मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार (9 जुलाई) को उप-राज्यपाल अनिल बैजल को चिट्ठी लिखी। सीएम ने हैरानी जताई है कि वह (एलजी) सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने में ‘चयनात्मक’ कैसे हो सकते हैं? दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच सत्ता संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उसे लागू करने के एलजी के तरीके पर केजरीवाल ने सवाल खड़े किए हैं। सीएम ने बैजल से शीर्ष अदालत के आदेश को ‘जस का तस’ लागू करने की दरख्वास्त की है। केजरीवाल ने कहा कि गृह मंत्रालय के पास आदेश की व्याख्या करने का अधिकार नहीं है।
एलजी को अपनी चिट्ठी में केजरीवाल लिखते हैं, ”आपने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैरा 277 (xxi) पर सहमति दी है जो कहना है कि एलजी की सहमति की जरूरत नहीं है। हालांकि आप इसी आदेश के पैराग्राफ 277 (xiv), (xv) और (xvi) को लागू करने से मना कर रहे हैं जो कहता है कि केंद्र की विधायी शक्तियां केवल 3 विषयों तक सीमित हैं। अपने समर्थन में आप आदेश के पैराग्राफ 278 का हवाला देते हैं जो कहता है कि ‘उचित नियमित बेंच के समक्ष मामले लाए जाएं।’ आपने कहा है कि चूंकि अब मामलों को नियमित बेंच के सामने रखा जाएगा, इसलिए आप उस नियमित बेंच के आदेश का इंतजार करेंगे।”
केजरीवाल ने आगे एलजी से पूछा है, ”मगर आप कैसे आदेश को मानने में चयनात्मक हो सकते हैं? या तो आप यह कहिए कि अब सभी मामले नियमित बेंच के पास जाएंगे और इसलिए, आप आदेश का कोई हिस्सा लागू नहीं करेंगे। या फिर आप पूरा आदेश मानिए और उसे लागू कीजिए। आप यह कैसे कह सकते हैं कि मैं यह आदेश का यह पैराग्राफ मानूंगा और इसी आदेश का यह हिस्सा नहीं मानूंगा?”
पत्र के आखिर में केजरीवाल ने लिखा है, ”मैं आपसे दोबारा गुजारिश करूंगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अक्षरश: पालन कीजिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश की व्याख्या करने का अधिकार नहीं है। अगर आपको कोई भ्रान्ति है तो तुरंत माननीय सुप्रीम कोर्ट जाइए मगर कृपया सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना मत कीजिए।”
Delhi CM writes letter to LG Anil Baijal writes ‘You agreed with Para 277 (xxi) of SC’s judgement which says concurrence of LG is no required. However you refuse to implement Para 277 (xiv), (xv) & (xvi) of the same judgement. How can you be selective in accepting the judgement?’ pic.twitter.com/exsIdMbXEW
— ANI (@ANI) 9 July 2018