जरा सी चूक गंवा देगी सारी कमाई ।

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अनजान फोन कॉल, ईमेल या मैसेज पर जरा सी चूक आपकी सारी कमाई गंवा सकती है । साइबर अपराधी इन माध्यमों को रास्ता बनाकर आसानी से बैंक खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड खाली कर देते है । ऐसे कई अपराधों के लगातार सामने आने पर भी लोग झांसे में आ रहे है। बैंको के पास ऐसी घटनाओ की रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं है और कानून के पास भी तत्काल उपचार नहीं है।

साइबर अपराध के विशेषज्ञों के अनुसार देश में साइबर अपराधों के ऐसे मामले तेज़ी से बढ़ रहे है, जिनमे लोगो ने जालसाजों के झांसे में आकर अपनी बैंकिंग संबंधी गोपनीय सूचनाएं देश में हर व्यक्ति को औसतन 22 अवांछनीय कॉल आती है, जिसमे साइबर ठगो की कॉल भी शामिल है।
एक अन्य सर्वे रिपोर्ट कहती है कि मेट्रो शहरो कि तुलना में छोटे शहरो और कस्बो के बैंक ग्राहकों को हैकरों ने ज्यादा निशाना बनाया है, जो स्मार्टफोन के साथ जागरूकता नहीं पहुंचने का अंजाम है।

एक ईमेल या मैसेज में वायरस भेजकर हैकर स्मार्टफोन में घुस जाते है और सारी जानकारी चुराकर आपकी कमाई पर धावा बोलते है। ऐसे में जरूरी है कि अनजान यूआरएल को स्मार्टफोन में या निजी सिस्टम पर न खोलें। अवांछनीय कॉल के जरिये साइबर अपराधी लोगो को आरबीआई या बैंक कर्मी बताकर झांसे में लेते है। कई लोग उन्हें अपने पिन, पासवर्ड आदि बता बैठते है, लेकिन जब तक उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है रकम एक खाते से दूसरे में जा चुकी होती है।

हर घंटे 88 हजार की चपत

वित्तीय साइबर अपराधों पर नजर डालें, तो तकनीक की आड़ में होने वाले जुर्म का दायरा बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक़ 2016-17 में 19 हजार के करीब, 2015 -16 में 16468 साइबर अपराध एटीएम, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के जरिये हुए।
2014 -15 में यह आंकड़ा 13083 और 2013 -14 में 9500 था। पिछले स्व तीन साल में 102 बैंको ने 88553 रूपये प्रति घंटे गंवाएं है। अप्रैल 2014 से इस साल के 30 जून तक 46612 मामलो में 252 करोड़ का नुक्सान हुआ।

आरबीआई दिशा-निर्देश
आरबीआई के दिशा-निर्देश के मुताबिक़ ग्राहक की लापरवाही से इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में हुई धोखाधड़ी की सुचना बैंक को देना होगा, अन्यथा ग्राहक को ही पूरा नुक्सान उठाना पड़ेगा। पुलिस ऐसे मामलो को भारतीय धनद संहिता की धरा 420 में दर्ज करती है।

ऑनलाइन लेनदेन बढ़ने से चुनौती और बढ़ी
देश में मई 2017 तक मोबाइल का प्रयोग करने वाली संख्या 108 करोड़ तक पहुंच गयी है। इतनी ही तादाद बैंक खातों की है, जबक इंटरनेट बैंकिंग का प्रयोग करने वाले करीब 50 करोड़ लोग है। इतना ही नहीं प्रति माह 134 करोड़ और सालाना 805 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन होते है। बड़ी तादाद में उपभोक्ताओं के होने की वजह से साइबर अपराध के प्रति सरकार के जागरूकता अभियान असफल साबित हुए है ।

सतर्कता ही है समाधान
साइबर विशेषज्ञ रामानुज पांडेय ने कहा कि ‘सतर्कता से ही इस अपराध से बचा जा सकता है । अनजान फोन, ईमेल या एसएमएस के पीछे हैकर छुपे है। बड़ी तादाद में लोग नहीं जानते है। आरबीआई ने बैंको को निर्देश दिया है कि वे ग्रहको को सूचित करे कि वे किसी को भी बैंकिंग से जुडी जानकारी न दे। बैंक ग्राहकों को जागरूक भी कर रहे है, लेकिन मामले बढ़े है। ऐसे में इन अपराधों पर लगाम लगाने में समय लगेगा।

  • रखे यह सावधानियां
    चाहे कोई भी आपके पास कॉल करके बैंक संबंधी जानकारी मांगे। उसे कोई जानकारी न दे, क्योंकि बैंक इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मांगता।
  • बैंकिंग सबंधी सूचना लेने के लिए आने वाली फोन कॉल करने वाले से ज्यादा बात नहीं करे।
  • बैंक में जिस मोबाइल नंबर का पंजीयन कराया है उस नंबर को हमेशा अपने पास रखे। परिजनों को नहीं सौंपे।
  • खाते, एटीएम, क्रेडिट, डेबिट कार्ड और बैंक के अन्य दस्तावेज की जानकारी अपने जानकार को न दे।
  • मोबाइल पर इनाम सबंधी भर्मित करने वाले कॉल के चक्कर में न फंसें।