भारत में ऐसे बहुत से लोग है जो हृदय की बीमारियों का शिकार बन जाते है। अगर इससे गंभीरता से नहीं लिया गया और इसका इलाज समय रहते नहीं किया गया तो इसके काफी घातक परिणाम हो सकते है और यह आपकी जान जाने का भी कारण बना सकता है। अगर आप भी हृदय से जोड़ी बीमारी जैसे कार्डियक अरेस्ट या हार्टअटैक से ग्रसित है तो आपको सावधान रहने की जरूरत है और लगतार डॉक्टर से सलाह लेते रहे। आपके मन में यह सवाल उठता होगा की आखिर कार्डियक अरेस्ट या हार्टअटैक में क्या अंतर है। तो चलिए हम आपको विस्तार से इस विषय के बारे में बताते है। सबसे पहले बात करते है कार्डियक अरेस्ट के बारे में-
कार्डियक अरेस्ट के दौरान हृदय में खून का संचार बंद हो जाता है। इतना ही नहीं कार्डियक अरेस्ट में अचानक से हृदय की गति थम जाती है और ऐसी स्थिति में मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। यह दिल की ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग व सभी अंगों में रक्त का फ्लो बिल्कुल बंद हो जाता है। इसके वजह से हार्ट में इलेक्ट्रिकल डिसटर्बेंस से पंपिंग कार्य रुक जाता है, इसके कारण इंसान कुछ पलों के भीतर बेहोश हो जाता है। यहाँ तक की इंसान कोमा में भी जा सकता है। अगर सही वक्त पर सही इलाज न मिले तो कार्डिएक अरेस्ट के कुछ सेकेंड या मिनटों में इंसान की मौत भी हो सकती है।
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अगर हार्टअटैक आता है तो ऐसे में अचानक ही हृदय की किसी मांसपेशी में खून का संचार रुक जाता है। बाकि अंगो में खून का संचार होता है लेकिन हार्ट में रुक जाता है। हार्ट अटैक तब आता है जब कोरोनरी आर्टिरी में थक्का जमने की वजह से दिल की मांसपेशियों तक खून जाने के रास्ते में रूकावट पैदा होती है।इसमें छाती में तेज दर्द महसूस होता है। दिल को नुकसान पहुंचा जाता है। इसमें दिल शरीर के बाकी हिस्सों में खून पहुंचाना जारी रखता है और मरीज होश में रह सकता है। लेकिन जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है, उसे कार्डिएक अरेस्ट का खतरे की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।