कोरोना के बाद ‘महंगाई काल’ पेट्रोल—डीजल की बढ़ी कीमतें दीपावली पर करेंगी ‘अपनों’ से दूर

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कोरोना के बाद ‘महंगाई काल’ पेट्रोल—डीजल की बढ़ी कीमतें दीपावली पर करेंगी ‘अपनों’ से दूर

महंगे पेट्रोल के कारण अपनी कार से त्योहार पर गांव या दूसरे शहरों में जाना हुआ महंगा
सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्थाएं भी नाकाफी
रोडवेज बसों की संख्या कम,प्राइवेट बस संचालक किराए में कर देते हैं दो से तीन गुना बढ़ोतरी
अब लोग बोले—फोन पर कर लेंगे बात,घर पर ही मनाएंगी त्योहार

जयपुर।
दीपावली पर इस बार गांव जाना मुश्किल होगा। क्योंकि महंगे पेट्रोल के कारण शहर में ही कार चलाना मुश्किल हो गया है। यहीं रह कर त्योहार मना लेंगे और फोन पर गांव में सभी से बात कर लेंगे। शहर में रह किसी एक व्यक्ति की यह परेशानी नहीं है बल्कि इस बार अधिकांश लोगों की है। क्योंकि पेट्रोल इतना महंगा हो गया है कि अपनी कार से गांव जाना इस बार मुश्किल होगा। अब लोग दीपावली पर पेट्रोल—डीजल के मोटे खर्च से बचने के लिए अपने गांव या दूसरे शहरों में जाने के बजाय घर पर ही रह कर त्योहार मनाने की योजना बना रहे हैं। उधर सरकार भी महंगे पेट्रोल और डीजल के दौर में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने को लेकर आंख मूंद कर बैठी है।

22 महीने में पेट्रोल 36 रुपए और डीजल 33 रुपए तक महंगा
कोरोना से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतें थमी हुई थी। जनवरी से विदेशों में कोरोना के मामले आने लगे तो पेट्रोल—डीजल की कीमतों में भी तेजी आने लगी। 1 जनवरी 2020 को पेट्रोल 79 रुपए 05 पैसे प्रति लीटर था। अब 20 महीने बाद 36 रुपए की बढ़ोतरी के बाद अब अक्टूबर 2021 में 114 रुपए 84 पैसे हो गया है। यही हाल डीजल का भी रहा। डीजल 73 रुपए 10 पैसे प्रति लीटर था जो 33 रुपए की बढ़ोतरी के बाद अब 106 रुपए 14 पैसे हो गया है।

मोटर साइकिल—कार से गांव या दूसरे शहर जाने में मोटा खर्चा
दीपावली के त्योहार की तैयारियों में जुटे लोगों का कहना है कि अब शहर में ही मोटर साइकिल और कार चलाना महंगा हो गया है। ऐसे में दीपावली पर 100 से 200 किलोमीटर दूर गांव जाकर अपनों के साथ त्योहार मनाने पर खर्चा दुगना हो जाएगा।

महंगे पेट्रोल—डीजल के खर्च का गणित—टंकी फुल कराने का खर्च बढ़ा 1 हजार से ज्यादा
जनवरी 2020 में कार की टंकी फुल कराने पर 2373 रुपए देने होते थे। वहीं अब कार की टंकी फुल कराने में 3445 रुपए का खर्चा आ रहा है। यानि अब 1 हजार रुपए ज्यादा का खर्च बढ़ गया है। इसी तरह से डीजल कार में टंकी फुल कराने पर 2193 रुपए खर्च होते थे वहीं अब 3184 यहां भी 1 हजार रुपए का अतिरिक्त खर्चा बढ़ गया है।

सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्थाएं नाकाफी
लोग पेट्रोल—डीजल के मोटे खर्च को बचाने के लिए रोडवेज और प्राइवेट बसों से अपने गांव या दूसरे शहर जाने की योजना बनाते हैं। लेकिन सार्वनिक परिवहन की नाकाफी व्यवस्थाओं को देख वे अपने कदम पीछे खींच लेते हैं। प्राइवेट बस संचालक किराए में दो से तीन गुना बढ़ोतरी कर देते हैं।



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