वट वृक्ष यानि की बरगद औषधीय गुणों से लैस है। इसकी जड़ें, पत्ते, छाल और रस मानव शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है। ऐसा भी माना जाता है कि वट वृक्ष की जड़ें ब्रह्म, छाल विष्णु और शाखाएं शिव हैं और सुख और संपत्ति की देवी के रूप में विश्वभर में पूजे जाने वाली लक्ष्मी जी भी इस वृक्ष पर आती हैं। वट वृक्ष कमर, जोड़ों के दर्द, मधुमेह और मुंह संबंधी तमाम रोगों में एक औषधि के रूप में काम आता है। धार्मिक के साथ-साथ चिकित्सा क्षेत्र में भी वट वृक्ष एक अहम भूमिका निभाता है। वट वृक्ष के पत्तों का दूधिया रस एक दवाई के रूप के काम करता है। इसे लगाने से जलन में राहत मिलती है।
गठिया, जोड़ों का दर्द और सूजन में भी एक रामबाण औषधि है। तिल के तेल के साथ ताजा बरगद के पत्तों का लेप फोड़े आदि संक्त्रमण से राहत पहुंचता है। इसके उपयोग से घाव जल्दी सूख जाते हैं।अगर पत्तियों को पीसकर लेप बनाया जाए और मालिश करें तो खुजली आदि की समस्या दूर होती है।
इसमें मोटापे और पेट संबंधी तमाम बीमारियों से छुटकरा दिलाने वाले गुण शामिल हैं। त्वचा संबंधी रोगों से राहत में यह अच्छा काम करता है। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी कारगर है।नेत्र संबंधी विकारों में भी बरगद का पेड़ काफी राहत पहुंचता है। अगर बरगद की छाल का उपयोग करे तो यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुणों से लैस होते है और इसके काढ़ा के सेवन से इम्यूनिटी बढ़ती है।
इस पेड़ के पत्ते और जड़ का प्रयोग सर्दी जुकाम और बुखार से लेकर डायबिटीज और पिंपल्स जैसे त्वचा रोगों में भी अत्यंत लाभकारी है। अब आप इसके महत्व को समझ गए होंगे बरगद का पेड़ कितना लाभदायक है और कितनी बीमारियों को दूर कर सकता है, जिसके लिए न जाने लोग कितना पैसा खर्च कर बैठते है और डॉक्टर के क्लिनिक के चक्कर लगते है।