भारत में महिला किसानों को कैसे सशक्त बना रही है पेप्सिको? पश्चिम बंगाल में 1000 से अधिक औरतों को हुआ फायदा

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भारत में महिला किसानों को कैसे सशक्त बना रही है पेप्सिको? पश्चिम बंगाल में 1000 से अधिक औरतों को हुआ फायदा

नई दिल्ली

नाम: सुजाता परमानिक
गांव व जिला: बारासात (रामचंद्रपुर), जॉयपुर ब्लॉक, बांकुरा जिला

सुजाता परमानिक बारासात में 2020-21 की ILRG परियोजना के तहत कम्युनिटी एग्रोनॉमिस्ट के तौर पर काम करती हैं। सुजाता कुशलतापूर्वक घर और कृषि दोनों के कार्यों का प्रबंधन कर रही हैं। वह कम्युनिटी एग्रोनॉमिस्ट के तौर पर अपने पेशेवर काम में और चंद्रा स्वयं सहायता समूह के सदस्य के तौर पर काफी सक्रिय हैं। सुजाता ने 2019-20 में कृषि विज्ञान प्रशिक्षण में भाग लेकर बहुत कुछ सीखा है। यह उनका पहला औपचारिक खेती प्रशिक्षण था। प्रशिक्षण का सबसे अच्छा हिस्सा हर एक्शन के पीछे के कारणों की व्याख्या करना है। यदि हम ऐसा करते हैं तो क्या होगा और यदि हम नहीं करते हैं तो क्या होगा। 2020 में सुजाता को कम्युनिटी एग्रोनॉमिस्ट चुना गया, जो उन्हें एक अलग का एक्सपोजर और अनुभव प्रदान कर रहा है। वह अब केवल एक आलू उत्पादक नहीं हैं बलिक एक ट्रेनर और मोटिवेटर भी हैं। उन्होंने सस्टेनेबल कृषि पद्धतियों और खेती में महिलाओं की भूमिका के बारे में सीखा, वह जेंडर डायनामिक्स को समझती हैं। यह प्रॉजेक्ट उन्हें आत्मविश्वास और पहचान दिलाने में सफल रहा है।

यह केवल एक केस स्टडी है। भारत में सुजाता जैसी न जाने कितनी महिला किसान हैं, जो आज एक नई कहानी लिख रही हैं। इन महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है पेप्सिको (Pepsico India) और यूएसएआईडी ने। दो साल पहले, पेप्सिको ने यूएसएआईडी (United States Agency for International Development) के साथ भागीदारी कर ‘महिला सशक्तिकरण पहल’ शुरू की थी। इस अनूठी पहल को उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिल रही है, विशेषकर आलू की खेती के मामले में। यह पहल पश्चिम बंगाल राज्य में 1000 से अधिक महिला किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो चुकी है।

भारत में कृषि लेबर फोर्स में महिलाओं की संख्या 42 प्रतिशत से अधिक
मैरीलैंड विश्वविद्यालय और एनसीएईआर, 2018 द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में कृषि लेबर फोर्स में महिलाओं की संख्या 42 प्रतिशत से अधिक है। लेकिन अगर मालिकाना हक की बात करें तो दो प्रतिशत से भी कम कृषि भूमि की मालिक महिलाएं हैं। भारतीय महिलाएं आमतौर पर खेत तैयार करने, बीज बोने, फसल काटने और जानवरों के प्रबंधन में खेत पर उतना ही वक्त बिताती हैं, जितने वक्त तक उनके पति खेत पर काम करते हैं। शेष कृषि मूल्य श्रृंखला जहां फसलों को उत्पादों में बदल दिया जाता है, एक आदमी की दुनिया है। इसमें एग्रीगेटिंग, छंटाई, ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकिंग और मार्केटिंग शामिल है। ये सभी काम बड़े पैमाने पर पुरुषों द्वारा किए जाते हैं।

दिला रही कौशल, रोजगार और उद्यमशीलता के अवसर
इस स्थिति को बदलने के लिए USAID और पेप्सिको ने भारत के पश्चिम बंगाल में पेप्सिको आलू आपूर्ति श्रृंखला में महिला सशक्तिकरण के लिए व्यावसायिक मामला बनाने के लिए भागीदारी की है। यह साझेदारी स्थाई कृषि पद्धतियों (एसएफपी) को अपनाने और महिलाओं की आजीविका में सुधार के लिए भूमि, कौशल और रोजगार और उद्यमशीलता के अवसरों तक उनकी पहुंच में सुधार कर रही है।

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