2012 में जब गलती से 40 लाख रुपये एक व्यक्ति के बैंक एकाउंट में आ गए तो उसने इस बारें में कुछ पूछताछ नहीं की और इन पैसों को खर्च कर दिया। तमिलनाडु के तिरुपुर स्थित LIC एजेंट वी गुनसेकरन ने इसे एक हवा के झोंके के रूप में देखा। यह पता लगाने की कोशिश किए बिना कि राशि कैसे एकाउंट में कहाँ से आयी?
गुनसेकरन और उनकी पत्नी राधा एक प्रॉपर्टी ख़रीदी और जो पैसे बचे उन पैसों से अपनी बेटी की शादी की। आखिरकार कानून के लंबे हाथ ने उन्हें पकड़ लिया। तमिलनाडु की एक ट्रायल कोर्ट ने सोमवार को दंपति को गलती से अपने एक एकाउंट में जमा हुई पैसे को खर्च करने के लिए तीन साल कैद की सजा सुनाई।
ये पैसा स्थानीय क्षेत्र के विधायक और स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत सिविल कार्य लोक निर्माण विभाग दिया जाना था। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने तीन डिमांड ड्राफ्ट लेने के बाद पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता के बजाय गुनसेकरन के एकाउंट नम्बर को गलती से डाल दिया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, रक्कियापालयम के गुणसेकरन का निगम बैंक की तिरुपुर मुख्य शाखा में सेविंग एकाउंट था, वहीं वह भी खाता था जिसमे पैसे भेजने थे। राशि को गुनसेकरन के एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया था, लेकिन पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को आठ महीने तक इसकी जानकारी नहीं थी। जब उन्हें पता चला कि पैसा उनके एकाउंट में नहीं पहुंचा है, तो उन्होंने निगम बैंक अधिकारियों से संपर्क किया जिन्होंने कहा कि धनराशि डीडी में उल्लेखित खाते में जमा की गई थी।
जब बैंक अधिकारियों ने गुनसेकरन के खाते की शेष राशि की जाँच की, तो उन्होंने पाया कि इसके जमा होने के कुछ दिनों के भीतर पूरी राशि निकाल ली गई थी। कॉर्पोरेशन बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने गुनसेकरन से अनुरोध किया कि वे अपने खाते में धनराशि जमा करें ताकि बैंक उसे पुनः प्राप्त कर सके। लेकिन गुनसरन ने ऐसा नहीं किया।
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इसके बाद 2015 में सहायक महाप्रबंधक नरसिंह गिरि ने गुनसेकरन के खिलाफ तिरुपुर शहर की केंद्रीय अपराध शाखा (CCB) पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। CCB ने गनसेकरन और उसकी पत्नी राधा के खिलाफ 403 (संपत्ति की बेईमानी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। अब उन्हें उस पैसे का दुरुपयोग करने के चलते 3 साल की सजा सुनाई है।