भले ही घट रही है देश की आबादी, लेकिन बेबी केयर मार्केट उछाल दर्ज करने को तैयार

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भले ही घट रही है देश की आबादी, लेकिन बेबी केयर मार्केट उछाल दर्ज करने को तैयार

मुंबई: 2019-21 के लिए पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) ने घटती जनसंख्या की ओर संकेत किया। लेकिन इसका भारत में शिशु देखभाल बाजार पर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। यह खंड विकास के लिए काफी संभावनाएं प्रस्तुत करता है और भारत में अगले 10 वर्षों तक इसमें तगड़े उछाल का अनुमान है। एनएफएचएस ने हाल ही में विस्तार से बताया कि कैसे पहली बार भारत की कुल प्रजनन दर गिरकर 2.1 से नीचे आ गई। 2.1 बेंचमार्क रिप्लेसमेंट दर है। मातृ स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता, पोषण, महिला सशक्तिकरण और डिजिटल अपटेक जैसे कारकों का भी बेबी व मदर केयर मार्केट पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

70% महिलाएं अब पहले तीन महीनों में प्रसवपूर्व जांच के लिए जा रही हैं। यह संख्या 2015-2016 (लगभग 59%) के बाद से काफी बढ़ गई है। जबकि 78% महिलाओं को प्रसव के 2 दिनों के भीतर प्रसवोत्तर देखभाल मिली है।

13-14% सालाना की दर से बढ़ रहे हैं बेबी केयर मार्केट के प्रमुख खंड
कहा जाता है कि बेबी केयर मार्केट के प्रमुख खंड- जिसमें टॉयलेटरीज, डायपर, परिधान और खिलौने शामिल हैं, प्रति वर्ष 13-14% की दर से बढ़ रहे हैं। इसमें बेबी केयर निर्माताओं ने अपनी पहुंच का विस्तार किया है और अपनी डिजिटल क्षमताओं को बढ़ाया है। जेएल मॉरिसन (जेएलएम) के प्रमोटर साक्षी मोदी ने कहा, “भारत में शिशु देखभाल उत्पादों की प्रति व्यक्ति खपत सबसे कम है और इस प्रकार यह खंड विकास के लिए काफी संभावनाएं प्रस्तुत करता है। इसी तरह, चीन, ब्राजील और रूस जैसे देशों की तुलना में शिशु देखभाल उत्पादों की पहुंच भी बहुत कम है। इसलिए, विकास की बहुत गुंजाइश है।” आगे कहा कि भारत 10 वर्षों तक शिशु देखभाल उद्योग के लिए उच्च विकास के चरण में रहेगा।

डिजिटल क्रांति, उद्योग के लिए एक विकास प्रवर्तक
बढ़ती कामकाजी महिला आबादी को शिशु देखभाल श्रेणी के विकास का एक बड़ा चालक कहा जाता है। 33% महिलाओं (शहरी + ग्रामीण) और 52% शहरी महिलाओं के पास इंटरनेट का उपयोग करने की एक्सेस है। डिजिटल क्रांति, उद्योग के लिए एक विकास प्रवर्तक रही है। हालांकि, महामारी के बाद से कामकाजी महिला आबादी में थोड़ी गिरावट आई है। जेएलएम के वीपी (सेल्स एंड मार्केटिंग) नितिन मनचंदा ने कहा, हालांकि इसका बाजार पर सीधा असर नहीं पड़ा है, लेकिन हमने प्रीमियम सेगमेंट से बड़े सेगमेंट में कुछ बदलाव होते हुए देखे हैं, जो अस्थायी लगते हैं। डाउनट्रेडिंग सभी श्रेणियों में होती है जब आय पर दबाव होता है और हमने बेबी केयर सेगमेंट में भी ऐसा होते देखा है। परिकल्पना यह है कि अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने से 2 से 3 तिमाहियों में उलटफेर हो जाएगा।

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