बक्सर के डीएम ने की खुदखुशी

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बक्सर के डीएम ने की खुदखुशी
बक्सर के डीएम ने की खुदखुशी

न जाने क्यों लोग अपनी जिंदगी को मौत के गले लगा देते है? जिंदगी से पीछ छुड़ाकर भाग जाना, ये कहाँ की बहादुरी है? देशभर में सुसाइड जैसे मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे है। ऐसा ही एक मामला बिहार से आया है। यहाँ सुसाइड करने वाला कोई आम इंसान नहीं है, बल्कि समाज का एक जिम्मेदार नागरिक है। तो चलिए बताते है कि किसने किया सुसाइड और क्यों किया सुसाइड?

देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य बिहार के बक्सर इलाकें डीएम ने सुसाइड कर ली। जी हाँ, बक्सर के डीएम ने बीती शाम गाजियाबाद स्टेशन पर ट्रेन के सामने सुसाइड कर लिया।

आपको बता दें कि बक्सर के डीएम और 2012 बैच के आईएएस मुकेश पांडे ने गुरुवार शाम गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से कटकर सुसाइड कर लिया। साथ ही सुसाइड से पहले डीएम ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को व्‍हाट्सएप के जरिए इसकी सूचना दी थी। सूचना मिलने के बाद डीएम के दोस्त उन्हें दिल्ली पुलिस की मदद से दिल्ली के मॉल में खोज रहे थे, लेकिन उन्होंने गाजियाबाद में सुसाइड कर लिया।
आपको यह भी बता दें कि देर रात घटनास्थल पर पहुंची डीएम मुकेश की पत्नी, सास, ससुर और साला का रो-रोके बुरा हाल हो गया था। शुरूआती तब्दीश में सुसाइड का कारण पारिवारिक विवाद बताया जा रहा है, फिलहाल पुलिस मामलें की जांच में जुटी हुई है।

गाजियाबाद के डीएम मिनिस्ती एस का कहना है कि गुरुवार को सुबह ही डीएम मुकेश पांडे दिल्ली पहुंचे थे, वे यहां लीला होटल में ठहरे थे। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस से जानकारी मिली है कि डीएम मुकेश ने पहले लीला पैलेस होटल के बालकनी से कूदकर सुसाइड करने का प्रयास किया था, हालांकि लोगों ने उन्हें रोक लिया था। वहीं मौत की खबर सुनकर डीएम के ससुर ने रोते हुए कहा कि अगर पता होता कि दामाद इतना कायर है, तो उससे कभी बेटी की शादी नहीं करते। डीएम के ससुर और उनके परिवार वालों को इस बात का गहरा सदमा लगा। साथ ही डीएम की पत्नी का तो रो-रो के बुरा हाल हो गया है।

आत्महत्या करना किसी भी परेशानी का कोई हल नहीं है, खासकर जब समाज का कोई जिम्मेदार नागरिक ऐसे कोई कदम उठाता है, तो लोग उसे कायर कहते है, लेकिन दोस्तों आत्महत्या करना किसी समस्या का कोई समाधान नहीं है, आत्महत्या से समस्याएं बढ़ जाती है। बहरहाल, मामले की तब्दीश पुलिस कर रही है, लेकिन दोस्तों जिंदगी सिर्फ एक बार मिलती है, उसे जीना चाहिए न कि उससे हार माननी चाहिए।