Delhi Pollution: दिल्ली में ट्रांसपोर्ट बढ़ रहा प्रदूषण, लेकिन गाड़ियों पर सारी प्लानिंग हो रही है फेल
हाइलाइट्स
- अब भी प्रदूषण में ट्रांसपोर्ट की हिस्सेदारी 15 से 20 प्रतिशत तक बनी हुई है
- ना ऑड-ईवन, ना स्टिकर और ना ही कंजेशन चार्ज की योजना लागू हो पाई
- स्कूल बंद होने से प्राइवेट गाड़ियों के ट्रिप कम होने से मिलेगी मामूली राहत
नई दिल्ली: प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह दिल्ली में ट्रांसपोर्ट ही है। अब भी प्रदूषण में ट्रांसपोर्ट की हिस्सेदारी 15 से 20 प्रतिशत तक की बनी हुई है। इसके बावजूद प्राइवेट गाड़ियों की संख्या और ट्रिप को कंट्रोल करने की ज्यादातर प्लानिंग कागजों तक ही सीमित है।
प्राइवेट गाड़ियों पर रोक लगाने के लिए ऑड-ईवन, ईंधन के हिसाब से गाड़ियों पर रोक लगाना और अधिक जाम वाली मुख्य सड़कों पर कंजेशन चार्ज लगाने की योजनाएं लागू नहीं हो सकी हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी इसमें सभी बड़ी अड़चन बन रही है। कोरोना के समय में यह समस्या और अधिक दिख रही है। अभी भी मेट्रो, बसों और लोकल ट्रेनों में कई तरह की पाबंदियां हैं। लोगों को सस्ते विकल्प दिए बिना इन स्कीमों को लागू करना मुश्किलें बढ़ा सकता है।
एक्सपर्ट के अनुसार, इस समय प्राइवेट स्कूलों की बसें नहीं चल रही हैं। इससे मामूली राहत मिलेगी। सीईईडब्ल्यू की प्रोग्राम लीड तनुश्री गांगुली के अनुसार एक हफ्ते का आकलन बता रहा है कि सुबह प्रदूषण का स्तर अधिक होता है। इसी समय स्टूडेंट स्कूल के लिए निकलते हैं। गुरुवार सुबह भी पीएम 2.5 का स्तर 300 एमजीसीएम से अधिक रहा। हालांकि स्कूलों को बंद करना प्रदूषण की समस्या का स्थाई समाधान नहीं है, लेकिन इससे बच्चों को प्रदूषण में बाहर निकलने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा इंडस्ट्रियों और रिटेल आपरेशन को भी कम करने के विकल्प ढूंढने चाहिए।
Sansad में नितिन गडकरी ने बताया कि दिल्ली से बाकी शहरों तक कितना समय लगेगा
कैसे कम होंगी कम गाड़ियां
ऑड-ईवन: राजधानी में इसे 3 बार लागू किया गया है। इसमें दोपहिया को छूट दी गई, महिलाओं को छूट दी गई। ऐसे में इसका असर कम हुआ। एक्सपर्ट के अनुसार, इस समय जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी कोरोना पाबंदियों से काफी अधिक है। लोगों को विकल्प दिए बिना इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि इस समय राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी को कुछ कम करने के लिए पर्यावरण सेवा के तहत बसें चलाई जा रही हैं।
ईंधन के हिसाब से गाड़ियों पर रोक: दिल्ली एनसीआर में रजिस्टर्ड गाड़ियों पर ब्लू, ग्रीन और ऑरेंज स्टीकर उनके ईधन के हिसाब से लगाने की योजना चल रही है। लेकिन स्टिकर लगाने की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि इसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। स्टिकर का मकसद है कि जब प्रदूषण गंभीर स्थिति में पहुंच जाए तो डीजल की गाड़ियों पर रोक लगाई जा सकें और उनकी पहचान स्टिकर से हो जाए।
