मक्का मस्जिद ब्लास्ट में नहीं मिले सबूत, असीमानंद सहित पाँचों आरोपी बरी

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मक्का मस्जिद ब्लास्ट में नहीं मिले सबूत, असीमानंद सहित पाँचों आरोपी बरी
2007 में हैदराबाद की प्रसिद्ध मक्का मदीना मस्जिद पर हुए विस्फोट के मामले में , मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद को सोमवार 16 अप्रैल को हैदराबाद के नामपल्ली कोर्ट ने बरी कर दिया है l स्वामी के साथ ही बाकी 5 और आरोपियों को भी बरी कर दिया गया है l कहा जा रहा है कि ,आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत के आभाव के कारण कोर्ट ने ये फैसला सुनायाl जांच के बाद इस घटना को लेकर दस लोगों को आरोपी बनाया गयाl

मक्का मस्जिद ब्लास्ट के सभी आरोपी
इसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल थे;
1- स्वामी असीमानंद
2- देवेन्द्र गुप्ता
3- लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी
4- लक्ष्मण दास महाराज
5- मोहनलाल रतेश्वर
6- राजेंद्र चौधरी
7- रामचंद्र कालसांगरा (फरार)
8- संदीप डांगे (फरार)
9-सुनील जोशी की जांच के दौरान गोली मारकर हत्‍या कर दी गई
देवेन्द्र गुप्ता ,लोकेश शर्मा ,लक्ष्मण दास महराज , मोहनलाल रतेश्वर और राजेंद्र चौधरी को भी स्वामी के साथ बरी कर दिया गया l

makkah masjid 1 news4social -

पूरा मामला आखिर है क्या ?

हैदराबाद में 18 मई 2007 को  क्या ?जुमे की नमाज के दौरान मक्का मस्जिद में एक ब्लास्ट हुआ था l इस विस्‍फोट में नौ लोगों की मौत हुई थी, जबकि 58 लोग घायल हुए थे l स्थानीय पुलिस की शुरुआती छानबीन के बाद मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया l इस केस की सुनवाई के दौरान 160 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे l सीबीआई ने एक आरोपपत्र दाखिल किया l इसके बाद 2011 में सीबीआई से यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास गयाl

पूर्व सचिव मणि कोर्ट ने  के फैसले पे जताई ख़ुशी
आरोपियों को बरी किये जाने को लेकर गृहमंत्रालय के पूर्व सचिव आर वी एस मणि ने कोर्ट के फैसले पे ख़ुशी जताते हुए कहा कि , मक्का मस्जिद मामले में झूठे सबूत पेश किये गये थे l इस केस में हिन्दू आतंकवाद का कोई एंगल नही था l शिवराज पाटिल और चिदंबरम पर आरोप लगाते हुए मणि ने कहा कि इन लोगो ने हिन्दू आतंकवाद का झूठ फैलाया था,और दोनों को ही अब देश से माफ़ी मांगनी चाहिए l
पिछले 11 सालों में आये कई मोड़
पिछले 11 सालों से ये केस कोर्ट में चल रहा था , जिसमे कई मोड़ आ चुके है l रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे को पुलिस पकड़ने में कामयाब नही हो पायी l वहीं आरोपी सुनील जोशी को जांच के दौरान ही गोली मार दी गयी थी l वहीं दूसरी तरफ गवाह बनने वाले 160 लोगों में से 54 चश्मदीद गवाह अपनी गवाही से मुकर गये थे l

एनआईए की तरफ से कहा गया कि कोर्ट के फैसले की  कॉपी मिलने के बाद ही  वे आगे कि कार्यवाही तय करेंगे l