कोर्ट ने कहा- इस वजह से वंदे मातरम को राष्ट्रगान का दर्जा नहीं दे सकते

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राष्ट्रगीत का दर्जा प्राप्त वंदे मातरम को देश के राष्ट्रगान का दर्जा देने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिका में मांग की गई थी कि राष्ट्रगीत को आजतक जन-गण-मन के बराबर दर्जा नहीं मिला है, लिहाजा अदालत को इस मसले में दखल देना चाहिए।

वंदे मातरम को राष्ट्रगान का दर्जा दिलाने की मांग करने वाली को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया। वहीं, इससे पहले 2017 में  राष्ट्रगीत की अनिवार्यता के विषय पर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 51 (A) यानी मौलिक कर्तव्य के तहत सिर्फ जन-गण-मन और राष्ट्रीय ध्वज का उल्लेख है, इसलिए वंदे मातरम को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है। अब हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान भी की थी।

High Court 1 -

भारतीय जनता पार्टी के नेता व वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका कोर्ट में दायर थी। कोर्ट में दायर याचिका में उन्होंने मांग कि सभी स्कूलों में वंदे मातरम को राष्ट्रगान के तौर पर बजाया जाना चाहिए। साथ ही इसको लेकर नेशनल पॉलिसी बनाने की मांग भी की गई है।

वहीं, मजहबी संगठन राष्ट्रगीत की अनिवार्यता को लेकर विरोध करते रहे हैं। उनका कहना है कि वंदे मातरम में देश को माता के तौर पर दिखाया गया है, जिसकी उनके मजहब में इजाजत नहीं है। इसलिए इसे किसी आदेश के तौर पर नहीं थोपा जा सकता है।

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