AGR Explained : कुमार मंगलम बिड़ला की एक चिट्ठी ने बदल दी टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर, जानिए पूरा मामला

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AGR Explained : कुमार मंगलम बिड़ला की एक चिट्ठी ने बदल दी टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर, जानिए पूरा मामला

हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर बकाया के रूप में 1,19,292 करोड़ रुपये का पेमेंट करने को कहा है।
  • भारती एयरटेल पर एजीआर का 43,980 करोड़ बकाया है, जबकि वोडाफोन को 58,254 करोड़ रुपये का पेमेंट करना है।
  • गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही वोडाफोन आइडिया ने सिर्फ 7,854 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

नई दिल्ली
आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group) के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला (Kumar Mangalam Birla) की एक चिट्ठी ने टेलीकॉम सेक्टर (Telecom Sector) की तस्वीर बदल दी। सरकार ने बुधवार को टेलीकॉम सेक्टर के लिए बेलआउट पैकेज का एलान किया। उसने इस सेक्टर में बड़े रिफॉर्म्स की भी घोषणा की। बहुत हद तक इसका श्रेय कुमार मंगलम बिड़ला को जाता है। भारी कर्ज और एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के बकाया के बोझ से दबी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) को डूबने से बचाने की गुहार उन्होंने सरकार से लगाई थी।

बिड़ला ने सरकार को 2 अगस्त को चिट्ठी लिखकर कहा था कि अगर सरकार मदद के लिए आगे नहीं आती है तो वोडाफोन आइडिया दिवालिया हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा था कि इस कंपनी का अस्तित्व बचाने के लिए वह अपनी हिस्सेदारी किसी सरकारी या घरेलू फाइनेंशियल कंपनी को देने को तैयार हैं। बिड़ला ने कैबिनेट सेक्रेटरी (Cabinet Secretary) राजीव गौबा को लिखे पत्र में यह बात कही थी। कुमार मंगलम बिड़ला वोडाफोन इंडिया के प्रमोटर और चेयरमैन थे। हालांकि, इस चिट्ठी के कुछ ही दिन बाद उन्होंने यह पद छोड़ दिया था। अभी वोडाफोन आइडिया में आदित्य बिड़ला समूह की 27 फीसदी और ब्रिटेन की वोडाफोन पीएलसी की 44 फीसदी हिस्सेदारी है।

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आखिर क्या है एजीआर जिसने टेलीकॉम कंपनियों खासकर वोडाफोन आइडिया के वजूद तक को खतरे में डाल दिया? आइए इस बारे में जानते हैं। भारती एयरटेल पर एजीआर का 43,980 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि वोडाफोन को 58,254 करोड़ रुपये का पेमेंट करना है। इसमें से वोडाफोन आइडिया ने 7,854 करोड़ रुपये चुका दिया है। भारती एयरटेल ने 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान सरकार को किया है। बुधवार को सरकार ने एजीआर बकाया के मामले में टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत दी है।

क्या है एजीआर?
टेलीकॉम कंपनियों को ‘रेवेन्यू शेयर’ के रूप में सरकार को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्ज का भुगतान करना पड़ता है। इस रेवेन्यू शेयर के कैलकुलेशन के लिए जिस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है, उसे एडजस्टेड ग्रास रेवेन्यू यानी एजीआर कहा जाता है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युकेशंस (DoT) के मुताबिक, एजीआर का हिसाब लगाने के लिए टेलीकॉम कंपनी के सभी तरह के रेवेन्यू को शामिल करना जरूरी है। इसमें नॉन-टेलीकॉम रेवेन्यू भी शामिल हैं। जैसे डिपॉजिट पर कंपनी को मिलने वाला ब्याज या किसी संपत्ति की बिक्री से होने वाली कमाई। हालांकि, कंपनियां कैलकुलेशन के इस तरीके से नाखुश रही हैं। उनकी दलील है कि एजीआर में सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली इनकम शामिल होनी चाहिए। नॉन-टेलीकॉम रेवेन्यू को इससे बाहर रखा जाना चाहिए।

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इस मसले को लेकर टेलीकॉम कंपनियों और डीओटी की लड़ाई 2005 में ही शुरू हो गई थी। टेलीकॉम कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने एजीआर के कैलकुलेशन के लिए डीओटी की परिभाषा को चुनौती दी थी। 2015 में टीडीसैट ने इस मामले में फैसला दिया। उसने कहा कि एजीआर में कैपिटल रिसीट और नॉन-कोर स्रोत से होने वाली आमदनी को छोड़ सभी तरह की आमदनी शामिल होगी। रेंट, फिक्स्ड एसेट की बिक्री से होने वाले मुनाफे, डिविडेंड आदि को नॉन-कोर स्रोत माना गया।

आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 के अपने फैसले में टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को एजीआर बकाया के रूप में 1,19,292 करोड़ रुपये का पेमेंट करने को कहा। इसमें से भारती को 43,980 करोड़ रुपये चुकाना था, जबकि वोडाफोन को 58,254 करोड़ रुपये का पेमेंट करना था। वोडाफोन आइडिया ने 7,854 करोड़ रुपये चुका दिया है। भारती एयरटेल ने 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान सरकार को किया है।

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