शिवसेना का बीजेपी पर वार, पूछा- सावरकर को अब तक क्यों नहीं मिला भारत रत्न?

153


मुंबई: कांग्रेस द्वारा वी डी सावरकर की आलोचना पर चुप्पी के लिये भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) पर निशाना साधे जाने के एक दिन बाद शिवसेना (Shivsena) ने पलटवार करते हुए सोमवार को पूछा कि भाजपा ने पूर्व हिंदुत्व विचारक को अब तक भारत रत्न क्यों नहीं दिया? कांग्रेस राज्य में महा विकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना की सहयोगी है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इस गठबंधन में तीसरा सहयोगी दल है.

शिवसेना ने किया बीजेपी पर पलटवार
शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न ‘महान और हिंदुत्ववादी नेता’ सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) को दिया जाना चाहिए. शिवसेना की वार्षिक दशहरा रैली के दौरान रविवार को पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कोविड-19 की स्थिति की वजह से विशाल शिवाजी पार्क की जगह यहां दादर इलाके में सावरकर हॉल में अपना संबोधन दिया था.

बीजेपी ने लगाया शिवसेना पर हिंदुत्व से समझौता करने का आरोप
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता केशव उपाध्ये (Keshav Upadhyaye) ने बाद में सत्ताधारी दल पर सत्ता के लिये हिंदुत्व से समझौते का आरोप लगाया. उपाध्ये ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस द्वारा सावरकर की आलोचना पर एक शब्द नहीं कहा और अब उन्हें सावरकर प्रेक्षागृह से दशहरा रैली को संबोधित करना पड़ा.’

सावरकर के मुद्दे पर चुप नहीं रही शिवसेना: राउत
उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने सोमवार को कहा कि शिवसेना कभी सावरकर से जुड़े मुद्दों पर चुप नहीं रही और कभी ऐसा करेगी भी नहीं. भाजपा का नाम लिये बगैर राउत ने कहा कि पार्टी को सावरकर पर शिवसेना के रुख को लेकर इतिहास खंगालना चाहिए.

वीर सावरकर शिवसेना के प्रेरक: संजय राउत
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि वीर सावरकर हमेशा से शिवसेना और हिंदुत्व के प्रेरक रहे हैं। जो लोग हम पर सवाल उठा रहे हैं…वे वीर सावरकर को भारत रत्न क्यों नहीं देते? राउत ने जानना चाहा, ‘आपने अपने पिछले छह साल से शासन में कई लोगों को यह पुरस्कार दिया. वीर सावरकर को भारत रत्न देने में आपको क्या परेशानी थी?’

बीजेपी-शिवसेना का साथ छूट गया था
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के बाद पिछले साल शिवसेना ने राज्य में लंबे समय से उसकी सहयोगी रही भाजपा का दामन छोड़ दिया था. शिवसेना ने सत्ता में साझेदारी और बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद संभालने के मुद्दे पर एक राय न होने के बाद यह कदम उठाया था.





Source link