कंजेशन चार्ज: यह योजना भी कागजों तक सीमित है। इस योजना के तहत कुछ प्रमुख सड़कों और जाम वाली सड़कों पर आने के लिए गाड़ियों को कंजेशन चार्ज देना होगा। इस चार्ज का इस्तेमाल प्रदूषण को कम करने वाली योजनाओं में किया जाना है। चार्ज की वजह से गाड़ियों की संख्या इन रास्तों पर कम होने का अनुमान है।
दिल्ली में प्रदूषण
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हाइलाइट्स
- अब भी प्रदूषण में ट्रांसपोर्ट की हिस्सेदारी 15 से 20 प्रतिशत तक बनी हुई है
- ना ऑड-ईवन, ना स्टिकर और ना ही कंजेशन चार्ज की योजना लागू हो पाई
- स्कूल बंद होने से प्राइवेट गाड़ियों के ट्रिप कम होने से मिलेगी मामूली राहत
प्राइवेट गाड़ियों पर रोक लगाने के लिए ऑड-ईवन, ईंधन के हिसाब से गाड़ियों पर रोक लगाना और अधिक जाम वाली मुख्य सड़कों पर कंजेशन चार्ज लगाने की योजनाएं लागू नहीं हो सकी हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी इसमें सभी बड़ी अड़चन बन रही है। कोरोना के समय में यह समस्या और अधिक दिख रही है। अभी भी मेट्रो, बसों और लोकल ट्रेनों में कई तरह की पाबंदियां हैं। लोगों को सस्ते विकल्प दिए बिना इन स्कीमों को लागू करना मुश्किलें बढ़ा सकता है।
एक्सपर्ट के अनुसार, इस समय प्राइवेट स्कूलों की बसें नहीं चल रही हैं। इससे मामूली राहत मिलेगी। सीईईडब्ल्यू की प्रोग्राम लीड तनुश्री गांगुली के अनुसार एक हफ्ते का आकलन बता रहा है कि सुबह प्रदूषण का स्तर अधिक होता है। इसी समय स्टूडेंट स्कूल के लिए निकलते हैं। गुरुवार सुबह भी पीएम 2.5 का स्तर 300 एमजीसीएम से अधिक रहा। हालांकि स्कूलों को बंद करना प्रदूषण की समस्या का स्थाई समाधान नहीं है, लेकिन इससे बच्चों को प्रदूषण में बाहर निकलने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा इंडस्ट्रियों और रिटेल आपरेशन को भी कम करने के विकल्प ढूंढने चाहिए।
Sansad में नितिन गडकरी ने बताया कि दिल्ली से बाकी शहरों तक कितना समय लगेगा
कैसे कम होंगी कम गाड़ियां
ऑड-ईवन: राजधानी में इसे 3 बार लागू किया गया है। इसमें दोपहिया को छूट दी गई, महिलाओं को छूट दी गई। ऐसे में इसका असर कम हुआ। एक्सपर्ट के अनुसार, इस समय जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी कोरोना पाबंदियों से काफी अधिक है। लोगों को विकल्प दिए बिना इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि इस समय राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी को कुछ कम करने के लिए पर्यावरण सेवा के तहत बसें चलाई जा रही हैं।
ईंधन के हिसाब से गाड़ियों पर रोक: दिल्ली एनसीआर में रजिस्टर्ड गाड़ियों पर ब्लू, ग्रीन और ऑरेंज स्टीकर उनके ईधन के हिसाब से लगाने की योजना चल रही है। लेकिन स्टिकर लगाने की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि इसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। स्टिकर का मकसद है कि जब प्रदूषण गंभीर स्थिति में पहुंच जाए तो डीजल की गाड़ियों पर रोक लगाई जा सकें और उनकी पहचान स्टिकर से हो जाए।
कंजेशन चार्ज: यह योजना भी कागजों तक सीमित है। इस योजना के तहत कुछ प्रमुख सड़कों और जाम वाली सड़कों पर आने के लिए गाड़ियों को कंजेशन चार्ज देना होगा। इस चार्ज का इस्तेमाल प्रदूषण को कम करने वाली योजनाओं में किया जाना है। चार्ज की वजह से गाड़ियों की संख्या इन रास्तों पर कम होने का अनुमान है।
दिल्ली में प्रदूषण