Puducherry Election Result : पुडुचेरी की हार के बाद दक्षिण से कांग्रेस का सफाया, जानें आखिरी किला छीनने वाले रंगासामी कौन

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Puducherry Election Result : पुडुचेरी की हार के बाद दक्षिण से कांग्रेस का सफाया, जानें आखिरी किला छीनने वाले रंगासामी कौन

Puducherry Election Result : पुडुचेरी की हार के बाद दक्षिण से कांग्रेस का सफाया, जानें आखिरी किला छीनने वाले रंगासामी कौन

हाइलाइट्स:

  • पुडुचेरी विधानसभा चुनाव हारने के बाद दक्षिणी राज्यों से कांग्रेस का सफाया हो गया
  • पुडुचेरी में भी आंतरिक कलह ने कांग्रेस को हाशिये पर धकेल दिया
  • 30 सदस्यीय विधानसभा के लिए 15 प्रत्याशी खड़ा करने वाली कांग्रेस दो सीटों पर सिमट गई
  • कांग्रेस को मात देने वाले एन. रंगासामी कभी कांग्रेस ही थे जो अब AINRC के अध्यक्ष हैं

नई दिल्ली
पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हारने के साथ ही दक्षिण में कांग्रेस का आखिरी किला भी ढह गया। हालांकि, वी. नारायणसामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार 22 फरवरी को ही पुडुचेरी की सत्ता से हट गई जिसके बाद वहां राष्ट्रपति शासन लग गया था, लेकिन 2 मई को आए विधानसभा चुनाव परिणाम ने उसकी वापसी की उम्मीद भी खत्म कर दी। कांग्रेस और डीएमके गठबंधन को ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस (AINRC) और बीजेपी के गठबंधन के हाथों शिकस्त मिली। इस जीत के सूत्रधार एआईएनआरसी चीफ एन. रंगासामी हैं जिनके सिर पर पुडुचेरी के मुख्यमंत्री का ताज रखा जाएगा।

दो सीटों से चुनाव लड़े थे रंगासामी
कांग्रेस को पुडुचेरी की सत्ता से बेदखल करने वाले रंगासामी के लिए यह चुनाव व्यक्तिगत रूप से खट्टा-मीठा अहसास लेकर आया। खट्टा इस लिहाज से कि उन्हें यनम (Yanam) सीट से महज 28 वर्ष के एक नौजवान के हाथों 1,000 से भी कम वोटों से शिकस्त खानी पड़ी। पुडुचेरी के दो बार मुख्यमंत्री रहे और 1990 को छोड़कर कभी चुनाव नहीं हारने वाले रंगासामी को इस हार से झटका तो जरूर लगा होगा। हालांकि, उन्होंने थट्टनचावड़ी (Thattanchavady) सीट से 5 से ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की है। रंगासामी को यनम सीट पर कांग्रेस के समर्थन प्राप्त निर्दलीय कैंडिडेट जीएस अशोक ने हराया तो थट्टनचावड़ी में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के के. सेतु को रंगासामी से हार का मुंह देखना पड़ा।

पिछले विधानसभा चुनाव में एकला चलो की नीति
पिछली विधानसभा चुनाव में रंगासामी ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया था। उनकी एआईएनआरसी को कांग्रेस ने हरा दिया जिसके बाद रंगासामी लगभग निर्वासन में रहने लगे। उसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव और दो उप-चुनाव में भी उनकी पार्टी को कांग्रेस-डीएमके गठबंधन से मात मिलती रही। लेकिन, रंगासामी ने वेट ऐंड वॉच की नीति अपनाई।

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इस बार बीजेपी से मिलाया हाथ

इस चुनाव से पहले बीजेपी, कांग्रेस और डीएमके, तीनों ने उनके सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखा। रंगासामी ने बीजेपी के साथ एनडीए जॉइन करने का फैसला किया। लेकिन, गठबंधन के बाद भी उन्होंने अपने पार्टी के सदस्यों को निर्दली के रूप में मैदान में उतार दिया। आज उनके पास चार निर्दलीय विधायक भी हैं जिनसे उन्हें और भी ज्यादा ताकत हासिल हो गई है। इसी तरह, बीजेपी के छह विधायकों के साथ रंगासामी की नई सरकार को कम-से-कम 20 विधायकों का समर्थन हासिल होगा।

