चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग यूं ही नहीं गए तिब्बत, इसमें भारत के लिए छिपा है इशारा!

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग यूं ही नहीं गए तिब्बत, इसमें भारत के लिए छिपा है इशारा!

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग यूं ही नहीं गए तिब्बत, इसमें भारत के लिए छिपा है इशारा!

नई दिल्ली
चीन के राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद पहली बार शी जिनपिंग गुरुवार को तिब्बत पहुंचे। चीनी राष्ट्रपति की यह यात्रा भारत के साथ तनाव के बीच काफी मायने रखती है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तिब्बत यात्रा कहीं न कहीं भारत के साथ सीमा पर सुरक्षा पर चीन की चिंताओं को दिखाती है, जहां दोनों देशों के बीच पिछले साल सैन्य संघर्ष हुआ था।

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दो दिन के इस दौरे पर शी जिनपिंग तिब्बत के कई इलाकों का दौरा किया। 2013 में चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार जिनपिंग तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) की राजधानी ल्हासा की यात्रा की। इससे पहले 2011 में उपराष्ट्रपति के रूप में तिब्बत का दौरा किया था।

कम समय में अपने सैनिकों को पहुंचा सकता है चीन
जानकारों की मानें तो चीनी राष्ट्रपति की तिब्बत यात्रा का मकसद भारत को यह संकेत देना भी हो सकता है कि शी जिनपिंग चीन के साथ भारत की सीमा पर तनाव के मुद्दे को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत – चीन की सीमा पर बसे उन इलाकों का भी शी जिनपिंग ने दौरा किया जहां कई साल बाद कोई चीनी नेता गया हो। शी जिनपिंग ल्हासा जाने से न्यिंग्ची रेलवे स्टेशन गए जिसको लेकर भारत के कूटनीतिक और सामरिक मामलों के हलकों में भी सुगबुगाहट है।

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ग्लोब्ल टाइम्स ने जिनपिंग की न्यिंग्ची यात्रा को ज्यादा महत्व दिया है। चीन के लिए भी यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से कुछ दूरी पर अरुणाचल की सीमा लगती है। रिटायर्ड मेजर जनरल और इंडिया फाउंडेशन के डायरेक्टर ध्रुव सी कटोच का कहना है कि शी जिनपिंग की ट्रेन से यात्रा काफी मायने रखती है। रेल लाइनों के निर्माण के साथ चेंगदू से ल्हासा की दूरी, जो कि स्थानीय सैन्य क्षेत्र का मुख्यालय है, घटकर मात्र 13 घंटे रह गई है। इससे चीन तिब्बत क्षेत्र में बहुत कम समय में बड़ी संख्या में सैनिकों को वहां पहुंचा सकता है।

भारत को क्या संदेश देने की कोशिश
रेडियो फ्री एशिया आरएफए से बात करते हुए रिटायर्ड कर्नल विनायक भट ने कहा कि शी जिनपिंग की कोंगपो की यात्रा और ट्रेन से ल्हासा की यात्रा भारत के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है। भट ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और न्यिंग्ची के बीच की दूरी केवल 160 किलोमीटर है, और मुझे लगता है कि उन्हें इस समय इन क्षेत्रों का दौरा करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद हैं। निश्चित तौर पर भारत के संदेश देने की कोशिश है।

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ताइवान-एशिया एक्सचेंज फाउंडेशन की सना हम्शी का कहना है कि भारत को तिब्बत में चीन के सैन्य निर्माण को करीब से देखना चाहिए। हम्शी ने कहा शी जिनपिंग ने न्यिंग्ची प्रान्त के हवाई अड्डे का दौरा किया, जो अरुणाचल प्रदेश के बहुत पास है। चीन इस इलाके मे भी तेजी से निर्माण कर रहा है। तिब्बत के अंदर और तिब्बत के लिए अन्य देशों के समर्थन को लेकर भी चीन बहुत चौकन्ना है।

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