गौरक्षा पर अरुण जेटली की सख्ती ।

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गौरक्षा पर अरुण जेटली की सख्ती ।

गोहत्या के नाम पर देश के विभिन्न स्थानों पर हो रही हिंसक घटनाओ को केंद्र ने किसी भी तरह तर्क संगत मानने से इंकार किया है। सरकार ने गुरुवार को कहा कि ऐसे लोगो के साथ कोई सहानुभूति नहीं दिखाई जा सकती और गोरक्षा के नाम पर अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

दलितों और अल्पसंख्यंकों के खिलाफ उत्पीड़न के मुद्दे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में कहा, इस तरह कि हिंसा को तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ग्रह मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही ऐसी घटनाओ की निंदा कर चुके है। उन्होंने कहा कि गाय के प्रति सम्मान एक अलग विषय है, लेकिन इसे किसी के प्रति हिंसा का आधार नहीं बनाया जा सकता है।

जेटली ने कहा कि हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र है और यहाँ सबको बराबरी व धार्मिक विश्वास का अधिकार है। हमारी संस्कृति आपसी मतो का सम्मान करने की रही है। जेटली ने कहा, ऐसी घटनाओं को रोकने और उन पर कार्यवाई करने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। क़ानून अपना करेगा और करता रहेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तरह कि हिंसा की हर घटना पर कानूनी कार्यवाई समुचित ढंग से हुई है, जो भी अपराध में शामिल है उन पर आरोप-पत्र दाखिल किये जायँगे और अभियोजन चलाया जाएगा। जेटली ने कहा कि गृह मंत्री ने पैर में चोट लगी होने के बावजूद उन्होंने ऐसे प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री में खुद बातचीत कर हालात का जायजा लिया और वारदात में शामिल आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर जानकारी मांगी।

कांग्रेस ने कानून लागू किया
राज्यसभा में नेता सदन अरुण जेटली ने कहा कि आजादी के बाद केरल और पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर सहित कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकतर प्रदेशो की तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने गोवध पाबंधी का कानून लागू किया था। उन्होंने कांग्रेस को याद दिलाया कि अब उसके नेता और एक बड़े राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि अवसर आया तो उन्हें बीफ खाने से कोई परहेज नहीं रहेगा ।