दिल्ली में आया कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्टस का अजब केस, डॉक्टरों ने बताए ये लक्षण
हाइलाइट्स
- डॉक्टर ने कहा- यह लक्षण एडेनेवायरस आधारित वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स जैसा
- डेनमार्क, जर्मनी और कनाडा में भी सामने आ चुके हैं इसी तरह के केस
- वैक्सीन के बाद इस तरह का साइड इफेक्ट्स 1 लाख में से 1 केस
नई दिल्ली
कोरोना वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और देश जल्द ही 100 करोड़ वैक्सीन डोज के माइलस्टोन तक पहुंचने वाला है। इस बीच, दिल्ली में कोरोना वैक्सीन साइडइफेक्ट्स का अजब मामला सामने आया है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन के बाद साइड इफेक्ट के रूप में खून के थक्के जमना और प्लेटलेट्स में कमी की परेशानी हो सकती है। राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल में इस तरह का मामला सामने आया है।
अब तक 7 मामले आए सामने
सर गंगा राम अस्पताल में हेमटोलॉजी विभाग की चेयरपर्सन डॉ ज्योति कोटवाल ने दावा किया कि उन्होंने अब तक ऐसे सात मामले देखे हैं। उन्होंने कहा कि पहला मामला जून में सामने आया था। उस समय एक युवा रोगी के सीरम का सैंपल आर्मी अस्पताल (रिसर्च और रेफरल) से भेजा गया था। गोल्ड स्टैंडर्ड टेस्ट में इसकी पुष्टि की गई थी। डॉक्टर ने कहा कि पांच सैंपल केरल के अस्पतालों से और एक दिल्ली के एक पड़ोसी प्राइवेट अस्पताल से आया है।
डेनमार्क, जर्मनी और कनाडा में भी इस तरह के केस
सर गंगाराम अस्पताल की डॉक्टर ने कहा कि कम प्लेटलेट्स कई स्थितियों के वजह से हो सकते हैं लेकिन, प्लेटलेट्स में कमी के साथ ही खून के थक्के होना बहुत ही रेयर है। ऐसा एडेनोवायरस-आधारित कोरोना वैक्सीन के साइडइफेक्ट के रूप में सामने आ चुका है। उन्होंने कहा कि डेनमार्क, जर्मनी और कनाडा से भी इसी तरह के मामले सामने आए हैं। अधिकारियों ने कहा कि सर गंगाराम अस्पताल भारत का एकमात्र अस्पताल है जिसके पास वैक्सीन से होने वाले थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की पुष्टि के लिए टेस्ट की सुविधा उपलब्ध हैं।
पहली डोज के 3-30 दिन के भीतर लक्षणों पर नजर
कोटवाल ने कहा कि यदि वैक्सीनेशन की पहली डोज के 3-30 दिनों के बीच लगातार सिरदर्द, उल्टी, चोट या खून बहने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं और प्लेटलेट काउंट कम होता है, तो डायग्नोसिस पर संदेह होता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, यदि डी-डायमर का लेवल बढ़ा हुआ है और PF हेपरिन एंटीबॉडी (HPF4IGG) मौजूद है, तो कोई भी डॉक्टरी सलाह ले सकता है। डी-डायमर ब्लड में माइक्रो क्लॉट्स से बनने वाला प्रोटीन होता है। यह शरीर के अंदर सामान्य खून के थक्का बनाने की क्रिया का हिस्सा होता है।
1.27 लाख डोज में सिर्फ 1 केस
सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा, विश्वस्तर पर, दुनिया से वैक्सीन के बाद थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (वीआईटीटी) की घटना 1,00,000 में 1 से 1,27,000 वैक्सीन खुराक में 1 है, जो अत्यंत दुर्लभ है। इसलिए इसके फायदे, खतरों (यदि कुछ हैं) से कहीं अधिक हैं। एम्स और लोक नायक जैसे अन्य प्रमुख अस्पतालों ने कहा कि उनके पास अभी तक ऐसे मामले नहीं आए हैं।
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