Delhi Omicron News : दिल्ली में 74% कोविड मौतों की वजह लाइलाइज बीमारियां, 76% ने नहीं ली थी वैक्सीन डोज

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Delhi Omicron News : दिल्ली में 74% कोविड मौतों की वजह लाइलाइज बीमारियां, 76% ने नहीं ली थी वैक्सीन डोज

हाइलाइट्स

  • दिल्ली में 5 से 10 प्रतिशत मरीजों को ही अस्पताल जाने की जरूरत
  • 1 से 10 जनवरी तक 70 मरीजों की मौत हुई जो 5 महीनों की कुल मौतों से ज्यादा है
  • 5 से 9 जनवरी के बीच हुईं 46 मौतों में अकेले रविवार को 17 मौतें हुई थीं

नई दिल्ली
ओमीक्रोन वेरियेंट ने फिर से सख्तियां बरतने पर मजबूर तो कर दिया है, लेकिन इन पाबंदियों से जल्द ही छुटकारा मिलने की उम्मीद भी जगने लगी है। वजह कोरोना वायरस के इस नए वेरियेंट के कमजोर असर का होना है। डेल्टा के मुकाबले ओमीक्रोन संक्रमित करने के मामले में तो काफी तेज है, लेकिन इसकी मारक क्षमता बहुत कमजोर है। यही वजह है कि नए मरीजों की बढ़ती संख्या के मुकाबले अस्पताल में भर्ती होने और जान गंवाने वाले मरीजों की संख्या बहुत कम होती है। यही कारण है कि सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत मरीजों को ही अस्पताल जाने की जरूरत पड़ रही है, बाकी मरीज होम आइसोलेशन में ही ठीक हो रहे हैं।

10 दिन बनाम पांच महीने
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस वर्ष के पहले 10 दिनों यानी 1 से 10 जनवरी के बीच 70 लोगों की मौत हुई है जो पिछले वर्ष के आखिरी पांच महीनों में हुई कुल मौतों से ज्यादा ही है। वहीं, 5 से 9 जनवरी के बीच जिन 46 कोविड मरीजों ने जान गंवाई, उनमें करीब 74% पहले से ही गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे और उनमें सिर्फ 24% ने ही कोरोना वैक्सीन की डोज ले रखी थी।

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क्यों हो रही हैं मौतें?

दिल्ली में 5 जनवरी को आठ कोविड मरीजों की मौत हुई थी। तब से रविवार, 9 जनवरी तक हुईं कुल 46 मौतों में अकेले रविवार को 17 मौतें हुई थीं। इन 46 में 28 पुरुष और 18 महिलाएं थीं। इन पांच दिनों में जिन 46 कोविड मरीजों ने दम तोड़ा, उनमें 25 (54.3%) की उम्र 60 वर्ष या उससे ज्यादा थी जबकि 14 लोग 41 से 60 वर्ष और सिर्फ पांच लोग 21 से 40 वर्ष के थे। इनमें एक 16 से 20 वर्ष का नौजवान था जबकि एक 15 साल से कम उम्र का किशोर।

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ये हैं मौतों की बड़ी वजह
इन 37 मरीजों में ऑक्सिजन सेचुरेशन लेवल 94% से कम था। दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 21 मरीज अस्पताल में भर्ती के बाद वायरस से संक्रमित हुए थे। मरने वाले ज्यादातर मरीज तीन से सात दिनों से अस्पताल में थे, हालांकि 12 मरीजों की मौत भर्ती होने के दिन ही हो गई। 46 में से 34 मरीज अन्य बीमारियों से ग्रस्त थे। मतलब कि कोविड मरीजों की मौत मुख्यतः दो कारणों से हुई। एक तो ज्यादा उम्र होने या पहले से लाइलाज बीमारियों के कारण और दूसरे कोरोना वैक्सीन नहीं लेने के कारण। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मरने वाले 35 (76%) मरीजों ने कोविड वैक्सीन नहीं लगवाई थी।

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समझें अब तक का पैटर्न

अकेले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के ट्रॉमा सेंटर में पिछले एक सप्ताह में 12 मरीजों की मौत हो गई। ट्रामा सेंटर को कोविड मरीजों के लिए समर्पित कर दिया गया है। यहां के एक सीनियर डॉक्टर ने कहा, ‘मुझे मरने वाले एक-एक व्यक्ति का डीटेल तो पता नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि महामारी के गंभीर लक्षण ज्यादातर उन्हीं लोगों में दिख रहे हैं जो पहले से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित और इलाजरत हैं।’ उन्होंने बताया, ‘कुछ मरीज जो कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद मर गए, वो हमारे अस्पताल में दूसरी हेल्थ इमर्जेंसीज के कारण भर्ती हुए थे।’

फोर्टिस हेल्थकेयर के एक सीनियर ऑफिसर ने कहा कि 1 से 9 जनवरी के बीच 22 मौतें हुईं। उन्होंने कहा, ‘पहले से ही लाइलाज बीमारियों से पीड़ित और वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लेने वाले ज्यादा खतरे में हैं। अमेरिका, यूरोप का भी हाल यही है।’ कुछ डॉक्टरों का कहना है कि दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरियेंट अभी हमारे बीच से पूरी तरह गया नहीं है। ताजा लहर में भी जिनमें गंभीर लक्षण देखे जा रहे हैं, संभव है कि वो डेल्टा वेरियेंट से संक्रमित हुए हों।

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दिल्ली में कोरोना से मौतें बढ़ीं (सांकेतिक तस्वीर)

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