Samaj Sudhar Yatra: 2 साल में 4 ‘यात्रा’ कर नीतीश ने किया था विपक्ष का सफाया, अब किसकी बारी? जानिए

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Samaj Sudhar Yatra: 2 साल में 4 ‘यात्रा’ कर नीतीश ने किया था विपक्ष का सफाया, अब किसकी बारी? जानिए

पटना

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोविड काल में पहली बार एक यात्रा पर निकल रहे हैं। ओमीक्रॉन खतरे के बीच समाज सुधार यात्रा की जरूरत पर सवाल जरूर खड़े हो सकते हैं। लेकिन, नीतीश कुमार का इतिहास रहा है, जब वे खुद को कमजोर समझते हैं, यात्राओं पर निकलते हैं। जनसमर्थन के जरिए अपनी ताकत को बढ़ाकर विरोधियों को चित करने में कामयाब होते हैं।

‘यात्रा’ के बहाने सियासत साधने की कोशिश?

ऐसे समय में जब बिहार में शराबबंदी के फैसले पर समीक्षा की मांग शुरू हो गई है। विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल हमलावर है। शराबबंदी के बाद भी प्रदेश में जहरीली शराब से मौत के मामले सामने आ रहे हैं। बड़ी मात्रा में अवैध शराब पकड़े जा रहे हैं। शराब के नाम पर लोगों के बेडरूम तक पुलिस पहुंच रही है। इसको लेकर विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी भारतीय जनता पार्टी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के भी सुर बदले हुए हैं। विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड सीटों के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंची थी। ऐसे में मुख्यमंत्री पर राजनीतिक दबाव भी काफी अधिक है। इन तमाम दबावों से निपटने के लिए नीतीश कुमार ने आजमाए नुस्खे ‘यात्रा’ को उपाय बनाया है। उनके यात्रा का इतिहास शानदार रहा है। वर्ष 2009-10 में चार राजनीतिक यात्रा कर नीतीश कुमार विपक्ष को साफ कर चुके हैं। इस बार उनकी कोशिश विपक्ष को एक बार फिर शांत कराने की होगी।

चंपारण से यात्रा की शुरुआत कर देंगे संदेश

हम अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने पिछले दिनों गुजरात में शराबबंदी के नियमों का जिक्र किया। उन्होंने देर रात में शराबबंदी और कोटा सिस्टम का भी जिक्र किया। इसके बाद बाद नीतीश कुमार ने 22 दिसंबर से चंपारण से समाज सुधार यात्रा की शुरुआत का निर्णय लिया है। चंपारण महात्मा गांधी की कर्मभूमि रही है। ऐसे में वे महात्मा गांधी के शराबबंदी से संबंधित बयानों का जिक्र करते हुए उन तमाम आलोचकों को जवाब देने का प्रयास करेंगे।

साथ ही, जीविका दीदी ने जिस प्रकार से शराबबंदी में बड़ी भूमिका निभाई। अब सीएम उनसे संवाद कर पूर्ण शराबबंदी के लिए आने वाले समय में अवैध शराब की सूचना देने वाले की भूमिका निभाने को कह सकते हैं। नीतीश ने उत्पाद एवं मद्यपान निषेध विभाग में के के पाठक जैसे अधिकारी की तैनाती कर अपना लक्ष्य साफ कर दिया है। सीएम इस यात्रा के दौरान बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी सरकार की नीतियों पर भी बात करेंगे।

चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो शुरू की यात्रा

वर्ष 2000 में महज 7 दिनों के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद आगे की रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी। फरवरी 2005 के चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। इस बार सबसे बड़ी पार्टी राजद 75 सीटों पर जीत दर्ज कर बनी थी। वहीं, जदयू के पाले में 55 सीटें आई। भाजपा 37 सीटों पर जीती। कांग्रेस को 10, भाकपा को 3, माकपा को 1, बसपा को 2, एनसीपी को 3, भाकपा माले को 7, सपा को 4 और निर्दलीय को 17 सीटों पर जीत मिली थी। तब सत्ता की चाबी यानी 29 सीटें जीतकर भी लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान स्थायी सरकार दिलाने में कामयाब नहीं हुए। ऐसे में नीतीश कुमार ने जनता के बीच न्याय यात्रा के जरिए पहली बार सीधा संवाद का निर्णय लिया। 12 जुलाई 2005 से शुरू हुई इस यात्रा ने नीतीश कुमार को प्रदेश में राजद विरोध का सबसे बड़ा चेहरा बना दिया।

