जाने क्या है यूपी में खून का काला कारोबार

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यूपी में अपराध का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है. शहर में खून का काला कारोबार धडल्ले से चल रहा है. एक ऐसा गिरोह है जो शहर में इस तरह के कारोबार को चला रहा है. जो जरूरमंदों से पैसे वसूलकर खून को बेचने का काम करता है.

अपराधी बिना डोनर के ब्लड ग्रुप बताकर खून को धडल्ले से बेचने का काम कर रहा है. इस गिरोह का नेटवर्क कुछ लैब से कई अस्पतालों तक है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि अपने नशे का शौक पूरा करने के लिए कुछ लोग अपना खून बेच रहें है. दलाल 700 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक में खून खरीदकर उसे जरूरतमंदों को ढाई से तीन हजार रुपये में बेच रहे हैं.

बता दें कि इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब संभल जिला निवासी हर्ष अलीगढ़ से 13 नवंबर को गाजियाबाद रेलवे जंक्शन पर उतरे और उसके बाद उन्होंने राकेश मार्ग के लिए रिक्शा किया. रिक्शा में बैठने के बाद उन्होंने एक व्यक्ति को फोन मिलाया और कहा हेलो. सर मैं खून के लिए काफी परेशान हो चुका हूं. अस्पताल में भर्ती बहन को खून की जरूरत है और मेरे पास पैसे भी नहीं हैं. गाजियाबाद में अपने रिश्तेदार से रुपये लूंगा. तब कहीं से व्यवस्था करूंगा.

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इसी दौरान जिस रिक्शे में हर्ष बैठा हुआ था. वहीं अचानक ही रिक्शा चालक ने कहा कि साहब खून के लिए परेशान मत हो. मैं दो जगह से खून की व्यवस्था करा सकता हूं. रिक्शा चालक ने दो लोगों को कॉल किया और उन्हें रेलवे स्टेशन के पास बुला लिया. बाइक पर आए दो युवकों ने कहा कि तीन हजार रुपये में एक यूनिट मिल जाएगा. आप जरूरतमंद मरीज का ब्लड ग्रुप बता दीजिए. जो ग़्रुप होगा आपको उसी का खून मिल जाएगा.

ये अपराधी रिक्शा चालक ऑटो चालक और कुछ युवाओं के संपर्क में रहते हैं. जिन लोगों के पास नशे का शौक पूरा करने के लिए पैसे नहीं होते हैं. उनका 700 से 1000 रुपये में खून खरीदते हैं. उनको किसी भी लैब में ले जाकर उनका खून निकालकर बेच देते है.

वहीं दूसरी और उस रिक्शा चालक ने दो यूनिट खून 6 हजार रुपये में दिलवा दिया. नाम पूछने पर उसने अपना नाम और मोबाइल नंबर हर्ष को नहीं बताया. खून का यह खेल केवल लैब तक ही सीमित नहीं है. यह गिरोह काफी बड़ा है. फिलहाल इस मामले में डाक्ट का कहना है कि इस तरह के मामले हमारे संज्ञान में नहीं है. यदि कोई शिकायत मिलती है, तो वह ड्रग विभाग ही इन पर कार्रवाई कर सकता है.

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इस बारे में ड्रग इंस्पेक्टर ने कहा है कि सरकारी ब्लड बैंक में पर्याप्त खून की व्यवस्था है. ब्लड बैंक के निरीक्षण के दौरान रक्तदाता का मोबाइल नंबर और आधार कार्ड देखते हैं. कुछ लोगों से फोन पर बात करके जानकारी लेते हैं. अब इस तरह की घटना अफवाह रह गई हैं. यदि फिर भी ऐसा हो रहा है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी.