जैसलमेर: राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टी चुनावी प्रचार में जुटी हुई है. राजस्थान में अपनी पार्टी का झंडा गढ़ने के लिए दोनों ही पार्टियों के बीच चुनावी बिसात बिछी हुई है.
आपको बता दें कि राजस्थान के जैसलमेर और पोकरण में जातिगत गोलबंदी को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन दलित मतदाताओं को लुभाने में कांग्रेस भाजपा पार्टी से आगे नजर आ रहीं है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ‘भीम सेना’ नामक समूह है जो कांग्रेस के पक्ष में ‘डोर टू डोर’ प्रचार कर रहीं है.
‘भीम सेना’ से जुड़े कुछ लोगों का आरोप है कि पीएम मोदी सरकार और वसुंधरा राजे सरकार में दलित समुदाय के लोगों और उनके मिले संवैधानिक अधिकारों को निशाना बनाया गया है, इसलिए ये लोग दोनों सरकारों को सबक सिखाना चाहती है. इस समूह के कार्यकर्त्ता दलितों की बस्तियों में जाकर जैसलमेर और पोकरण विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में वोट करने की सलाह दें रहे है. ये ही नहीं ये लोग सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सऐप का भी बड़े पैमाने में इस्तेमाल कर रहें है.
‘कांग्रेस के पक्ष में वोट डालने की अपील
‘भीम सेना’ के अध्यक्ष कैलाश चंद नागौरा ने कहा है कि हमारा संगठन इस इलाके में पिछले 5 सालों से सक्रिय है. इस दौरान हमारे करीब एक हजार सदस्य दोनों सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में ‘डोर टू डोर’ प्रचार करने में जुटे हुए है. जब नागौरा से पूछा कि बसपा और अन्य विक्लपों के होते हुए भी ‘भीम सेना’ कांग्रेस का समर्थन क्यों कर रहीं है, तो उन्होंने कहा हमारा मकसद दलित विरोधी भाजपा को सबक सिखाने से है.
नागौरा ने आरोप लगाया है कि केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद से दलितों के संवैधानिक अधिकारों को हमेशा से निशाना बनाया जा रहा है. कभी-कभी एससी-एसटी कानून को कमजोर करने की कोशिश की जाती है तो कभी-कभी आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने की धमकी दी जाती है. अब दलित समाज खासकर हमारे युवा अपने अधिकारों को लेकर अधिक सतर्क हो गए है. दूसरी तरफ बीजेपी का कहना है कि ‘भीम सेना’ के प्रचार और उनके समर्थन से हमे कोई फर्क नहीं पड़ता है. क्योंकि दलित समाज जानता है कि नरेंद्र मोदी सरकार एवं वसुंधरा राजे की सरकार में उनके लिए बहुत काम हुआ है.