तो क्या कपिल सिब्बल नही चाहते हैं कि बने राम मंदिर

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कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अयोध्या के राम मंदिर विवाद पर एक नया बयान दिया है जिससे राजनैतिक गलियारे में खलबली मच गयी है।

करीब 164 साल पुराने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार से आखिरी सुनवाई शुरू कर दी है। सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा, “जब कभी भी इस मामले की सुनवाई होगी, इसका गंभीर प्रभाव कोर्ट के बाहर भी पड़ेगा। लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए मैं अदालत से पर्सनली रिक्वेस्ट करता हूं कि इस मामले पर जुलाई 2019 (आम चुनाव) के बाद सुनवाई हो।” इस केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के 7 साल बाद यह सुनवाई हो रही है।

कपिल सिब्बल का ये बयान इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्यूंकी बुधवार 6 दिसम्बर को विवादित ढांचा गिराए जाने के 25 साल भी पूरे हो जाएंगे।

 

raam mandir 1 -

इसके लिए चीफ जस्टिस की अगुआई में दो मजहबों के 3 जजों की स्पेशल बेंच बनाई गई है। आइये आपको इन जजों के बारे में कुछ खास बाते बताते हैं।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 3 तलाक खत्म करने और सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने जैसा फैसला सुना चुके हैं।

जस्टिस अब्दुल नाजिर भी तीन तलाक बेंच में थे। उन्होने इस प्रथा में कोर्ट के दखल को गलत बताया था और प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट करार दिया था।

जस्टिस अशोक भूषण दिल्ली सरकार और एलजी के बीच जारी अधिकारों की जंग के विवाद पर सुनवाई कर रहे हैं।

 

अयोध्या विवाद के इस मामले में 7 साल से पेंडिंग पड़ी 20 पिटीशन्स इस साल 11 अगस्त को पहली बार लिस्ट हुई थीं। सुनवाई के पहले ही दिन कागजातों के अनुवाद पर मामला फंस गया था और खासा विवाद सामने आया था। कोर्ट ने संस्कृत, पाली, फारसी, उर्दू और अरबी समेत 7 भाषाओं में 9 हजार पन्नों का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन करने के लिए 12 हफ्ते का वक्त दिया था। इसके अलावा 90 हजार पेज में गवाहियां दर्ज हैं। यूपी सरकार ने खुद 15 हजार पन्नों के दस्तावेज जमा कराए हैं।

 

केस से जुड़ी कुछ खास और अहम जानकारियाँ

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। अदालत ने रामलला की मूर्ति वाली जगह पर रामलला विराजमान को दी। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को और बाकी हिस्सा मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था।
  • हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड 14 दिसंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। फिर एक के बाद एक 20 पिटीशन्स दाखिल हो गईं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया, लेकिन सुनवाई शुरू नहीं हुई। इस दौरान 7 चीफ जस्टिस बदले। सातवें चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने इस साल 11 अगस्त को पहली बार पिटीशन्स लिस्ट की।
  • मंगलवार दोपहर 2 बजे कोर्ट नं. 1 में 3 जजों की स्पेशल बेंच ने सुनवाई शुरू की। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के करियर का यह सबसे बड़ा केस है। अगले साल 2 अक्टूबर को वह रिटायर होंगे। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन हैं। रामलला का पक्ष हरीश साल्वे रख रहे हैं।
  • कोर्ट ये देख रही है कि कागजातों का अनुवाद पूरा हुआ है या नहीं। अनुवाद नहीं होने पर पेंच फंस सकता है, लेकिन अदालत कह चुकी है कि अब सुनवाई नहीं टलेगी। 5 दिसंबर से दलीलें सुनी जाएंगी। सबसे पहले ओरिजनल टाइटल सूट दाखिल करने वाले दलीलें रखेंगे। फिर बाकी अर्जियों पर बात होगी।
  • इस मामले से जुड़ी एक खास बात ये है कि हाल ही में मुस्लिमों के एक गुट ने उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बैनर तले कोर्ट में एक मसौदा पेश किया था। इस मसौदे के मुताबिक, विवादित जगह पर राम मंदिर बनाया जाए और मस्जिद लखनऊ में बनाई जाए। इस मस्जिद का नाम राजा या शासक के नाम पर रखने के बजाए मस्जिद-ए-अमन रखने की बात हुई थी।