‘सप्लाई चेन बाधित’, राहुल द्रविड़ के लिए आसान नहीं है नए सिरे से टीम इंडिया को तैयार करना

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‘सप्लाई चेन बाधित’, राहुल द्रविड़ के लिए आसान नहीं है नए सिरे से टीम इंडिया को तैयार करना

मुंबई
जनवरी 2021 में भारतीय क्रिकेट एक अच्छी स्थिति में था। ऑस्ट्रेलिया में गाबा में जीत और उसके बाद इंग्लैंड को घरेलू सीरीज में हराने के बाद एक बात तो साफ हो गई कि टीम के पास संसाधनों की कमी नहीं। बेंच स्ट्रेंथ बहुत मजबूत है। एक साल बाद हालांकि तस्वीर बदली हुई है। टीम के सामने बदलाव की एक अजीब सी सिचुएशन है।

एक जहाज टकराया है। बतौर कप्तान विराट कोहली की अथॉरिटी को झटका लगा है। और नए मुख्य कोच राहुल द्रविड़ के सामने टीम को दोबारा तैयार करने की बड़ी जिम्मेदारी है। राहुल द्रविड़ ने बतौर इंडिया ‘ए’ और अंडर-19 टीम के कोच शानदार काम किया। इसके साथ ही नैशनल क्रिकेट अकादमी के चेयरमैन के रूप में भी उन्होंने टैलेंट पूल तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।

टीम इंडिया में बदलाव के दौर की बात मुख्य रूप से चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे और ईशांत शर्मा को लेक रहोती रही है। बात साफ है- अगली पीढ़ी की ओर बढ़ो। लेकिन यहीं एक पेंच है।

अब हालात दो साल पहले वाले नहीं हैं। भारत की जो टैलेंट की सप्लाई लाइन दो साल पहले शानदार तरीके से चल रही थी उसमें रुकावट आ गई है। इसकी वजह है कोविड-19 महामारी। कोविड के आने के बाद से भारत में कोई घरेलू क्रिकेट नहीं हुआ है। अब यह हैरानी की बात है कि भारत इकलौता देश रहा जहां बीते दो साल रेड-बॉल कोई घरेलू क्रिकेट नहीं हुआ। भारत ए के साउथ अफ्रीका दौरे से पहले A टीम के दौरे भी बंद थे। एनसीए में खिलाड़ियों को तैयार करने के स्कूल में भी ज्यादा भीड़ नहीं देखी गई।

पुजारा, रहाणे और ईशांत की जगह लेने के लिए खिलाड़ी तैयार हैं। हनुमा विहारी, श्रेयस अय्यर, शुभमन गिल, प्रसिद्ध कृष्णा, अवेश खान और नवदीप सैनी ये भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन अगर इनमें से कोई चोट की वजह से बाहर होता है तो कोई बैकअप नहीं है। किसी अन्य खिलाड़ी को रेड-बॉल फॉर्म के आधार पर नहीं चुना जा सकता।

सूत्रों ने कहा, ‘रणजी ट्रोफी क्रिकेट नहीं हो रहा है। कोई नए चेहरे सामने नहीं आ रहे हैं। क्या होगा अगर कुछ नए खिलाड़ी फॉर्म हासिल करने में संघर्ष करने लगे, या फिर उन्हें चोट लग गई? अगर आप सीनियर खिलाड़ियों को ड्रॉप करते हैं तो कोई रणजी ट्रोफी मैच नहीं खेले जा रहे हैं जहां जाकर वे अपनी फॉर्म हासिल कर सकें। और ऐसे में आपके पास उन्हें ही चुनने का विकल्प होता है। और ऐसे में भविष्य की टीम तैयार करने का मकसद तो पूरा नहीं होता।’

सूत्र ने यह भी कहा, ‘टीम प्रबंधन एक बार में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहता। वह चाहता है कि जब तक युवा खिलाड़ी थोड़ा अनुभव हासिल कर लें तब तक सीनियर खिलाड़ी उनके साथ रहें।’

पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता देवांग गांधी का कहना है कि ‘ए’ टीम के प्रोग्राम को शुरू करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘बोर्ड का पहला काम ‘ए’ टीम के कार्यक्रम को दोबारा शुरू करना चाहिए। मौजूदा चयनकर्ताओं का काम बहुत मुश्किल है। उन्हें खिलाड़ियों को सफेद बॉल क्रिकेट में उनके फॉर्म के आधार पर चुनना होगा क्योंकि बीते दो साल में भारत में सिर्फ यही हुआ है। उन्हें इसी के आधार पर देखना होगा कि रेड-बॉल क्रिकेट में कौन बेहतर कर सकता है।’

गांधी ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘अंडर-19 वर्ल्ड कप ऐसे में काफी अहम हो सकता है क्योंकि आपको काफी समय बाद नए चेहरे देखने को मिलेंगे।’

गांधी ने आगे कहा, ‘मैंने दूसरे टेस्ट के बाद ऋषभ पंत को ड्रॉप करने की बातें सुनीं। यह कोई तरीका नहीं है। अय्यर, गिल और पंत को यह बताया जाना चाहिए कि वे सीनियर खिलाड़ी हैं और उन्हें अधिक जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।’



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