तालिबान के खिलाफ अफगान सेना की नाकामी पर भड़का अमेरिका, बोला- हमने अरबों डॉलर खर्च किए

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तालिबान के खिलाफ अफगान सेना की नाकामी पर भड़का अमेरिका, बोला- हमने अरबों डॉलर खर्च किए

वॉशिंगटन
अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती हुकूमत और अफगान सेना के पीछ हटते कदमों से अमेरिका बहुत निराश है। अमेरिका ने पिछले दो दशकों में अफगान नेशनल आर्मी को हथियार और ट्रेनिंग देने में अरबों रुपये खर्च किए हैं। उसके बाद भी अफगान सेना अपने से कहीं कम प्रशिक्षित तालिबान लड़ाकों के आगे घुटने टेकती जा रही है। गुरुवार को तालिबान लड़कों ने अफगानिस्तान के प्रमुख शहर गजनी पर भी कब्जा कर लिया है।

बाइडन ने अफगान सरकार पर फोड़ा ठीकरा
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और दूसरे अन्य अधिकारी बार-बार अफगान नेताओं को एकजुट होने और एक स्पष्ट रणनीति बनाने के लिए कह रहे हैं। उन्हें डर है कि तालिबान के आतंकी जल्द ही काबुल को घेर सकते हैं। बुधवार को बाइडन ने कहा कि हमने 20 वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए। हमने 300,000 से अधिक अफगान बलों को प्रशिक्षित और आधुनिक उपकरणों से लैस किया। अब अफगान नेताओं को एक साथ आना होगा। उन्हें अपने लिए लड़ना होगा, अपने देश के लिए लड़ना होगा।

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अफगान सेना की क्षमताएं गिना रहा अमेरिका
31 अगस्त को अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की पूर्ण वापसी से पहले पेंटागन और विदेश विभाग ने 2001 के आक्रमण के बाद पहली बार अमेरिका और नाटो सैनिकों की अनुपस्थिति में तालिबान को मिलती जीत पर चिंता जताई है। अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने मंगलवार को कहा कि अफगान सेना के पास क्षमता है, उनके पास क्षमता है, उनके पास संख्यात्मक लाभ है, उनके पास एक वायु सेना है। यह वास्तव में नेतृत्व और उन क्षमताओं का उपयोग करने की इच्छा के ऊपर निर्भर है।

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तालिबान को मिलती जीत से आश्चर्यचकित है अमेरिका
अमेरिका ने यह आशा नहीं की थी कि तालिबान लड़ाके इतनी तेजी से अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेगें। एक दिन पहले ही अमेरिकी सेना ने अनुमान जाहिर किया है कि तालिबान लड़ाके अगले 30 से 90 दिनों के अंदर अफगानिस्तान सरकार को गिरा सकते हैं। इसके साथ ही वह राजधानी काबुल पर भी अपना कब्जा जमा सकते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले दो हफ्तों में अफगान बलों की सहायता के लिए बमबारी की है। लश्करगाह और हेरात में अमेरिकी वायु सेना की बमबारी के बाद भी तालिबान के कदम रुके नहीं हैं।

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मजार-ए-शरीफ पर तालिबान की निगाह
तालिबान ने अफगानिस्तान के उत्तरी भाग में कई इलाकों पर कब्जा जमा चुका है। अब उसकी नजर बल्ख प्रांत की राजधानी मजार-ए-शरीफ पर टिकी है। इस शहर को तालिबान के कट्टर विरोधी मार्शल अब्दुल रशीद दोस्तम का गढ़ माना जाता है। 1990 और 2001 में उन्होंने इस इलाके से तालिबान को खदेड़ने में बड़ी भूमिका निभाई थी। तालिबान के आतंकियों में उनके नाम से ही दहशत है।

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गनी सरकार से एकजुट होने की अपील
अमेरिकी अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि अगर राष्ट्रपति अशरफ गनी अपनी सरकार को एकजुट कर सकते हैं और निर्णायक कार्रवाई कर सकते हैं तो परिणाम अलग हो सकते हैं। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, “अफगान सरकार के पास जबरदस्त लाभ है … 300,000 सैनिक, एक वायु सेना, विशेष बल, भारी उपकरण, प्रशिक्षण, साझेदारी की प्रतिबद्धता, संयुक्त राज्य अमेरिका से निरंतर समर्थन। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के एंड्रयू वॉटकिंस ने कहा कि दुर्भाग्य से इन लोगों में कार्रवाई न करने की भावना है, यह सरकार का ठहराव है।



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