साल 2009 में सबसे अधिक यात्राएं

नीतीश कुमार ने बतौर मुख्यमंत्री वर्ष 2009 में सबसे अधिक तीन बार यात्रा की। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव के लिए वे जमीन तैयार करने में कामयाब हुए। वर्ष 2010 में भी उन्होंने एक यात्रा की। करीब चार साल बाद 9 जनवरी 2009 से नीतीश कुमार ने विकास यात्रा की शुरुआत की। इस दौरान वे जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनते और ऑनस्पॉट निर्णय लेते। इसने उन्हें खूब लोकप्रिय बनाया। इसके बाद 17 जून 2009 से धन्यवाद यात्रा और 25 दिसंबर 2009 से प्रवास यात्रा की शुरुआत की। इन यात्राओं के जरिए उन्होंने जनता के बीच रहने वाले नेता की छवि बनाई। वहीं, 28 अप्रैल 2010 से विश्वास यात्रा के बाद हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें भारी सफलता मिली।

जदयू को इस चुनाव में 141 सीटों पर चुनाव लड़ी और 115 सीटें जीती। भाजपा ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा और 91 सीटों पर उसे जीत मिली। राजद ने 168 सीटों पर चुनाव लड़ा और पार्टी को महज 22 सीटों पर जीत मिली। 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए को 206 सीटों पर जीत दिलाने में यात्राओं का बड़ा योगदान रहा।

चुनावी जीत के बाद भी जारी रखी यात्राएं

नीतीश ने वर्ष 2010 के चुनाव में भारी सफलता के बाद यात्राओं का दौर जारी रखा। उन्होंने सेवा यात्रा की शुरुआत 9 नवंबर 2011 से की। इसके बाद 19 सितंबर 2012 से अधिकार यात्रा पर निकले। वर्ष 2013 में एनडीए से अलग होने के बाद उन्होंने 5 मार्च 2014 से संकल्प यात्रा की शुरुआत की और इसी साल 13 नवंबर से वे संपर्क यात्रा पर निकले। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद ये उनकी पहली यात्रा थी। इसके बाद निश्चय यात्रा की शुरुआत उन्होंने 9 नवंबर 2016 से की। उस समय वे महागठबंधन का हिस्सा थे। इसी यात्रा के बाद नीतीश के महागठबंधन से अलग होने की चर्चा शुरू हुई थी।

जुलाई 2017 में महागठबंधन से अलग होकर एनडीए की सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने विकास कार्यों की समीक्षा यात्रा की शुरुआत 12 दिसंबर 2017 की। वर्ष 2016 की यात्रा से उन्हें अधिक रिस्पाॉन्स इस यात्रा में मिला था। इसके बाद जल-जीवन-हरियाली यात्रा 3 दिसंबर 2019 से शुरू कर वे विधानसभा चुनाव 2020 से पहले आम लोगों की नब्ज टटोलने का प्रयास करते दिखे थे।

राजद ने भी शुरू की यात्रा की तैयारी

नीतीश कुमार की समाज सुधार यात्रा के बाद अब विपक्ष में भी हलचल है। पिछले दिनों हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान तेजस्वी यादव और लंबे समय बाद चुनावी मैदान में उतरे लालू प्रसाद यादव के पक्ष में भारी जनसैलाब उमड़ता दिखा था। हालांकि, दो सीटों पर हुए उपचुनाव का परिणाम जदयू के पक्ष में गया। इसके बाद से राजद की तरफ से बड़ा आयोजन अभी नहीं हुआ है। लेकिन, नीतीश कुमार के समाज परिवर्तन यात्रा के बाद माहौल न बदले, इसके लिए राजद ने भी तैयारी शुरू की है। विवाह के बाद पहली बार पार्टी कार्यालय पहुंचे विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का अभिनंदन हुआ। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि जल्द ही तेजस्वी भी प्रदेश में यात्रा पर निकलेंगे। इसे नीतीश कुमार की काट के रूप में देखा जा रहा है।



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