अमेरिकी नागरिकों से लाखों डॉलर की ठगी, बेचते थे वायग्रा

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आज के दौर में इंटरनेट पे आम लोग कितने कुछ सर्च करते ही रहते हैं। लोगों को जरा सा भी अहसास नहीं होता कि ठगी के धंधे से जुड़े लोग किसी खास सॉफ्टवेयर से सर्च करने वालों लोगो का अक्सर डिटेल निकाल लेते हैं। फिर उसी डिटेल से उनसे संपर्क करते हैं और उन्हें अपने ट्रैप में लेकर लाखों-करोड़ों की ठगी करते हैं।

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पुलिस ने छापा मार कर 8 लोगों को किया गिरफ्तार :-

कुर्ला के सारा बाजार बिजनेस सेंटर में स्पीड टेक्नोलॉजी के ऑफिस में अवैध कॉल सेंटर चलने की सूचना पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट 5 को मिली। पुलिस ने यहां छापा मार कर 8 लोगों को गिरफ्तार किया जो कई अमेरिकियों को प्रतिबंधित दवाएं बेचने के नाम पर उनसे लाखो रूपये के डॉलर की ठगी की थी। एसीपी नेताजी भोपले और सीनियर इंस्पेक्टर अशोक खोत की टीम ने इनके पास से 11 हार्ड डिस्क, 1 सर्वर, 12 मोबाइल फोन, वाई-फाई राउटर व अन्य सामान जब्त किया है।
जानिए क्या था मामला?
पुलिस के मुताबिक, यहां से अमेरिका VOIP द्वारा फोन कर अमेरिकी नागरिकों से संपर्क किया जाता था और उन्हें वियाग्रा सहित अन्य प्रतिबंधित द्वावायें बेचीं जाती थी। ये लोग go auto deal नाम के एक ऐप का प्रयोग करते थे जीससे अमेरिकी नागरिको को यही लगता था कि बात करने वाला अमेरिका से ही बात कर रहा है। इसके बाद ये लोग अमेरिकी नागरिकों से डॉलर से ऑनलाइन पेमेंट करवाते और उसे ‘गेटवे’ के द्वारा भारतीय रूपये में कन्वर्ट कर लेते थे।

अमेरिकी लोगों की थी सूची :-

इन लोगों के पास उन सभी अमेरिकी लोगों की पूरी लिस्ट थी, जो गूगल में सेक्स बढ़ाने वाली मेडिसिन वायग्रा व अन्य दवाएं सर्च करते थे। फिर ये लोग इन अमेरिकी लोगों को कॉल करके सस्ते रेट पर दवा देने का ऑफर देते थे। इंस्पेक्टर योगेश चव्हाण, विश्वनाथ जाधव और महेंद्र पाटील को गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि 150 वायग्रा को 100 डॉलर में, 350 को 200 और 500 वायग्रा को 250 डॉलर में बेचने का अमेरिकियों को लॉलच दिया जाता था। जब सामने वाला इस लालच में आ जाते थे, तो उसे एक बैंक अकाउंट नंबर दिया जाता था और उसमें रकम ट्रांसफर करने को कहा जाता था।

आरोपियों के वकील का बयान :-

इन आरोपियों के वकील अजय उमापति दुबे ने इन गिरफ्तारियों का यह कहकर विरोध किया कि इस केस में कोई भी शिकायतकर्ता नहीं है। उन्होंने कोर्ट में मुंबई क्राइम ब्रांच से पूछा कि यदि अमेरिकी ठगे गए, तो क्या उन्होंने अमेरिकी दूतावास के जरिए भारत में कोई शिकायत की? क्राइम ब्रांच ने सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 419, 420 और 34 के अलावा आईटी ऐक्ट के सेक्शन 66(बी)(सी)(डी) भी लगाए हैं।

जांच में पता चला है :-

जांच में पता चला है कि ये सारे अकाउंट्स नंबर पुणे का एक व्यक्ति मैनेज करता था। वह ही अकाउंट्स में आए डॉलर्स को भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट करता था। जांच में यह भी पता चला है कि पुणे के इस आरोपी के सिर्फ एक अकाउंट में ही 66 हजार 298 डॉलर ट्रांसफर हुए। क्राइम ब्रांच उसके अन्य बैंक खातों की भी जांच कर रही है।

सच बात तो ये है की, जिन अमेरिकियों ने वायग्रा व अन्य दवाओं के ऑर्डर दिए, उन्हें कभी कोई दवा भेजी ही नहीं गई।