क्या राजीव गांधी ने किसानों पर गोली चलवाई थी ?

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राजीव गांधी
राजीव गांधी

केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों पर किसानों द्वारा किया जा रहा विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. जिसके बाद दिल्ली के चारों तरफ सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई. इसके साथ ही दिल्ली के चारों तरफ प्रशासन द्वारा किलें भी लगाई गई. जिसके बाद सरकार पर किसान आंदोलन पर सख्ती दिखाने के आरोप भी लगें हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि किसान आंदोलन पर सरकार द्वारा दिखाई गई यह अभूतपूर्व है. इससे पहले भी किसान आंदोलनों को सरकार द्वारा कुचलने की पूरी कोशिश की जाती रही है.

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महेंद्र सिंह टिकैत

ऐसा ही बड़ें स्तर पर किसान आंदोलन पहले भी हुआ था. जब किसानों ने दिल्ली में प्रदर्शन किया था. उस समय किसान आंदोलन का नेतृत्व महेंद्र सिंह टिकैत कर रहे थे. उस समय भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे, जो 1984 से 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. बता दें कि 25 अक्टूबर 1988 को किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन के लोग अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में बोट क्लब पर रैली करने वाली थे. किसान बिजली, सिंचाई की दरें घटाने और फसल के उचित मूल्य सहित 35 सूत्री मांगों को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में दिल्ली आ रहे थे, उनको दिल्ली के लोनी बॉर्डर पर पुलिस प्रशासन के द्वारा बल पूर्वक रोकने की कोशिश की गई.

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राजीव गांधी

किसान नहीं रुके पुलिस ने लोनी बॉर्डर पर फायरिंग की और दो किसानों की जान चली गई. पुलिस की गोली लगने से कुटबी के राजेंद्र सिंह और टिटौली के भूप सिंह की मौत हो गई थी. इसके बावजूद किसान दिल्ली पहुंचे थे.   

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हालांकि इस समय सप्ताह भर से ज्यादा तक किसानों ने राजपथ को अपने कब्जे में रखा था. आखिरकार सरकार को किसानों के आगे नतमस्तक होना पड़ा. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के किसानों के 35 मांगों पर फैसला लेने के आश्वासन देने के बाद वोट क्लब का धरना 31 अक्टूबर 1988 को खत्म हुआ.