कोरोना से पिता गए, नौकरी छूटी, हिम्मत जुटा काम शुरू किया और अब… दिल्ली में इस युवक के लिए पूरा मोहल्ला रो रहा
हाइलाइट्स
- हादसे से 10 मिनट पहले ही मां से फोन पर हुई थी बात, कहा था-थोड़ी देर में पहुंच जाउंगा
- सलिल ने होटल मैनेजर की नौकरी छूटने के बाद फूड डिलीवरी कंपनी में शुरू किया था काम
- पोस्टमार्टम के बाद रविवार को मिला शव, परिवार अंतिम संस्कार के लिए बॉडी लेकर गांव गया
नई दिल्ली
दिल्ली के रोहिणी इलाके में शनिवार देर रात नशे में धुत तेज रफ्तार कार चला रहे दिल्ली पुलिसकर्मी ने युवक को टक्कर मार दी। इससे युवक की मौत हो गई। मृतक की पहचान सलिल त्रिपाठी के तौर पर हुई है। बुध विहार में रहने वाले त्रिपाठी परिवार पर पिछले एक साल के दौरान ही दुखों के इतने बड़े पहाड़ टूट गए कि आज उनके पड़ोसी ही नहीं, बल्कि पूरा मोहल्ला गमगीन है।
9 महीने के भीतर दोस्त भी गया और उनका बेटा भी
38 साल के सलिल त्रिपाठी को अपनी आंखों के सामने बड़ा होते देख चुके उनके पड़ोसी कमलेश गुप्ता के लिए यह यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है कि महज 9 महीने के अंदर उनके मित्र और पड़ोसी जंगबहादुर त्रिपाठी और उनके बेटे सलिल त्रिपाठी, दोनों इस दुनिया से चले गए। मास्टर जी ने बताया कि शनिवार की रात को हादसे से 10 मिनट पहले ही सलिल ने अपनी पत्नी ममता को फोन करके बताया था कि वह घर के पास ही है और थोड़ी देर में घर आ रहा है, मगर फिर वह नहीं लौटा और कुछ देर बाद पता चला कि सड़क हादसे में उसकी जान चल गई है। हम लोगों के लिए यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा था।
यूपी के आंबेडकर नगर के रहने वाले
इलाके के लोगों के लिए त्रिपाठी परिवार कोई नया और अनजाना परिवार नहीं था, बल्कि यहां आसपास के तमाम लोग इस परिवार के सदस्यों को अच्छी तरह जानते थे। मूल रूप से यूपी के आंबेडकर नगर जिले के कमालपुर गांव के रहने वाले जंगबहादुर त्रिपाठी चार दशक पहले दिल्ली आए थे। उन्होंने इसी इलाके में एक छोटी सी फैक्ट्री खोली थी, जहां डिब्बों के ऊपर कंपनी या ब्रैंड के नाम की छपाई का काम होता था।
10 साल का बेटा और पत्नी बेसहारा
जंगबहादुर के छोटे भाई श्याम बहादुर त्रिपाठी एयरफोर्स से रिटायर हुए हैं। दोनों भाई अपने पूरे परिवार के साथ बुध विहार के बुध विहार फेज-2 की श्याम कॉलोनी की गली नंबर 16 के एक मकान में रहते थे। जंगबहादुर का बड़ा बेटा मनोज गांव में खेती करता है और वहीं अपनी पत्नी के साथ रहता है। उसका बेटा गोलू यहां दिल्ली में रहता है और पढ़ाई करता है। छोटे बेटे सलिल का विवाह बनारस की रहने वाली ममता के साथ हुआ था। इनका 10 साल का एक बेटा दिव्यांश भी है, जो इसी इलाके के एक प्राइवेट स्कूल में तीसरी क्लास में पढ़ता है।
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नामी होटल में करते थे मैनेजर की नौकरी
कमलेश कहते हैं कि भरे पूरे परिवार को अचानक न जाने किसकी नजर लग गई। पिछले साल फरवरी में पहले हार्ट की बीमारी के चलते पहले सलिल की चाची का निधन हो गया। उसके बाद मई में कोविड की चपेट में आए सलिल के पिता भी चल बसे। ऐसे में घर की जिम्मेदारी सलिल के कंधों पर आ गई। सलिल पहले नई दिल्ली के एक नामी होटल में मैनेजर की नौकरी करते थे, लेकिन कोरोना की पिछली लहर ने पिता के साथ-साथ उनकी नौकरी भी उनसे छीन ली।
नौकरी छूटने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत
नौकरी छूटने के बाद भी सलिल ने हिम्मत नहीं हारी। वह लगातार कोई न कोई काम तलाशते रहे और इन परिस्थितियों से उबरने की कोशिश करते रहे। किसी मित्र की सलाह पर तीन-चार महीने पहले ही उन्होंने फूड डिलिवरी का काम शुरू किया था। साथ में वह कोई अच्छा जॉब भी तलाश रहे थे, लेकिन होटल-रेस्टोरेंट्स के बार-बार बंद होने के कारण उन्हें मनचाहा जॉब अभी नहीं मिल पा रहा था।
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हादसे की सूचना के बाद घर में मातम
