त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में 76 फीसदी मतदान हुआ

230

18 फ़रवरी को गहगहमी के बीच त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव हुये. राज्य में भाजपा पिछले 25 साल से सत्तासीन वाममोर्चा को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रही है. त्रिपुरा विधानसभा की कुल 60 सीटों में से 59 पर शांतिपूर्ण मतदान हुआ. राज्य स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हजारों कर्मी तैनात किये गये थे. त्रिपुरा में रविवार को हुए विधानसभा चुनाव में 25.73 लाख  में से लगभग 76 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला.

Election 2 -

कुछ मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में गड़बड़ी की खबरें सामने आयीं और उन्हें दुरुस्त कर दिया गया. चुनाव आयोग ने दिल्ली में कहा कि नया मतदान प्रतिशत 59 निर्वाचन क्षेत्रों में से 41 से तैयार किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने वामपंथ के बचे खुचे किलों में से एक में भाजपा-आईपीएफटी चुनौती की अगुवाई की. बताया जा रहा है इस बार 13 फीसदी कम मतदान होने की वजह से चुनाव परिणाम में बड़ा उलटफेर हो सकता है. त्रिपुरा में कम वोट पड़ने की कई वजहें हो सकती है. लेकिन चुनावी पंडितों का कयास है कि इस बार वोटर्स में पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में कम उत्साह था. दूसरी तरफ ये भी माना जा रहा है कि चुनाव आयोग के सख्त रवैए से वोटिंग कम हुई है. हालांकि इस बीच मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना भी है क्योंकि मतदान समापन सीमा चार बजे के बाद भी मतदान केंद्रों पर बड़ी-बड़ी लाइनें देखी गयी.

त्रिपुरा विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने झोकीं ताकत

बीजेपी ने पूर्वोत्तर में अपने पैर पसारने के मकसद से त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी. इतना ही नहीं चुनाव आयोग की ओर से भी सख्त रवैया अपनाने के चलते माना जा रहा है कि इस बार वोटिंग कम हुई है. त्रिपुरा की राजनीति पर पैनी निगाह रखने वाले लोगों को भी लगता है कि कम वोटिंग इस बार के चुनाव नतीजे चौंका सकते हैं.

पिछले दो दशकों से त्रिपुरा की कमान संभाले हुए मुख्यमंत्री माणिक सरकार को पहली बार बीजेपी से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है.

बता दें २०१३ के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ सीपीएम को 48.11 फीसदी मतों के साथ 49 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस 36.53 फीसदी मतों के साथ 10 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर थी.