क्या रमज़ान में रोज़ा रखने से कोरोना वायरस से बच सकते है?

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क्या रमदान में रोज़ा रखने से कोरोना वायरस से बच सकते है?

क्या रमज़ान में रोज़ा रखने से कोरोना वायरस से बच सकते है

रमजान का पवित्र माह शुरू होने के साथ अब रोजेदारों को रोजा खोलने के दौरान प्रयोग होने वाले खजूर व फलों की आपूर्ति की चिंता सताने लगी है। कई लोगों का कहना है कि रमजान माह में शाम के वक्त प्रशासन यदि फल वालों को एक-दो घंटे की छूट दे दे तो इस समस्या का हल हो जाएगा। रमजान माह की शुरूआत 25 या फिर 26 अप्रैल से होगी। हर किसी को रमजान का चांद को दिखने का इंतजार है।

रमज़ान में रोज़ा

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के साथ घरों में रमजान की तैयारी शुरू हो गई हैं। प्रशासन की ओर से रमजान माह को ध्यान में रखते हुए ही होम डिलीवरी वाले सामान में खजूर को शामिल करने के भी निर्देश दिए हैं।

वहीं ऐसा रिसर्च में कही नहीं पाया गया की रोज़ा रखने से आप कोरोना वायरस से बच सकते है ,क्यों की पेट खली रहने पर इम्युनिटी कमज़ोर पड़ जाती है जिससे शरीर की रक्षा प्रणाली पड़ जाती है, इसी कारण देश के बहुत सारे मुस्लिम जानकारों ने सरकार की बात को ही अमल करने को कहा है।

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पूर्व सभासद हादी हसन अंसारी कहते हैं कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन का पालन करना ही एक उपचार है। परंतु मेरी पुलिस व जिला प्रशासन से गुजारिश है कि वह रमजान माह में कोई ऐसी व्यवस्था करें ताकि रोजेदारों के लिए रुहअफ्जा, खजूर एवं फलों की व्यवस्था हो सके। उन्होंने लोगों से कहा कि नमाज एवं तरावीह को घरों पर पढ़ें।

कोरोना वायरस महामारी के दौर में मुस्लिमों की धार्मिक संस्थाएं मुसलमानों से अपील कर रही हैं. रमजान के मौके पर स्वास्थ्य विभाग की नसीहतों का पालन करने को कह रही हैं. इसके अलावा संस्थाएं मुसलमानों को इबादत के वक्त भी भीड़भाड़ करने से मना कर रही हैं.

इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने रमजान को लेकर गाइडलान्स जारी की है. जिसमें रमजान के दौरान अहम बातों का ध्यान रखने को कहा गया है.

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WHO ने कहा है कि रमजान के मौके पर सामाजिक और धार्मिक इजतिमा होता है. जिसमें एकट्ठे होकर रोजा खोलना, मस्जिद में इकट्ठा होकर तरावीह पढ़ना, महीने के आखिरी दस 10 दिन-रात में ‘एतकाफ’ (एकांत होकर इबादत) करना शामिल है. ये पारंपरिक कार्यक्रम पूरे महीने चलता रहता है.

इस साल रमजान कोरोना वायरस महामारी के बीच पड़ रहा है. चूंकि लोगों के बीच संपर्क से वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है. इसके प्रभाव को कम करने के लिए बहुत सारे देशों ने सोशल डिस्टेंसिंग लागू किया है. लिहाजा WHO गाइडलाइन्स जारी कर रमजान के मौके पर विशेष सावधानी बरतने की अपील कर रहा है.

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