पुडुचेरी में कांग्रेस की बड़ी हार

पुडुचेरी में कांग्रेस की यह बहुत बड़ी हार है। पार्टी ने अपने 15 कैंडिडेट खड़े किए जिनमें सिर्फ दो को जिताने में कामयाब रही। रमेश परंबथ (Ramesh Parambath) ने सीपीआई(एम) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार को महज 234 वोटों से जबकि एआईएनआरसी से कांग्रेस में गए वी. सामीनाथन (V. Saminathan) ने पांच हजार से ज्यादा मतों से बीजेपी कैंडिडेट को हराया।

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कांग्रेस का पुडुचेरी जैसा हाल कई राज्यों में
दरअसल, कांग्रेस कई अन्य प्रदेशों की तरह पुडुचेरी में भी आंतरिक कलह का ही शिकार बनी। वहां जनवरी-फरवरी महीने में चार विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस में दरार की शुरुआत मंत्री ए नमास्सिवयम और ई थीप्पैनजान से शुरू हुई। बाद में दोनों बीजेपी में शामिल हो गए। मंत्री मल्लाडी कृष्णा राव ने पहले सरकार से और फिर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। फिर ए जॉन कुमार ने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी जॉइन कर ली। इन सबसे पहले, जुलाई 2020 में ही एन धानवेलु को पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से विधायक पद के अयोग्य करार दिया गया था।

पुडुचेरी में भी भीतरघातियों ने कांग्रेस को किया चित

बहरहाल, कांग्रेस से पाला बदलकर एआईएनआरसी में आए केएसपी रमेश और वी. अरुमुगामे (V. Aroumougame) ने भी कांग्रेसी उम्मीदवारों को ही शिकस्त दी। वहीं, एआईएनआरसी के टिकट पर चुनाव लड़े एक और पूर्व कांग्रेसी के. लक्ष्मीनारायण ने डीएमके के एसपी शिवकुमार को हराया। कांग्रेस से बीजेपी में गए दो विधायकों ने भी जीत हासिल की। ए. नमास्सिवयम ने डीएमके, ए. जॉन कुमार ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराया तो उनके बेटे रिचर्ड जॉन कुमार ने डीएमके प्रत्याशी को पटखनी दी।

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कर्नाटक से लेकर तेलंगाना तक… हर जगह कांग्रेस हलकान

ध्यान रहे कि कांग्रेस पार्टी जुलाई 2019 में कर्नाटक में भी बड़े ही नाटकीय घटनाक्रम में अपनी सरकार गंवा दी थी। वहां कांग्रेस के 10 जबकि गठबंधन के साथी दल जनता दल (सेक्युलर) यानी JD(S) के तीन विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया। कर्नाटक ही नहीं बल्कि कांग्रेस को अपने विधायकों को लेकर हर राज्य में समस्या का सामना करना पड़ा।

गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना से लेकर गोवा तक में कांग्रेस छोड़कर जाने वाले विधायकों की लंबी फेहरिस्त है। जुलाई 2019 में ही दो कांग्रेस विधायकों ने राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग के बाद इस्तीफा दे दिया था। जून 2019 में तेलंगाना में पार्टी के 18 विधायकों में से 12 ने सत्तारूढ़ टीआरएस का दामन थाम लिया था। उसी वर्ष महाराष्ट्र में तो पार्टी के विधायक दल के राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था और मंत्री बन गए थे। गोवा में मुख्य मंत्री प्रमोद सावंत की कैबिनेट के एक तिहाई मंत्री पूर्व में कांग्रेसी ही रहे हैं। दरअसल, राज्यों में लंबे वक्त से सत्ता न होने और निकट भविष्य में कोई आस न दिखने पर कांग्रेसी विधायक पाला बदलने में ही भलाई समझने लगे थे।

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