Budget 2022: बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से क्या मांगे मिडिल क्लास

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Budget 2022: बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से क्या मांगे मिडिल क्लास

नई दिल्ली: अब से सिर्फ 10 दिनों बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साल 2022 का बजट पेश करने जा रही हैं। बजट से आम लोगों को काफी उम्मीदें हैं। अगर आप भी यह समझना चाहते हैं कि इस बार के बजट से देश के मध्य आय वर्ग के लोग क्या चाहते हैं तो हम आपको इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

डायरेक्ट टैक्स पर बने टास्क फोर्स ने साल 2003 में यह सुझाव दिया था कि इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 88 के तहत दिए गए रिबेट को हटा लेना चाहिए।इसके बाद साल 2006 के बजट में इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 88 के सभी सब सेक्शन को हटा दिया गया था। इस तरह के सभी प्रस्ताव को इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80c के तहत जोड़ दिया गया था। अगर बात इनकम टैक्स छूट की करें तो ₹1,00,000 तक के टैक्स बचत वाले निवेश या खर्च को ग्रॉस टोटल इनकम में घटाने की सुविधा दी गई थी।

टैक्स बचत वाले निवेश की गुंजाइश कहां?
अगर आप दिल्ली एनसीआर में रहते हैं और आपके दो बच्चे हैं तो उनके ट्यूशन फीस पर सरकार आपको टैक्स बचत का लाभ देती है। सेक्शन 80c के तहत इस तरह के खर्च पर सालाना ₹1.5 लाख की बचत की जा सकती है। सवाल यह है कि 2 बच्चों की ट्यूशन फीस के रूप में अगर आप हर साल ₹1,44,000 चुकाते हैं तो इसके बाद टैक्स बचत करने वाले निवेश की गुंजाइश नहीं बच जाती। ₹6000 हर महीने एक बच्चे की ट्यूशन फीस दिल्ली एनसीआर के सबसे कम स्कूल फीस में से शामिल है।

80C के तहत निवेश की सीमा बढ़ी
बाद में इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80c के तहत आने वाले इस तरह के निवेश की सीमा को बढ़ाकर डेढ़ लाख कर दिया गया था। डायरेक्ट टैक्स पर बने टास्क फोर्स ने इनकम टैक्स कानून में कई बड़े बदलाव करने का सुझाव दिया था। डायरेक्ट टैक्स पर बने टास्क फोर्स ने सुझाव दिया था कि स्टैंडर्ड डिडक्शन को हटा देना चाहिए। इसके बाद स्टैंडर्ड डिडक्शन को हटा दिया गया था, लेकिन साल 2018 में इसे दोबारा शुरू कर दिया गया।

स्टैंडर्ड डिडक्शन की शुरुआत

पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन की रकम ₹40,000 थी जिसे बाद में बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया गया है। मौजूदा केंद्र सरकार ने वेतन पाने वाले लोगों को कई सुविधाएं देने की कोशिश की है। देश में करदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2021 के बजट में पर्सनल इनकम टैक्स स्ट्रक्चर में कई सुधार किए थे, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसका असर नहीं देखा जा सका है।

सरकार ने बनाए दो तरह के स्लैब
सरकार ने नए टैक्स प्रावधान में दो टैक्स स्लैब बना दिए। एक में टैक्स बचत वाले निवेश या घर पर छूट पाना शामिल था, जबकि दूसरा बिना किसी छूट के सीधे दर से टैक्स चुकाने की सुविधा थी। सरकार ने यह साफ किया था कि उसका उद्देश्य है कि देश में बहुत सामान्य सा टैक्स कानून बने जिसमें लोगों को ज्यादा दिक्कत नहीं आए।

सरकार को क्या करना चाहिए?
अगर देश में करदाताओं की संख्या के हिसाब से बात करें तो 90 फ़ीसदी करदाता की करयोग्य आमदनी ₹10 लाख से कम है। अगर इस साल दायर किए गए छह करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न की बात करें तो इसका अर्थ यह है कि 5.4 करोड़ लोगों का टैक्सेबल इनकम ₹10 लाख से कम है। भारत की इकोनामी के साइकिल को तेज करने के लिए सरकार को खपत और बचत दोनों का ध्यान रखने की जरूरत है। सरकार को करदाताओं के हाथ में अधिक पैसा देकर देश में डिमांड बढ़ाने में मदद मिल सकती है। सरकार को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि लोगों के इंसेंटिव खत्म करने से ईमानदार करदाताओं पर बोझ बढ़ेगा।

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