क्या आप जानते है मोनालिसा की मुस्कान है करोड़ो में

1966
monalisa
क्या आप जानते है मोनालिसा की मुस्कान है करोड़ो में

मोनालिसा, लिओनार्दो दा विंची के द्वारा बनाई गई एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है. यह चित्र एक विचारमग्न स्त्री का चित्र है, जो अत्यन्त हल्की मुस्कान लिये हुए हैं. यह संसार की सम्भवत: सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग है, जो पेंटिंग और दृष्य कला का पर्याय मानी जाती है.

ऐसा कहा जाता है कि इतालवी चित्रकार लियोनार्दो दा विंची ने मोना लीजा नामक यह तस्वीर 1503 से 1506 के बीच बनाई थी. इस तस्वीर को फ्लोरेंस के एक गुमनाम से व्यापारी फ्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो’ की पत्नी ‘लीज़ा घेरार्दिनी’ को देखकर बनाई गई.

सम्प्रति यह छवि फ्रांस के लूविरे संग्रहालय में रखी हुई है. संग्रहालय के इस क्षेत्र में 16वीं शताब्दी की से चित्र बनाई हुई रखी है. इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि मनोलिसा की असल पेंटिंग केवल 21 इंच लंबी और 30 इंच चौड़ी है. तस्वीर के बचाए रखे के लिए यह एक खास किस्म के शीशे के पीछे रखी गई है, जो न तो चमकता है और न ही ट्टता है.

आज हम आपको मोनालिसा की पेंटिंग के बारे में कुछ ऐसे विशेष कारण बता रहें है. वैसे देखा जाये तो इसके कई कारण है, कुछ तकनिकी जो की कला आलोचकों एवं कला समीकक्षों के लिए है और कुछ आम दर्शकों के लिए भी है.

65ujytukiulo -

“मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान”, वह मुस्कान जिसने सालों से कला शोधकर्ताओं को भी उलझाए रखा है, किताबों से लेकर दस्तावेज़ी फिल्मों तक. ऐसा क्या है इस मुस्कान में, इसका सही सही वर्गीकरण होगा, नखरे की मुस्कराहट जिसमें एक राज छुपा है और वो राज खुद का नहीं है जिसे वह देख रही है, दर्शकों का है. इस एक मुस्कान से दा विंची ने दर्शक को निष्क्रिय तत्षष्ट दर्शक से सक्रिय लिप्त पात्र बना दिया.

इसी के साथ आपको यह बता दें कि यह तस्वीर किसी औरत की नहीं बल्कि दा विंची की आत्म चित्र है. इसी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक डीएनए नमूना जुटाने को लेकर फ्लोरेंस के एक मकबरे की खुदाई कर मोनालिसा की पहचान का रहस्य सुलझाने की दिशा में और करीब पहुंच गए हैं, जिनकी मुस्कान आज भी एक पहेली बनी हुई है. मकबरे में लीजा गेरारदीनी के परिवार के सदस्य दफन हैं. लीजा एक रेशम व्यापारी की पत्नी है.

यह भी पढ़ें : कुरुक्षेत्र को महाभारत युद्ध के लिए क्यों चुना गया ?

जिस मकबरे की बात की गई है उसमें मौजूद हड्डियों से एकत्र डीएनए के नमूने की तुलना उन तीन महिलाओं के अस्थि कंकालों से की जाएगी, जिन्हें पिछले साल पास के एक स्थान पर
ऐसा कहा जाता है कि लीजा अपने पति की मौत के बाद नन बन गई थीं, उनकी 63 साल की उम्र में 15 जुलाई 1542 में मौत हो गई थी.