जंतर-मंतर पर मिनी पार्लियामेंटः यहां तिहरी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं पुलिसकर्मी

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जंतर-मंतर पर मिनी पार्लियामेंटः यहां तिहरी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं पुलिसकर्मी

नई दिल्ली: एक तरफ संसद का मॉनसून सत्र, दूसरी तरफ 15 अगस्त की तैयारियां और इन दोनों के बीच जंतर मंतर पर अगले 20 दिनों तक रोज लगेगी ‘किसानों की संसद’। इस तिहरी चुनौती का सामना करने के लिए दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। 26 जनवरी को हुआ घटनाक्रम दोबारा ना हो, पुलिस का मुख्य फोकस फिलहाल इसी पर है। इसके अलावा किसान आंदोलन का फायदा उठाकर देशविरोधी ताकतें दोबारा किसी बड़ी आतंकी वारदात या हिंसा की बड़ी घटना को अंजाम न दें, इसे लेकर भी दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं। इसी वजह से गुरुवार से किसानों के संसद मार्च के कार्यक्रम को देखते हुए पूरी दिल्ली में सुरक्षा और बढ़ा दी गई। खासकर जंतर मंतर और उसके आस-पास का पूरा इलाका छावनी में तब्दील कर दिया गया।

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हर परिस्थिति से निपटने का इंतजाम था: सुरक्षा इंतजामों को लेकर पुलिस की चिंता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसानों की कार्यक्रम की कवरेज के लिए आए मीडियाकर्मियों के वेरिफिकेशन के लिए दिल्ली पुलिस की पीआरओ ब्रांच की पूरी टीम जंतर मंतर पहुंची हुई थीं। वहीं सुरक्षा इंतजामों में कोई कोर कसर बाकी ना रह जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए खुद स्पेशल कमिश्नर सतीश गोलचा, जॉइंट कमिश्नर जसपाल सिंह और डीसीपी दीपक यादव मौके पर मौजूद थे। बड़ी संख्या में महिला सुरक्षाकर्मियों का भी तैनात किया गया था, जिन्हें नई दिल्ली की अडिशनल डीसीपी अंजीता चेपयाला और चाणक्यपुरी सब-डिविजन की एसीपी प्रज्ञा आनंद लीड कर रहीं थीं। अर्धसैनिक बलों के जवानों की भी कई टुकड़ियां यहां तैनात की गई थीं। वॉटर कैनन और आंसू गैस का भी इंतजाम किया गया था और दंगा निरोधी दस्ते को भी यहां बुलाया गया था।

मीडिया को भी दोपहर तक बाहर रखा: जंतर मंतर पर किसानों के कार्यक्रम के लिए चिह्नित की गई जगह को दोनों तरफ से बैरिकेड लगाकर ब्लॉक कर दिया गया था। उसी पूरी जगह की एंटी सेबोटाज चेकिंग भी करवाई गई थी। गुरुवार की सुबह पहले मीडिया को भी इस जगह से बाहर ही रखा गया और जब किसानों की बसें और गाड़ियां उन्हें लेकर यहां पहुंचीं, तो बैरिकेड हटाकर उन्हें सीधे उसी जगह पर उतारा गया, जो उनके बैठने के लिए चिह्नित की गई थी। अशोक रोड और संसद मार्ग व पटेल चौक के पीछे की तरफ से जो रास्ता जंतर मंतर की तरफ आता है, उसे भी पूरी तरह ब्लॉक कर दिया गया था और टॉलस्टॉय मार्ग की तरफ से भी रास्ता ब्लॉक कर दिया गया था। बाद में जब किसान नेताओं ने मीडिया को बाहर रोके जाने को लेकर विरोध जताया, तब जाकर दोपहर में पुलिस ने आई कार्ड चेक करके मीडियाकर्मियों को कवरेज के लिए अंदर जाने दिया। कुछ ऐसे लोग भी अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे, जिनके पास ना तो मीडिया संस्थान का कोई पहचान पत्र था, न किसान संगठनों की तरफ से जारी किया गया आई कार्ड था। ऐसे लोगों को पुलिस ने बाहर ही रोक लिया।

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किसान नेताओं ने जताया सख्ती पर ऐतराजः पुलिस की तरफ से किए गए सख्त इंतजामों पर किसान संगठनों ने भी ऐतराज जताया। योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत ने कहा कि 200 किसानों को रोकने के लिए 40 हजार पुलिसवाले लगाए गए हैं, जिससे यह साफ पता चलता है कि सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाहती है। पुलिस की सख्ती के चलते ही किसानों का कार्यक्रम भी तय समय से काफी देरी से शुरू हुआ। जंतर मंतर पर कार्यक्रम के लिए सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है, लेकिन पहले दिन का कार्यक्रम दोपहर 1 बजे के बाद शुरू हो पाया। चूंकि जंतर मंतर पर बड़े स्तर पर धरने प्रदर्शनों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है, इसलिए किसानों को न तो मंच लगाने दिया गया और ना बड़े लाउड स्पीकरों का इस्तेमाल करने दिया गया। केवल अनाउंसमेंट करने के काम आने वाले एक साउंड सिस्टम के इस्तेमाल की ही इजाजत दी गई।

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