कमलेश ने बताया कि शनिवार रात जब सड़क हादसे में सलिल की मौत हो गई, उस वक्त उनके चाचा अपने भाई की मृत्यु के बाद उनके परिवार में होने वाले किसी रीति-रिवाज को पूरा करने गांव गए हुए थे। घर पर केवल सलिल की मां कल्याणी, पत्नी ममता, बेटा दिव्यांश और कजिन आदि ही थे। हादसे की सूचना मिलते ही पूरे घर में फिर से मातम छा गया। रविवार की सुबह पोस्टमॉर्टम के बाद जब लाश मिली, तो पूरा परिवार अंतिम संस्कार के लिए बॉडी लेकर गांव चला गया।
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हाइलाइट्स
- हादसे से 10 मिनट पहले ही मां से फोन पर हुई थी बात, कहा था-थोड़ी देर में पहुंच जाउंगा
- सलिल ने होटल मैनेजर की नौकरी छूटने के बाद फूड डिलीवरी कंपनी में शुरू किया था काम
- पोस्टमार्टम के बाद रविवार को मिला शव, परिवार अंतिम संस्कार के लिए बॉडी लेकर गांव गया
दिल्ली के रोहिणी इलाके में शनिवार देर रात नशे में धुत तेज रफ्तार कार चला रहे दिल्ली पुलिसकर्मी ने युवक को टक्कर मार दी। इससे युवक की मौत हो गई। मृतक की पहचान सलिल त्रिपाठी के तौर पर हुई है। बुध विहार में रहने वाले त्रिपाठी परिवार पर पिछले एक साल के दौरान ही दुखों के इतने बड़े पहाड़ टूट गए कि आज उनके पड़ोसी ही नहीं, बल्कि पूरा मोहल्ला गमगीन है।
9 महीने के भीतर दोस्त भी गया और उनका बेटा भी
38 साल के सलिल त्रिपाठी को अपनी आंखों के सामने बड़ा होते देख चुके उनके पड़ोसी कमलेश गुप्ता के लिए यह यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है कि महज 9 महीने के अंदर उनके मित्र और पड़ोसी जंगबहादुर त्रिपाठी और उनके बेटे सलिल त्रिपाठी, दोनों इस दुनिया से चले गए। मास्टर जी ने बताया कि शनिवार की रात को हादसे से 10 मिनट पहले ही सलिल ने अपनी पत्नी ममता को फोन करके बताया था कि वह घर के पास ही है और थोड़ी देर में घर आ रहा है, मगर फिर वह नहीं लौटा और कुछ देर बाद पता चला कि सड़क हादसे में उसकी जान चल गई है। हम लोगों के लिए यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा था।
यूपी के आंबेडकर नगर के रहने वाले
इलाके के लोगों के लिए त्रिपाठी परिवार कोई नया और अनजाना परिवार नहीं था, बल्कि यहां आसपास के तमाम लोग इस परिवार के सदस्यों को अच्छी तरह जानते थे। मूल रूप से यूपी के आंबेडकर नगर जिले के कमालपुर गांव के रहने वाले जंगबहादुर त्रिपाठी चार दशक पहले दिल्ली आए थे। उन्होंने इसी इलाके में एक छोटी सी फैक्ट्री खोली थी, जहां डिब्बों के ऊपर कंपनी या ब्रैंड के नाम की छपाई का काम होता था।
10 साल का बेटा और पत्नी बेसहारा
जंगबहादुर के छोटे भाई श्याम बहादुर त्रिपाठी एयरफोर्स से रिटायर हुए हैं। दोनों भाई अपने पूरे परिवार के साथ बुध विहार के बुध विहार फेज-2 की श्याम कॉलोनी की गली नंबर 16 के एक मकान में रहते थे। जंगबहादुर का बड़ा बेटा मनोज गांव में खेती करता है और वहीं अपनी पत्नी के साथ रहता है। उसका बेटा गोलू यहां दिल्ली में रहता है और पढ़ाई करता है। छोटे बेटे सलिल का विवाह बनारस की रहने वाली ममता के साथ हुआ था। इनका 10 साल का एक बेटा दिव्यांश भी है, जो इसी इलाके के एक प्राइवेट स्कूल में तीसरी क्लास में पढ़ता है।
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कमलेश कहते हैं कि भरे पूरे परिवार को अचानक न जाने किसकी नजर लग गई। पिछले साल फरवरी में पहले हार्ट की बीमारी के चलते पहले सलिल की चाची का निधन हो गया। उसके बाद मई में कोविड की चपेट में आए सलिल के पिता भी चल बसे। ऐसे में घर की जिम्मेदारी सलिल के कंधों पर आ गई। सलिल पहले नई दिल्ली के एक नामी होटल में मैनेजर की नौकरी करते थे, लेकिन कोरोना की पिछली लहर ने पिता के साथ-साथ उनकी नौकरी भी उनसे छीन ली।
नौकरी छूटने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत
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