मुंबई का काला दिन, 26/11 मुंबई हमले के 11 साल

1345
मुंबई का काला दिन
मुंबई का काला दिन, 26/11 मुंबई हमले के 11 साल

26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था, लेकिन यह भारत के इतिहास का वो काला दिन है. जिसे कोई भी चाह कर भी नहीं भूला सकता है. हमले में लगभग 164 से ज्यादा लोग मारे गये, तो वहीं दूसरी और 308 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस हमले को जब भी याद किया जाता है, तो रूह कांप उठती है, शायद ही कुछ ऐसे लोग होगे जो इस हादसे के बारें में न जातने हो, लेकिन ज्यादातर लोग इस भयानक हादसे से भलिभांति परिचित है. आईए एक बार फिर से इस मसले के बारें में जानते है कि आखिर क्या हुआ था उस दिन.

कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे
मुंबई हमले के छानबीन में जो भी कुछ सामने आया है उसमें साफ यह जाहिर हो रहा है कि 10 हमलावर कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसते है इस नाव में चार भारतीय भी सवार थे जिन्हें किनारे तक पहुंचते-पहुंचते खत्म कर दिया. लगभग रात के 8 बज रहें थे, जब चारों आंतकि कोलावा के पास कफ परेड के मछली बाजार में उतरे थे. जहां से वो लोग चार ग्रुपों में बंट गए है. जिसके बाद टैक्सी लेकर अपने- अपने मिशन की तलाश में जुट गए. जिसके लिए वह आए थे.

मछुवारों को हुआ था शक
इन लोगों की जल्दबाजी को देखकर कुछ मछुवारों को शक भी हुआ था और उन मछुवारों ने इसकी सूचना पुलिस को भी दी थी.लेकिन इलाके की पुलिस ने इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया और न ही इसकी सुचना आगे बड़े अधिकारियों को या खुफिया बलों को जानकारी दी.

imgpsh fullsize anim 7 7 -

दो हमलावरो ने 52 लोगों को उतारा मौत के घाट
रात के करीब साढ़े नौ बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर गोलीबारी की ख़बर मिली. मुंबई के इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन के मेन हॉल में दो हमलावर घुसे और अंधाधुंध फ़ायरिंग शुरू कर दी. जिसमें से एक मौहम्मद अजमल कसाब था. जिसे अब फांसी दी जा चुकी है. दोनों के हाथ में एके47 इनमें एक मुहम्मद अजमल क़साब था जिसे अब फांसी दी जा चुकी है। दोनों के हाथ में एके47 राइफलें थीं और पंद्रह मिनट में ही उन्होंने 52 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 109 को ज़ख़्मी कर दिया था.

मुंबई के कई जगह पर की गोलीबारी
मुंबई में कई जगहों पर गोलीबारी हुई, लेकिन आतंक का यह खेल सिर्फ शिवाजी टर्मिनल तक सीमित न था. बल्कि दक्षिणी मुंबई का लियोपोल्ड कैफे भी उन चंद जगहों में से एक था जो तीन दिन तक चले इस हमले के शुरुआती निशाने पर थे. यह मुंबई के जानेमाने रेस्त्रांओं में से एक है, जहां पर भी गोलीबारी हुई यहां पर 10 लोगों में कई विदेशी भी शामिल थे जबकि बहुत से लोग घायल भी हो गए थे. 1871 से मेहमानों की ख़ातिरदारी कर रहे लियोपोल्ड कैफे की दीवारों में धंसी गोलियां हमले के निशान छोड़ गईं.

