‘मोलनुपिराविर’ दवा के पीछे ना भागें, फायदे से ज्यादा नुकसान संभव

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‘मोलनुपिराविर’ दवा के पीछे ना भागें, फायदे से ज्यादा नुकसान संभव

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
कोरोना के खिलाफ एंटीवायरल दवा मोलनुपिराविर को यूएस एफडीए के साथ-साथ डीसीजीआई ने भी इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। लेकिन, इस दवा को अभी तक कोरोना के इलाज के प्रोटोकॉल में शामिल नहीं किया गया है। बावजूद इसके जैसे-जैसे कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, लोगों में इस दवा को लेकर गलतफहमी बढ़ रही है। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि इस दवा से जितना फायदा है, उससे कहीं अधिक नुकसान का डर है। इसलिए, अपने मन से दवा न खाएं, वरना परेशानी ज्यादा हो सकती है।

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सबसे पहले इस दवा को लेकर आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने चिंता जताते हुए कहा था कि मोलनुपिराविर टेराटोजेनिसिटी और म्यूटेजेनेसिटी का कारण बन सकती है। उन्होंने कहा कि पुरुष और महिला दोनों के लिए दवा लेने के बाद 3 महीने तक गर्भ निरोधक उपाय बनाए रखना चाहिए, क्योंकि टेराटोजेनिक दवा के प्रभाव से पैदा हुआ बच्चा समस्या से ग्रस्त हो सकता है। यह दवा मांसपेशियों और उपास्थि को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

इस दवा को लेकर एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ. नीरज निश्चल ने भी अगाह किया है। उन्होंने कहा कि यह एक एंटीवायरल दवा है जिसे रिस्ट्रिक्टेड इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। इसका मैकेनिज्म यह है कि यह वायरस को शरीर में रेप्लिकेट, यानी बढ़ने नहीं देता है। यह दवा इंसान के डिवाइडिंग सेल को प्रभावित कर सकती है। पुरुषों के रिप्रोडक्टिव सेल, बोन और कार्टिलेज और बोनमैरो को भी प्रभावित कर सकती है। इस दवा की एनिमल स्टडी में बताया गया है कि यह कैंसर का भी कारण हो सकती है।

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डॉ. नीरज ने कहा कि इस दवा का बिना जरूरत इस्तेमाल एक नई मुसीबत दे सकता है। पिछली लहर के दौरान हमने देखा था कि स्टेरॉयड का कुछ स्तर पर फायदा हो रहा था, लेकिन लोगों ने मनमाने तरीके से इसका इतना इस्तेमाल शुरू कर दिया जिससे कि ब्लैक फंगस जैसी एक नई समस्या पैदा हो गई। इसी तरह, मोलनुपिराविर का बेतहाशा इस्तेमाल एक नए म्यूटेशन को भी पैदा कर सकता है। इसलिए इसके इस्तेमाल से बचें। अमेरिका में भी इसकी मंजूरी केवल हाई रिस्क वाले उन मरीजों के लिए दी गई है, जिसमें कोई दूसरा विकल्प न हो।

डॉक्टर नीरज ने कहा कि अमेरिका में भी इस दवा को अप्रूवल 13-10 की राय से मिली है। वहां पर भी इसके इस्तेमाल को लेकर एकतरफा रजामंदी नहीं थी। यही नहीं, जब इस दवा को मंजूर किया गया था, वहां पर कोरोना का डेल्टा वेरिएंट फैला हुआ था, बीमारी गंभीर हो रही थी। अभी का रियल वर्ल्ड उससे काफी अलग है। फिलहाल ओमिक्रॉन के अधिकांश मरीज बिना दवा के ही ठीक हो रहे हैं। ऐसे समय में ऐसी दवा के पीछे न भागें, जिससे फायदा कम और नुकसान की संभावना ज्यादा है।

Molnupiravir

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