इस वजह से टूट गए थे Shammi Kapoor, इन दो शख्स के कारण हुए थे धार्मिक

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नई दिल्ली: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) की पुण्यतिथि पर उनके चाहने वालों के लिए ये जानकारी काफी दिलचस्प होगी. एक समय शम्मी कपूर न केवल पर्दे पर रोमांटिक किस्म के दिखते थे, बल्कि असल जीवन में भी वो वैसे ही थे. एक बार तो वह एक लड़की को देर रात मुंबई की सडकों पर अपनी कार से घुमा रहे थे. तभी उनकी कार किसी डिवाइडर में घुस गई, फिर उन्हें इस बात की चिंता नहीं थी कि कार को ठीक करना है, बल्कि खबरों से बचने के लिए लड़की को उसके घर पहुंचाने में वो जुट गए. वहीं, शम्मी कपूर एक दिन एक बाबा की पसंद की लड़की से उन्हीं के आश्रम में पूरे कपूर खानदान को ले जाकर अपने बेटे की शादी कर देते हैं. उस दौर में वो गले में बडी-बड़ी मालाओं को डाले दिखते थे. जीवन के उत्तरार्ध में उनमें ये बदलाव एक बाबा और अपनी बीवी के चलते आया था.

दरअसल, पहली पत्नी गीता बाली की चेचक से मौत ने उन्हें तोड़ दिया था. बड़ी मुश्किल से वो नीला देवी से दूसरी शादी करने को राजी हुए. नीला देवी ने भी गीता के बच्चों को ही अपना लिया. कभी अपने बच्चे के लिए दवाब नहीं बनाया, लेकिन गीता की मौत के बाद उनको तनाव में सिगरेट फूंकने की गंदी आदत लग गई थी. वो एक दिन में सौ-सौ सिगरेट पी जाते थे. इसी के चलते बाद में उनके फेफड़ों ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया. इधर पत्नी के चलते उनका धार्मिक झुकाव भी बढ़ने लगा था.

उनकी मुलाकातें उत्तरांखड के हैदा खान वाले युवा बाबा से लगातार होने लगी थीं. शम्मी कपूर आध्यात्मिक हो चले थे. बाबा से आध्यात्मिक चर्चाएं करते थे. अपने से दशकों छोटे बाबा को उन्होंने गुरु मान लिया था. वो अक्सर उनके आश्रम मे जाकर रहने लगे थे. तमाम भोग विलासिता से दूर, कई-कई दिन रुकने के बाद वहां से आते थे. उनको इसमें सुकून मिलने लगा था. अपने बेटे के लिए लड़की ढूंढने के काम में भी उन्होंने बाबा से ही राय ली. आश्रम में ही बाबा ने शम्मी कपूर को एक संस्कारी लड़की से मिलाया.

शम्मी कपूर को लड़की पसंद आई और ये बड़ी हैरत की बात है कि बाबा के आश्रम में कई दिन तक पूरा कपूर खानदान रुका और वहीं बेटे की शादी की गई. आखिरी दिनों में शम्मी कपूर को एक और बात में आनंद आने लगा था. उनको इंटरनेट का भी शौक लग गया था. उन्होंने इंटरनेट क्लब बना डाले. उस दौर में जब कोई इंटरनेट के बारे में नहीं जानता था, तब उन्होंने वेबसाइट बना डाली. 1995 में उन्होंने इंटरनेट यूजर्स क्लब ऑफ इंडिया बनाया. कई साल वो उसके प्रेसीडेंट भी रहे. उस जमाने में वो काफी महंगी फीस पर विदेश से इंटरनेट कनेक्शन लेकर आए थे, लेकिन उनके फेफड़ों ने जवाब दे दिया था, हफ्ते में 3 दिन डायलेसिस पर हॉस्पिटल में रहना और 4 दिन दोस्तों और परिवार के साथ गुजारना. 

बाद में उनके घर मे ही एक छोटा सा हॉस्पिटल रूम बना दिया गया. एक नर्स और फिजियोथेरेपिस्ट की ड्यूटी वहां लगा दी गई. सारे उपरकरण जुटा दिए गए. 2011 की बात है, उनकी बेटी का जन्मदिन 8 अगस्त को होता था, लेकिन उसने वीकेंड पर 6 अगस्त को एक रेस्तरां मे पार्टी रखी थी. वो वहां सभी से मिले, लेकिन अगले दिन सुबह उनकी तबीयत खराब होने लगी. फौरन ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ले जाने की व्यवस्था की गई. जब भी शम्मी कपूर घर से बाहर निकलते थे तो हनुमान चालीसा जरूर पढ़ते थे, लेकिन उस दिन वो पढ़ने की स्थिति में नहीं थे. उनकी पत्नी नीला देवी ने पढ़ा और फिर वो कभी घर वापस नहीं आए. 14 अगस्त को ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में वो सुबह सुबह इस दनियां को अलविदा कह गए.

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