15 -20 मिनट रुक कर चली हर स्टेशन पर मेट्रो।

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15 -20 मिनट रुक कर चली हर स्टेशन पर मेट्रो।

मेट्रो की सर्विस तीन घंटे तक बाधित होने के कारण लगभग डेढ़ लाख यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जिसकी वजह से केवल मेट्रो में ही नहीं दिल्ली कि सड़को पर भी लोगो को जाम के कारण परेशानी उठानी पड़ी। इंटरचेंज स्टेशनो पर प्रवेश व निकास द्वार खुले रहने से मेट्रो स्टेशनो पर भी भरी भीड़ जमा रही।

पटेल नगर
द्वारका से नॉएडा व वैशाली जाने वाली मेट्रो कि रफ़्तार पटेल नगर आते आते धीरे हो गई। स्टेशन पर कुछ सेकंड का ठहराव बढ़ता चला गया। दस मिनट से ज्यादा तक स्टेशन ओर मेट्रो में कोई घोषणा नहीं हुई । फिर यात्रिओ को बताया गया कि तकनीकी खराबी के कारण यात्रा में विलम्भ होगा। करीब 44 मिनट तक मेट्रो वहाँ ही फसी रही और उसके बाद भी बहुत धीमी रफ़्तार में आगे बढ़ी। आगे भी हर स्टेशन पर 15 -20 मिनट का ठहराव रहा। करीब एक घंटे का रास्ता जैसे तैसे चार घंटे में पूरा हुआ।

कीर्ति नगर
कीर्ति नगर मेट्रो स्टेशन जहां लोग ग्रीन लाइन से चेंज करके ब्लू लाइन लेते हैं वहां भी भारी भीड़ रही। लोग मेट्रो स्टेशन में बढ़ते जा रहे थे पर मेट्रो नहीं आ रही थी। लगभग 25 मिनट के इंतजार के बाद वहाँ मेट्रो आई। भरी भीड़ में जैसे तैसे लोग धक्का मुक्की करके मेट्रो में सवार हुए।

राजीव चौक
मेट्रो में विलम्भ के चलते राजीव चौक पर हज़ारो लोगो की भीड़ जमा हो गई। दोनों तरफ से मेट्रो लग भाग बीस से पचीस मिनट के बाद आ रही थी। ऐसे में मेट्रो पर सवार होना भी लोगो के लिए मुश्किल हो रहा था। पूरे स्टेशन पर लोगो की भीड़ दिखाई दे रही थी। सैंकड़ो यात्री तो भीड़ देख कर ही बहार निकल गए।

यमुना बैंक
पटेल नगर से चलने के बाद यमुना बैंक तक प्रत्येक स्टेशन पर करीब दस से बारह मिनट रुक कर ही मेट्रो आगे बढ़ रही थी। इस दौरान मेट्रो में कई बार यात्री एक दुसरे से जूझते दिखाई दिए। इसी दौरान कई महिलाओं ने परेशानी कि भी शिकायत दर्ज की। इसी कारण, यमुना बैंक पर आने वाली मेट्रो पचीस से तीस मिनट देर से आ रही थी।

चील की वजह से हुआ था शार्ट सर्किट
ये सभी परेशानियों का कारण एक चील रही। गड़बड़ी की सूचना मिलते ही अधिकारी मौके पर पहुंचे । वहां उन्होंने एक चील को मृत हालत में पाया। कहा जा रहा है कि उसकी मौत करंट लगने से हुई है। चील के वहाँ बैठने से शार्ट सर्किट हुआ और दो स्टेशनो के बीच जाने वाला तार टूट गया । गड़बड़ी का पता चलते ही तुरंत इसकी मरम्मत के लिए विशेषज्ञों को लगाया गया। मरम्मत कर तार बदलने में लगभग दो घंटे से ज्यादा का समय लगा। ब्लू लाइन मेट्रो का लगभग 95 % हिस्सा खुला हुआ है, यही कारण है कि इसके ख़राब होने की खबरें अक्सर सामने आती हैं। एक तरफ जहां मेट्रो व ट्रैक पर लगे उपकरणों पर मौसम का सीधा असर पड़ता है। वही, पक्षियों के तार पर बैठने के कारण भी अक्सर सेवा में बढ़ा आ जाती है ।