नवरूना कांड के हुए 9 साल, CBI की जांच से नाराज पिता ने कहा- सब बेकार हो गया, सिर्फ आश्वासन मिला

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नवरूना कांड के हुए 9 साल, CBI की जांच से नाराज पिता ने कहा- सब बेकार हो गया, सिर्फ आश्वासन मिला

बहुचर्चित नवरूना कांड को नौ साल पूरे हो गए। हालांकि, अबतक अपराधियों की पहचान तक नहीं हो सकी है। सीबीआई ने मामले की जांच बंद कर दी है।  कोर्ट को अपनी रिपोर्ट भी बंद लिफाफे में सौंप चुकी है। बेटी के गुनहगारों को नहीं पकड़ पाने पर गुरुवार को नवरुना के पिता अतुल्य चक्रवर्ती और मां मैत्रेयी चक्रवर्ती ने सरकार से सीबीआई समेत अन्य जांच एजेंसियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। 

नवरूना के पिता ने कहा है कि सीबीआई ने उनके केस को लटकाकर रखा। सात साल तक सिर्फ आश्वासन दिया। इसबीच कई कागजात भी तैयार किए। उनलोगों को जांच संबंधित कई कागजात भी दिये, लेकिन सब बेकार हो गया। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी के अपहर्ताओं को छोड़ सरकार व कोर्ट सिर्फ जांच एजेंसियों की गतिविधियों व रिपोर्टों का आकलन करे, फिर उनके खिलाफ कार्रवाई करे। नवरूना के परिजन सीबीआई की जांच से काफी नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि उनलोगों को शुरू से लेकर अबतक सिर्फ कोर्ट पर भरोसा व उम्मीद है। न्याय मिलेगा भी तो कोर्ट से ही मिलेगा। जबतक सांस रहेगी, तबतक बेटी के लिए लड़ेंगे। 

उल्लेखनीय है कि नवरूना के रहस्यमय तरीके से गायब होने पर अतुल्य चक्रवर्ती ने 18 सितंबर 2012 को अज्ञात के खिलाफ नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने शुरुआती दौर में प्रेम-प्रसंग से जोड़कर जांच की, लेकिन धीरे-धीरे यह मामला जमीन सौदेबाजी की तरफ मुड़ गया। सीबीआई जांच बंद कर चुकी है।   

सीबीआई ने सौंपी थी 40 पन्ने की रिपोर्ट

सीबीआई ने सबूत व तथ्य का अभाव बताते हुए मुजफ्फरपुर के विशेष सीबीआई कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की थी। दर्जनों वैज्ञानिक जांच के बावजूद सीबीआई किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी थी। कांड के जांच अधिकारी सह डीएसपी अजय कुमार ने 40 पेज की फाइनल रिपोर्ट दाखिल की थी। रिपोर्ट के साथ ही सीबीआई ने जांच भी बंद कर दी। रिपोर्ट में जांच की 86 बिंदुओं को उल्लेखित किया गया था। बता दें कि 17/18 सितंबर 2012 की रात जवाहरलाल रोड निवासी अतुल्य चक्रवर्ती की छोटी बेटी नवरूना रहस्यमय तरीके से अपने कमरे से गायब हो गई थी। पहले पुलिस, फिर सीआईडी और बाद में सीबीआई ने जांच की।

ब्रेन मैपिंग, लाइव डिटेक्टर, नार्को टेस्ट से भी नहीं खुला राज

नगर थाने के तत्कालीन थानेदार, एक वार्ड पार्षद, मोतीपुर के व्यवसायी समेत आधा दर्जन संदिग्धों की ब्रेन मैपिंग, लाइव डिटेक्टर व नार्को टेस्ट कराया गया। इससे भी सीबीआई नवरुना कांड से पर्दा नहीं उठा सकी थी। इसके अलावा डीएनए व बोन टेस्ट भी बेनतीजा रहा था। सीबीआई ने आधा दर्जन संदिग्धों को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन नतीजा सिफर रहा।  

खुलासे करने में सीबीआई नाकाम

पिता ने आरोप लगाया, क्लोजर रिपोर्ट में नवरूना के घर के पास से नाले से बरामद कंकाल के बारे में भी सीबीआई की टीम खुलासा करने में नाकाम रही। कुल 66 लोगों की गवाही से भी कंकाल की पहचान नहीं कर सकी। इसके बाद सीबीआई ने नवरूना कांड को लेकर सूचना देने पर 10 लाख रुपये के इनाम का भी ऐलान किया था, लेकिन ठोस सबूत तक नहीं मिले। 

तीन जांच एजेंसी कर चुकी जांच

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 14 फरवरी 2014 को सीबीआई ने कांड में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार जांच के लिए मोहलत दी। जिला पुलिस के बाद जांच का जिम्मा सीआईडी को भी सौंपा गया था। तीनों एजेंसी कांड के खुलासे में फेल रही। अब तीनों एजेंसी नवरुना के पिता के सवालों के कटघरे में है। 

घटनाक्रम पर एक नजर

– 18/19 सितंबर 2012 की रात जवाहरलाल रोड स्थित घर से नवरूना का हुआ अपहरण 
– 26 नवंबर 2012 को नवरूना के घर के सामने वाले नाला से मिला था एक नर कंकाल 
– 12 जनवरी 2013 को सीआईडी को पुलिस से केस सौंपा गया, लेकिन नहीं हुई कार्रवाई 
– 14 फरवरी 2014 को सीआईडी से केस लेकर सीबीआई को सौंपा गया  
– 18 फरवरी 2014 को पहली बार सीबीआई की टीम जांच के लिए मुजफ्फरपुर आयी
– 14 फरवरी 2014 से अबतक सीबीआई के पांच आईओ बदले गए 
– 14 दिसंबर 2019 को अंतिम बार सीबीआई की टीम अतुल्य से मिली 

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