चीन पर ‘ब्रिटेन-अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया’ की तिगड़ी ने बनाया ग्रेट गेम, क्‍वॉड में अब क्‍या करेंगे मोदी?

211


चीन पर ‘ब्रिटेन-अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया’ की तिगड़ी ने बनाया ग्रेट गेम, क्‍वॉड में अब क्‍या करेंगे मोदी?

वॉशिंगटन/टोक्‍यो
एशिया में चीनी ड्रैगन की बढ़ती दादागिरी पर लगाम कसने के लिए तत्‍कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने साल 2007 में ‘क्‍वॉड’ देशों का समूह बनाने का सुझाव दिया था। जापानी प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्‍वॉड गठबंधन में ऑस्‍ट्रेलिया, अमेरिका, जापान और भारत शामिल किया जाए। शिंजो आबे के इस ‘एशियाई नाटो’ बनाने के प्रस्‍ताव पर उस समय दुनिया के अन्‍य देशों ने बहुत ज्‍यादा भाव नहीं दिया। इसका एकमात्र कारण यह था कि चीन साल 2007 में इतना बड़ा खतरा नहीं था जितना की आज है। चीन की आक्रामकता बढ़ने के बाद क्‍वॉड को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी लेकिन अब अमेरिका के बनाए ‘ऑकस’ सैन्‍य गठबंधन से जापानी ‘गठबंधन’ के औचित्‍य पर ही खतरा पैदा हो गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्‍वॉड शिखर बैठक में हिस्‍सा लेने के लिए अमेरिका पहुंचे हैं। इस अहम बैठक में यह होगा कि ऑकस सैन्‍य गठबंधन के बीच क्‍वॉड की भूमिका क्‍या होगी और यह किस तरह से चीन की दादागिरी से निपटेगा। अमेरिका ने जिस ऑकस गठबंधन को बनाया है लेकिन विडंबना यह है कि उसमें भारत और जापान को शामिल ही नहीं किया है जो चीनी दादागिरी की सबसे ज्‍यादा शिकार हो रहे हैं। दरअसल, साल 2007 में चीन उस तरह के आक्रामक व्‍यवहार या वैश्विक महात्‍वाकांक्षा लिए हुए नहीं था जितना कि वह अभी है।
चीन विरोधी अमेरिकी गठबंधन में ऑस्‍ट्रेलिया को हां, भारत को ना, क्‍या बाइडन ने दिया बड़ा झटका?
ऑकस के ऐलान से क्‍वॉड की मुख्‍य वजह ही खत्‍म
हालांकि उस समय जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे इस को लेकर स्‍पष्‍ट थे कि क्‍यों चारों ही देशों को एकजुट होना चाहिए। इस क्‍वॉड समूह का एकमात्र लक्ष्‍य चीन की चुनौती करारा जवाब देना था। क्‍वॉड का अजेंडा जलवायु परिवर्तन या वैक्‍सीन देने वाले अच्‍छे देशों का समूह बनना नहीं था। इसी वजह से चीन इसे ‘एशियाई नाटो’ कहकर बुलाता था लेकिन पिछले हफ्ते ऑकस के ऐलान से क्‍वॉड की मुख्‍य वजह ही खत्‍म हो गई। पीएम मोदी, बाइडन, जापानी पीएम सुगा और ऑस्‍ट्रेलियाई पीएम स्‍कॉट मॉरिशन के बीच अब जिन चीजों पर चर्चा होनी है, उसमें जलवायु परिवर्तन, उभरती हुई तकनीक, वैक्‍सीन विकास और जन स्‍वाथ्‍य है।

हिंद प्रशांत क्षेत्र के चार बड़े लोकतांत्रिक देशों के नेता अब इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे। शिंजो आबे ने क्‍वॉड की संकल्‍पना देते हुए इसकी कल्‍पना भी नहीं की थी। अगर देखें तो ये महत्‍वपूर्ण विषय हैं लेकिन यह चीन पर लगाम लगाने नहीं जा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन पर तभी नकेल कसा जा सकेगा जब उसे यह अहसास होगा कि अगर टकराव वह अपनाता है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ जाएगी। यही करना क्‍वॉड का मकसद था लेकिन यह संगठन अब तड़प रहा है। इस बीच चीन के खिलाफ जो काम क्‍वॉड को करना था, ठीक वही काम अब ऑकस कर रहा है।
navbharat times -एयर इंडिया वन ने किया कमाल, दशकों पुरानी परंपरा तोड़ सीधा अमेरिका पहुंचे पीएम मोदी
अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया, ब्रिटेन का चीन को साफ संकेत
अमेरिका चीन से टक्‍कर के लिए ऑस्‍ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्‍बी और किलर मिसाइलें मुहैया करा रहा है। यही नहीं ब्रिटिश नौसेना अब ऑस्‍ट्रेलिया को अपना ठिकाना बनाने जा रही है। ऑस्‍ट्रेलिया में ब्रिटेन की परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियां मौजूद रहेंगी। यह सब चीन पर लगाम लगाने के लिए किया जा रहा है। इसने बीजिंग को साफ और स्‍पष्‍ट संदेश दे दिया है। इसने चीन को बता दिया है कि अगर उसने दक्षिण चीन सागर में वियतनाम और फिलीपीन्‍स जैसे छोटे-छोटे देशों के खिलाफ दादागिरी दिखाई या अपने बॉम्‍बर को उड़ाया तो अब करारा जवाब मिलेगा। यह कुछ उसी तरह से होगा जैसे मशीनगन से लड़ने के लिए कोई पिस्‍तौल लेकर आए।

भारत को सैन्‍य गठबंधन पर खत्‍म करनी होगी हिचक
अमेरिका का जापान के साथ सैन्‍य समझौता है और अगर चीन हमला करता है तो अमेरिका उसकी मदद करने को मजबूर है लेकिन भारत का क्‍या जिसने अमेरिका या क्‍वॉड के अन्‍य देशों के साथ किसी भी तरह के सैन्‍य गठबंधन का विरोध किया है। भारत में सरकार किसी की रही हो, भारत गुट निरपेक्षता की नीति को ही मानता रहा है। अच्‍छी बात यह है कि भारत के मालाबार नेवल अभ्‍यास में अब अमेरिका, जापान, ऑस्‍ट्रेलिया भी शामिल हो गए हैं। हालांकि वास्‍तविकता में अगर चीन हमला करता है तो अमेरिका, जापान, ऑस्‍ट्रेलिया भारत के साथ आएंगे, यह जरूरी नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर क्‍वॉड को आगे बढ़ाना है और चीन का मुकाबला करना है तो सभी चारों देशों को खासतौर पर भारत को सैन्‍य सहयोग से संकोच को खत्‍म करना होगा।
navbharat times -ऑस्‍ट्रेलिया ने दिया झटका, पीएम मोदी की शरण में फ्रांस, भारत को मिलेगी परमाणु पनडुब्‍बी?
ऑकस पर अमेरिका ने जापान, भारत को ना कहा
अमेरिकी राष्‍ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने बुधवार को कहा कि पिछले हफ्ते ऑकस की घोषणा केवल सांकेतिक नहीं थी। उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों को यही संदेश दिया है कि हिंद-प्रशांत की सुरक्षा के लिए बनाए गठबंधन में किसी अन्य देश को शामिल नहीं किया जाएगा। साकी से सवाल किया गया था कि क्या भारत या जापान को इस गठबंधन में शामिल किया जाएगा, जिसके जवाब में उन्होंने उक्त जवाब दिया। अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने हिंद-प्रशांत में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र के लिए नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ‘ऑकस’ की 15 सितंबर को घोषणा की थी।



Source link