तकरीबन 10 बजकर 40 विले पारले इलाके में एक टैक्सी को बम से उड़ाने की खबर आई. जिसमें ड्राइवर और एक यात्री मारे गए थे, तो इससे पंद्रह बीस मिनट पहले बोरीबंदर में इसी तरह के धमाके में एक टैक्सी ड्राइवर और दो यात्रियों की जानें जा चुकी थीं. तकरीबन 15 घायल भी हुए.
26/11 के तीन बड़े मामले

आतंक की कहानी यही खत्म हो जाती, तो शायद ही दुनिया मुंबई हमलों से उतना न दहलती. 26/11 के तीन बड़े हादसे थे, पहला मुंबई का ताज होटल, दूसरा ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और तीसरा नरीमन हाउस. जब हमला हुआ तो ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे. खासतौर से ताज होटल की इमारत से निकलता धुंआ तो बाद में हमलों की पहचान बन गया.

mi -

आतंकियों को मिली मदद
लाइव मीडिया कवरेज से आतंकियों को मदद मिली, हमलों की अगली सुबह यानी 27 नवंबर को खबर आई कि ताज से सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा तो यह भी पता चला कि हमलावरों ने कुछ और लोगों को अभी भी बंधक बना कर रखा हुआ है. जिनमें कई विदेशी भी शामिल थे, हमलों के दौरान दोनों ही होटल रैपिड एक्शन फोर्ड (आरपीएफ़), मैरीन कमांडो और नेशनल सिक्युरिटी गार्ड (एनएसजी) कमांडो से घिरे हुए थे.

एक तो एनएसजी कमांडो के देर से पहुंचने के लिए सुरक्षा तंत्र की खिंचाई हुई तो हमलों की लाइव मीडिया कवरेज ने भी आतंकवादियों की खास मदद की कहां पर क्या हो रहा था इसकी जानकरी टीवी के जरिए आंतकियों को मिल रही थी.

तीन दिन तक आतंकियों से जूझते सुरक्षा बल
लगातार तीन दिन तक सुरक्षा बल आतंकवादियों से जूझते रहे. इस दौरान, धमाके में आग लगी, गोलियां चली और बंधकों को लेकर उम्मीद टूटती जुड़ती रही और ना सिर्फ भारत से सवा अरब लोगों की बल्कि दुनिया भर की नज़रें ताज, ओबेरॉय और नरीमन हाउस पर ही टिकी रहीं हुई थी.

होटल में मौजूद थे कई लोग
हमले के वक्त ताज में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर यूरोपीय संघ की संसदीय समिति के कई सदस्य भी शामिल थे, हालांकि इनमें से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ. हमलों की जब शुरुआत हुई तो यूरोपीय संसद के ब्रिटिश सदस्य सज्जाद करीम ताज की लॉबी में थे तो जर्मन सांसद एरिका मान को अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर छिपना पड़ा. ओबेरॉय में मौजूद लोगों में भी कई जाने माने लोग थे. इनमें भारतीय सांसद एनएन कृष्णादास भी शामिल रहें, जो ब्रिटेन के जाने माने कारोबारी सर गुलाम नून के साथ डिनर कर रहे थे.

imgpsh fullsize anim 8 5 -

नरीमन पॉइंट पर कब्जा
उधर, दो हमलावरों ने मुंबई में यहूदियों के मुख्य केंद्र नरीमन पॉइंट को भी कब्ज़े में ले रखा था. जिसमें कई लोगों को बंधक बनाया गया थे, फिर एनएसजी के कमांडोज़ ने नरीमन हाउस पर धावा बोला, जिसके बाद यह लड़ाई कई घंटों चली, इस लडाई में एक एनएसजी कमांडो की जान भी चली गई. हमलावरों ने इससे पहले ही रब्बी गैव्रिएल होल्ट्जबर्ग और छह महीने की उनकी गर्भवती पत्नी रिवकाह होल्ट्जबर्ग समेत कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया। बाद में सुरक्षा बलों को वहां से कुल छह बंधकों की लाशें मिली.

यह भी पढ़ें: बड़ी बेंच के पास गया सबरीमाला केस, जानिए क्या है पूरा मामला ?

कई लोगों की गई जाने
इस हादसे में लगभग 160 से भी ज्यादा लोगों की जाने चली गईं. 29 नवंबर की सुबह तक तकरीबन 9 हमलावरों का सफाया किया जा चुका था और अजमल क़साब के तौर पर एक हमलावर पुलिस को गिरफ्तार कर लिया गया. जिसके बाद पूरी स्थिति पर काबू पाया गया.