आवेदन खूब पहुंचते हैं, लेकिन बैंक से स्वीकृति में देरी | Applications reach a lot, but delay in approval from the bank | Patrika News

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आवेदन खूब पहुंचते हैं, लेकिन बैंक से स्वीकृति में देरी | Applications reach a lot, but delay in approval from the bank | Patrika News


 

पीएमईजीपी की स्थिति
– 145 प्रकरणों का लक्ष्य
– 340 प्रकरण बैंक भेजे।
– 73 मामलों में स्वीकृति।
– 64 में मार्जिन मनी वितरित।

जबलपुर। स्वरोजगार के साथ दूसरों को रोजगार देने वाली प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) योजना के प्रकरण बैंकों तक पहुंचते जरूर हैं। लेकिन, जबलपुर में ऋ ण की स्वीकृति जल्द नहीं मिलती। ऐसे में चाहकर भी नए उद्योग और व्यापार स्थापित नहीं हो पाते। जिले को इस योजना के तहत करीब 145 प्रकरणों का भौतिक लक्ष्य मिला है, इसके विपरीत बैंकों को 340 से प्रकरण भेजे गए। लेकिन, ऋण की स्वीकृति 73 में मिली। वितरण केवल 64 प्रकरणों में हुआ।
एकमात्र योजना का संचालन
जिले में प्रदेश शासन की कोई भी स्वरोजगार योजना अभी नहीं चल थी। ऐसे में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना ही नए उद्यमी एवं व्यवसाय स्थापित करने वालों के लिए बड़ा सहारा है। इसमें भी जितने प्रकरण बैंकों को पहुंचते हैं, सभी को इसका लाभ नहीं मिलता या लाभ मिलने में देरी होती है। ऐसे में इन क्षेत्रों में कदम रखने वाले युवा हतोत्साहित होते हैं।
जिला उद्योग केंद्र टॉप पर
यह योजना मूलरूप से खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) की है। दो अन्य विभाग खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड (केवीआइसीबी) और जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र (डीटीआइसी) भी इसका संचालन करती है। अभी सिर्फ डीटीआइसी की स्थिति बेहतर है। उसने निर्धारित 58 लक्ष्यों के विरुद्ध 271 प्रकरण बैंकों को भेजे। इसमें 59 को स्वीकृति मिली है। 44 में मार्जिन मनी का वितरण हो गया। केवीआइसीबी ने 44 लक्ष्यों के एवज में 67 प्रकरण भेजे। इनमें 14 स्वीकृत हुए, 10 में मार्जिन मनी है। केवीआइसी ने 43 लक्ष्यों में चार प्रकरण ही बैंकों को भेजे हैं। स्वीकृति एक भी प्रकरण में नहीं मिली। पुराने 11 प्रकरणों में मार्जिन मनी मिली है।
यह है योजना की खासियत
पीएमईजीपी योजना उन युवाओं के लिए फायदेमंद है, जो पूंजी के अभाव में अपना उद्योग एवं व्यवसाय स्थापित नहीं कर पाते। इस योजना में 10 लाख से 25 लाख रुपए तक का लोन मिल जाता है। इसमें अलग-अलग वर्गों के लोगों को 15 से 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलती है। इसकी खासियत है कि इसमें स्वरोजगार स्थापना के साथ ही दूसरों को रोजगार देना जरूरी होता है।
जिले को मिली तीसरी रैंक
इस योजना के क्रियान्वयन में जिले को तीसरी रैंकिंग मिली है। पड़ोसी जिला नरसिंहपुर पहले नम्बर पर है। इंदौर जिला दूसरा नम्बर हासिल करने में कामयाब हुआ है। जिला उद्योग केंद्र ने 101 प्रतिशत उपलबब्धि हासिल की। खादी बोर्ड महज 27 और खादी आयोग 69 प्रतिशत उपलब्धि हासिल कर पाया। उसमें भी 11 प्रकरण पिछले वित्तीय वर्ष के हैं।

इन क्षेत्रों में मिलता है ऋण
– कोल्ड स्टोरेज
– कृषि आधारित खाद्य उद्योग
– हाथ कागज उद्योग
– रेशा उद्योग
– वन आधारित उद्योग
– रसायन एवं बहुलक आधारित उद्योग
– रेडीमेड गारमेंट
– खनिज आधारित उद्योग
– जैव प्रौद्योगिकी व ग्रामीण यांत्रिकी उद्योग
– फूड प्रोसेसिंग
आवेदन के लिए जरूरी
– मूल निवास प्रमाण पत्र
– आवेदक का आधार कार्ड
– पहचान सम्बंधित प्रमाण पत्र
– जन्मतिथि का प्रमाण पत्र
– बैंक की पासबुक
– परियोजना रिपोर्ट
– उद्योग का प्रकार
– व्यवसाय का प्रकार
– पासपोर्ट साइज फोटो
– पंजीकृत मोबाइल नम्बर

बैंकों में काफी संख्या में प्रकरण आते हैं। उनमें स्वीकृति भी मिल जाती है। लेकिन, परियोजना के लिए ऋण के वितरण के लिए कुछ औपचारिकताओं को पूरा करना होता है, उन्हें इसकी जानकारी दी जाती है। कई बार हितग्राही इसमें देरी करते हैं। ऐसे में प्रकरण लम्बित रहता है।
एसके सिन्हा, लीड बैंक मैनेजर

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