Bhopal Gas Tragedy- फिर दुनिया कभी नहीं सुन पाई शकीला बानो की आवाज | bhopal gas tragedy qawwali singer shakeela bano bhopali story | Patrika News

204

Bhopal Gas Tragedy- फिर दुनिया कभी नहीं सुन पाई शकीला बानो की आवाज | bhopal gas tragedy qawwali singer shakeela bano bhopali story | Patrika News


भोपाल। हिन्दुस्तान ही नहीं, अफ्रीका, कुवैत और इंग्लैंड में इस गायिका के दीवाने मौजूद हैं। इस महिला कव्वाल के गीतों को चाहने वालों में ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार और जैकी श्रॉफ भी थे। किसी भी देश में कव्वाली का कार्यक्रम होता था तो यह लोग दौड़े चले आते थे। गैस त्रासदी की वो मनहूस रात इस गायिका ने अपनी आवाज खो दी थी।

गैस त्रासदी की बरसी के मौके पेश है महिला कव्वाल शकीला बानो की दास्तां, जिसे हर साल लोग याद करते हैं…। इस हादसे में शकीला की आवाज चले गई थीं।

 

Qawwali singer शकीला की कव्वाली को पसंद करने वाले कहते हैं कि उनका इंतकाल 16 दिसंबर 2002 को हुआ था, लेकिन शकीला तो 2-3 दिसंबर 1984 की रात को ही खत्म हो गई थी। जिंदा रहते हुए भोपाल गैस त्रासदी में उनकी आवाज चले गई थी। दुनियाभर में फेमस किसी गायिका की आवाज एक पल में चले जाए, इसका दर्द शायद ही कोई समझ सकता है।

 

  • यह भी पढ़ेंः विश्व की सबसे बड़ी गैस त्रासदी, 32 साल बाद दुनिया के सामने आया था गद्दारों का नाम

गैस कांड के बाद जैकी श्रॉफ ने की मदद

भोपाल गैस त्रासदी में आवाज छिन जाने के बाद शकीला अक्सर बीमार रहने लगी। उन्हें दमा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहने लगी थी। जब वे ज्यादा बीमार रहने लगी तो जैकी श्रॉफ से रहा नहीं गया और वे उनकी मदद के लिए आगे आए। हालांकि अंतिम दौर में पहुंच चुकी शकीला ने सबकुछ अपने भाग्य के भरोसे छोड़ दिया था।

01_4.png

पर्दे से बाहर निकली एक मुस्लिम महिला

उस जमाने में मुस्लिम महिला का घर के पर्दों से बाहर निकलना भी बेहद बड़ी बात माना जाता था। तब यह महिला कव्वाल न सिर्फ चहार दिवारी से बाहर निकली, फिर पुरुषों के सामने बैठकर अपनी कव्वाली का जलवा भी दिखाया। बेहद ही बेबाक और दबंग अंदाज वाली शकीला की चर्चा होने लगी थी। उन्हें स्टेज के साथ ही फिल्मों में ही कव्वाली गाने का मौका मिला।

 

शकीला बानो ने विवाह नहीं किया। उनके परिवार में एक बहन और एक भाई हैं। उनके साथ बाबू कव्वाल के साथ उनकी जोड़ के चर्चे आज भी किए जाते हैं। दोनों के बीच कव्वाली का मुकाबला श्रोताओं को बांधे रखता था। 50 के दशक में शकीला बॉलीवुड में पैर जमाने में सफल हो गई। उस दौर के सुपर स्टार दिलीप कुमार भी शकीला के फैन हो गए। वे दिलीप के बुलावे पर मुंबई पहुंची तो लोगों ने उन्हें काफी सराहा।

 

1957 में निर्माता जगमोहन मट्टू ने फ़िल्म ‘जागीर’ में एक्टिंग करने का मौका दिया। इसके बाद उन्हें सह-अभिनेत्री, चरित्र अभिनेत्री की भूमिका मिलती रही। एचएमवी (HMV) कंपनी ने 1971 में उनकी कव्वाली का पहला एलबम रिलीज किया तो शकीला बानो हिन्दुस्तान ही नहीं दुनियाभर में पहचान बनाने में कामयाब हो गई।

उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News