पर है। इसके बाद कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नै और बैंगलुरू का नंबर आता है। सीएसई की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रायचौधरी के अनुसार ओजोन ने समस्या बढ़ा दी है। अगर इस पर अभी से काम नहीं हुआ, तो आने वाले समय में यह गैस स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकती है। सीएसई के प्रिंसिपल प्रोग्राम मैनेजर विवेक चटोपाध्याय के अनुसार जैसे ही पीएम-10 और 2.5 का स्तर कम होने लगता है, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन गैस बढ़ने लगती है।
विश्लेषण की खास बातें
इस साल गर्मी की शुरुआत के साथ ही ओजोन की समस्या भी मार्च में शुरू हो गई थी और अप्रैल में यह काफी खराब हो गई। मार्च और अप्रैल में दिल्ली-एनसीआर की 16 जगहों पर इसका स्तर पिछले साल की तुलना में 33 प्रतिशत तक अधिक रहा। 2020 के लॉकडाउन की तुलना में यह 23 प्रतिशत अधिक रहा। हालांकि पिछले साल एक दिन में औसत यह 4.6 घंटे तय मानकों से अधिक रहा था, लेकिन इस साल इसमें थोड़ी कमी आई और यह एक दिन में औसत 4.4 घंटे तय मानकों से अधिक रहा।
दिल्ली हवा जहरीली हो रही!
साउथ दिल्ली के कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में मार्च और अप्रैल के दौरान 85 दिन ओजोन का स्तर तय मानकों से अधिक रहा। इसके बाद जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, आरके पुरम, नेहरू नगर ओजोन से सबसे अधिक प्रभावित रहे। एनसीआर में ग्रेटर नोएडा के बाद फरीदाबाद में ओजोन का हॉट स्पॉट रहा। इतना ही नहीं, पूर्वी और मध्य दिल्ली में ओजोन के स्तर में सबसे अधिक इजाफा हुआ। पटपड़गंज में यह पिछले तीन सालों में सबसे अधिक 68 दिन तय मानक से अधिक रहा। इसके बाद इस क्रम में नोएडा सेक्टर-116, मंदिर मार्ग और प्रेजिडेंट इस्टेट का नंबर आता है। जबकि सीरीफोर्ट और बवाना में इसके स्तर में सबसे बड़ी कमी आई है। इसके बाद गुरुग्राम सेक्टर-51, द्वारका सेक्टर-8, नजफगढ़ का नंबर आता है।
रात में भी ओजोन का स्तर रहा अधिक
आमतौर पर ओजोन गैस सूर्यास्त के साथ कम हो जाती है, लेकिन इस गर्मी कुछ जगहों पर रात में भी इसका स्तर अधिक रहा। दिल्ली में ऐसी 7 जगह हैं, जहां इसका स्तर रात के समय भी 28 दिन तय मानकों से अधिक दर्ज किया गया। रात 10 से सुबह 2 बजे तक का यह आकलन है। इसकी सबसे अधिक मात्रा मुंडका, लोनी, वसुंधरा (गाजियाबाद) और नॉलेज पार्क-3 में रही। जनवरी में भी कुछ जगहों पर ओजोन का स्तर तय मानकों से अधिक दर्ज किया गया है। इस गर्मी में सिर्फ ओजोन प्रदूषण गंभीर स्तर पर नहीं रहा। बल्कि 2020 की गर्मियों की तुलना में एनओ-2 का स्तर 61 प्रतिशत और पीएम 2.5 का स्तर 76 प्रतिशत तक अधिक रहा।
क्या किया जाना चाहिए
ओजोन को कंट्रोल करने के लिए अभी से काम करने की जरूरत है। इसके लिए गाड़ियों, इंडस्ट्री, पावर प्लंट और खुले में कूड़ा जलाने की घटनाओं को काबू करना होगा। प्रदूषण की पॉलिसी में पीएम-10 और पीएम 2.5 के साथ ओजोन के लिए भी नियम होने चाहिए। नैशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में भी ओजोन को कंट्रोल करने के नियम शामिल हो।
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विश्लेषण की खास बातें
इस साल गर्मी की शुरुआत के साथ ही ओजोन की समस्या भी मार्च में शुरू हो गई थी और अप्रैल में यह काफी खराब हो गई। मार्च और अप्रैल में दिल्ली-एनसीआर की 16 जगहों पर इसका स्तर पिछले साल की तुलना में 33 प्रतिशत तक अधिक रहा। 2020 के लॉकडाउन की तुलना में यह 23 प्रतिशत अधिक रहा। हालांकि पिछले साल एक दिन में औसत यह 4.6 घंटे तय मानकों से अधिक रहा था, लेकिन इस साल इसमें थोड़ी कमी आई और यह एक दिन में औसत 4.4 घंटे तय मानकों से अधिक रहा।
दिल्ली हवा जहरीली हो रही!
साउथ दिल्ली के कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में मार्च और अप्रैल के दौरान 85 दिन ओजोन का स्तर तय मानकों से अधिक रहा। इसके बाद जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, आरके पुरम, नेहरू नगर ओजोन से सबसे अधिक प्रभावित रहे। एनसीआर में ग्रेटर नोएडा के बाद फरीदाबाद में ओजोन का हॉट स्पॉट रहा। इतना ही नहीं, पूर्वी और मध्य दिल्ली में ओजोन के स्तर में सबसे अधिक इजाफा हुआ। पटपड़गंज में यह पिछले तीन सालों में सबसे अधिक 68 दिन तय मानक से अधिक रहा। इसके बाद इस क्रम में नोएडा सेक्टर-116, मंदिर मार्ग और प्रेजिडेंट इस्टेट का नंबर आता है। जबकि सीरीफोर्ट और बवाना में इसके स्तर में सबसे बड़ी कमी आई है। इसके बाद गुरुग्राम सेक्टर-51, द्वारका सेक्टर-8, नजफगढ़ का नंबर आता है।
रात में भी ओजोन का स्तर रहा अधिक
आमतौर पर ओजोन गैस सूर्यास्त के साथ कम हो जाती है, लेकिन इस गर्मी कुछ जगहों पर रात में भी इसका स्तर अधिक रहा। दिल्ली में ऐसी 7 जगह हैं, जहां इसका स्तर रात के समय भी 28 दिन तय मानकों से अधिक दर्ज किया गया। रात 10 से सुबह 2 बजे तक का यह आकलन है। इसकी सबसे अधिक मात्रा मुंडका, लोनी, वसुंधरा (गाजियाबाद) और नॉलेज पार्क-3 में रही। जनवरी में भी कुछ जगहों पर ओजोन का स्तर तय मानकों से अधिक दर्ज किया गया है। इस गर्मी में सिर्फ ओजोन प्रदूषण गंभीर स्तर पर नहीं रहा। बल्कि 2020 की गर्मियों की तुलना में एनओ-2 का स्तर 61 प्रतिशत और पीएम 2.5 का स्तर 76 प्रतिशत तक अधिक रहा।
क्या किया जाना चाहिए
ओजोन को कंट्रोल करने के लिए अभी से काम करने की जरूरत है। इसके लिए गाड़ियों, इंडस्ट्री, पावर प्लंट और खुले में कूड़ा जलाने की घटनाओं को काबू करना होगा। प्रदूषण की पॉलिसी में पीएम-10 और पीएम 2.5 के साथ ओजोन के लिए भी नियम होने चाहिए। नैशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में भी ओजोन को कंट्रोल करने के नियम शामिल हो।