पिता के अपमान का बदला लेने के लिए बच्चे ने किया ऐसा काम जानकर हैरान रह जाएंगे आप

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पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई केस देखने को मिल चुके हैं जहां बच्चों ने अपने माँ-बाप का अपमान किया हो या उनकी अनदेखी कर दी हो. कई मामलों में तो कुछ व्यस्कों ने अपने माता-पिता की हत्या भी कर दी है. लेकिन दिल्ली के एक लड़के का अपने पिता के प्रति प्रेम का एक अनोखा मामला सामने आया है.

इस लड़के ने जिस तरह से अपने पिता के सम्मान की रक्षा की है और उनका साथ दिया है वो आपको थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन ये मामला आपको सोचने पर मजबूर कर देगा कि क्या सचमुच कोई बच्चा अपने पिता के सम्मान की रक्षा के लिए इस हद तक जा सकता है. दिल्ली के 14 साल के एक लड़के ने सुप्रीम कोर्ट की फर्ज़ी वेबसाइट बनाई और वहां से अपने पिता के पक्ष में नकली आदेश निकालकर लोगों को दिखाया.

हम ही जज, हम ही फैसला

पुलिस को दिए बयान में बच्चे ने बताया कि उसके नेत्रहीन पिता एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम करते थे. उन्होंने अनियमितताओं को लेकर प्रिंसिपल और प्रबंधन के खिलाफ कई शिकायतें की थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उसके पिता इस मामले को लेकर कोर्ट चले गए, लेकिन वह मुकदमा जीत ना सके. इसके बाद बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट की फर्ज़ी वेबसाइट बनाई और उस पर कुछ फर्ज़ी दस्तावेज़ अपलोड किए. उसने नकली ऑर्डर अपलोड किया.

बच्चा यहीं नही रुका, इसके बाद उसने खुद ही सुप्रीम कोर्ट के कई वरिष्ठ जज और उनके कर्मचारियों के रूप में ई-मेल भेज कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि यह नकली आदेश लागू भी हो जाए, ताकि उसके पिता की प्रतिष्ठा फिर से बहाल हो सके.

पिता की हालत देखा न गयी

लड़के ने केस की पूरी जानकारी देते हुए पुलिस को बताया, ‘हम कोर्ट में गए, लेकिन हमारा केस खारिज कर दिया गया. केस हारने के बाद मेरे पिता काफी तनाव और अवसाद में आ गए. मैंने लैपटॉप पर याचिका तैयार करने में उनकी मदद की थी और कोर्ट की वेबसाइट से उन्हें लगातार अपडेट भी दे रहा था. केस खारिज होने के बाद हमने यह विचार किया कि सुप्रीम कोर्ट की फर्ज़ी वेबसाइट बनाई जाए और हमने वहां अपने पक्ष में एक नकली आदेश भी अपलोड कर दिया.’

Hacker -

पुलिस के अनुसार बच्चे ने नकली कोर्ट का यह नकली ऑर्डर सोशल मीडिया मीडिया पर शेयर किया. इसके आलावा उसने अपने पिता की जान-पहचान के कई लोगों के पास मैसेजिंग ऐप्स से ये नकली आर्डर भेजा ताकि यह आधिकारिक लगे.

लम्बी है ये दास्तान

दिलचस्प बात ये है कि दोनों पिता-पुत्र सुप्रीम कोर्ट के फर्ज़ी ऑर्डर को लेकर चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गए और उसे लागू कराने का अनुरोध किया. वहां से सफलता न मिलने पर दोनों इसे लेकर हाईकोर्ट तक पहुंच गए. खुद को चीफ जस्ट‍िस के रूप में पेश करते हुए बच्चे ने यह ऑर्डर कॉपी हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ जज के पास भेज दिया कि इसका अनुपालन हो. बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट की एक फर्ज़ी मुहर भी बनवाई थी, ताकि उसके दस्तावेज़ असली लगे.

इस आर्डर पर हाईकोर्ट ने तो सुनवाई की तारीख भी तय कर दी, लेकिन जब सुनवाई शुरू हुई तो जज यह जानकार स्तब्ध रह गए कि ऑर्डर कॉपी और अन्य दस्तावेज फर्ज़ी हैं और इस तरह का ऑर्डर कभी दिया ही नही गया. पुलिस ने आपराधिक षडयंत्र का मामला दर्ज किया है.

एक ही जुर्म बार-बार

बच्चे को बाद में नाबालिग होने की वजह से जमानत मिल गई, लेकिन उसके पिता को तिहाड़ जेल में भेजा गया. लेकिन ज़मानत के बाद फिर बच्चे ने खुद को सुप्रीम कोर्ट का जज बताते हुए कई ई-मेल भेजे. इसमें उसने आदेश दिया कि पिता-पुत्र के ऊपर दर्ज एफआईआर हटाया जाए और उन्हें ज़मानत दी जाए. यही नहीं, बच्चे ने एक जांच अधिकारी का फर्ज़ी ई-मेल आईडी तैयार कर उसे स्कूल के प्रिंसिपल के पास भेजा.

जिसके बाद जांच अधिकारी ने कोर्ट में नए सिरे से आवेदन कर यह मांग की कि इस बच्चे को बाल सुधार गृह में रखा जाए और उसे दीर्घकालिक काउंसलिंग प्रदान की जाए. अब सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फर्ज़ी आदेश तैयार करने के मामले में इस लड़के के खिलाफ जांच चल रही है.