उपकर पर दावे हजार, शिक्षा का नहीं हुआ उद्धार | Thousands of claims on cess, education has not been saved | Patrika News

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उपकर पर दावे हजार, शिक्षा का नहीं हुआ उद्धार | Thousands of claims on cess, education has not been saved | Patrika News


गोविंद ठाकरे, जबलपुर. विकास के पिछड़ेपन के लिए अकसर पैसे की कमी को जिम्मेदार माना जाता है। लेकिन, फंड पर्याप्त होने के बावजूद जरूरत के लिहाज से खर्च नहीं किया जाए, तो इसे क्या कहेंगे? निश्चित ही यह तंत्र की बड़ी गफलत है। यह विडंबनापूर्ण स्थिति निकाय स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए वसूले जाने वाले शिक्षा उपकर की है। जबलपुर नगर निगम को हर साल करोड़ों रुपए शिक्षा उपकर के तौर पर मिल रहे हैं, लेकिन पांच साल में स्कूलों की दुर्दशा दूर करने और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में इसका धेला भी खर्च नहीं किया गया है। कटनी और नरसिंहपुर जिलों का भी यही हाल है।
समेकित करों के अंतर्गत जबलपुर नगर निगम में शामिल नए 55 गांवों को छोडक़र पहले के सभी 70 वार्डों मे प्रति घर सम्पत्ति कर की दो प्रतिशत राशि शिक्षा उपकर के रूप में ली जाती है। निगम में साल दर साल शिक्षा उपकर की निर्धारित राशि में बढ़ोतरी की गई। पांच साल पहले यह नौ से दस करोड़ रुपए होती थी, जो अब बढक़र तीस करोड़ रुपए सालाना हो गई है। कटनी और नरसिंहपुर में भी यह राशि लाखों में वसूली गई। लेकिन, यह मोटी रकम बिना उपयोग के बैंकों में पड़ी है।
आरटीआई कार्यकर्ता मनीष शर्मा की ओर से सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त सूचना के मुताबिक जबलपुर नगर निगम ने पांच साल पहले (2016) तक 15 साल में 48 करोड़ रुपए वसूले थे। उस समय तक इस राशि का कोई उपयोग नहीं हो रहा था। तब थोड़े वक्त के लिए यह मुद्दा गरमाया। परिणाम हुआ कि 28 करोड़ रुपए गुलौआ व चेरीताल स्कूल के उन्नयन और कुछ स्कूलों को अपडेट करने पर खर्च किए गए। लेकिन बाद में वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति बन गई। शिक्षा उपकर के प्रावधानों के मुताबिक यह राशि स्कूल में सुविधाओं पर खर्च की जा सकती है। लेकिन प्रशासन शासन ने इस राशि से सरकारी स्कूलों के बिजली और पानी के बिल भरने तक के आदेश जारी किए। इसका सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध किया।
स्कूलों में यह है हाल
स्कूल भवन खस्ताहाल हैं। कहीं नियमित शिक्षकों व कमरों की कमी है, तो कहीं फर्नीचर और रखरखाव का अभाव है। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ की यह तस्वीर अमूमन अंचल के अन्य निकायों में भी एक जैसी है।
जबलपुर में शिक्षा उपकर की वसूली
2020-21 : 20 करोड़ 13 लाख
2019-20 : 18 करोड़ 20 लाख
2018-19 : 14 करोड़ 11 लाख
2017-18 : 13 करोड़ 35 लाख
2016-17 : 12 करोड़ 02 लाख
2015-16 : 9 करोड़ 58 लाख
कटनी में एजुकेशन सेस की वसूली
2019-20 : 16 लाख 14 हजार
2018-19 : 87 लाख 57 हजार
2017-18 : 84 लाख 68 हजार
2016-17 : 93 लाख 88 हजार
2015-16 : 93 लाख 48 हजार
2014-15 : 97 लाख 54 हजार
वर्जन
नगरवासियों से जिन भी मदों में कर लिया जाता है, उसका उपयोग उन्हीं मदों में नगरवासियों के हित में हो, ऐसी कोशिश है। इस दिशा में कार्य योजना बनाकर काम किया जाएगा। शिक्षा उपकर की राशि का उपयोग शिक्षण संस्थानों के उन्नयन व बेहतर शिक्षा सुविधाओं के विकास के लिए करेंगे।
संदीप जीआर, आयुक्त, नगर निगम, जबलपुर
वर्जन
शिक्षा उपकर की समीक्षा करेंगे। ये भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इस मद में जमा राशि का उपयोग नगर में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए किया जाए।
बी चंद्रशेखर, संभागायुक्त व प्रशासक, नगर निगम, जबलपुर

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