2019 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए, VVPAT मशीनों को गर्मी से बचाने का चुनाव आयोग ने बनाया प्लान

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नई दिल्ली: हाल ही में कुछ जिलों में चुनाव हुए जिसमें वीवीपैट मशीनों की खराबी को लेकर काफी विवाद देखने को मिला. इस तकनीकी खराबी की वजह से मतदान की प्रक्रिया को वापिस करवाया गया. कुछ समय में 2019 के लोकसभा चुनाव होने वाले है इसको लेकर जहां एक तरफ पार्टियां जीतने के सारे हथकंडे अपना रही है, वहीं कोई भी पार्टी यह नहीं चाहेगी की इस चीज की समस्या आगामी चुनाव में देखने को मिले.

आने वाले 2019 के चुनाव में VVPAT मशीनों को गर्मी से बचाने के लिए चुनाव आयोग खास इंतजाम कर रहें है. अब सभी वीवीपैट मशीनों में एक इन-बिल्ट हुड होगा जिसमें  मशीनें अत्यधिक प्रकाश या गर्मी की वजह से बच सकेगी.

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इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, कुछ समय पहले गोंदिया और कैराना में हुए उपचुनाव के उपरांत वीवीपैट मशीनों की तकनीकी खराबी की वजह से विपक्षी पार्टी द्वारा इस पर कड़ी आलोचना देखने को मिली जिसके कारण चुनाव आयोग को यह बड़ा कदम उठाना पड़ा.

उत्तर प्रदेश के कैराना और महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट के उपचुनाव के दौरान वीवीपैट मशीनों में गड़बड़ी आई थी, जिसका कारण मुख्य वजह अत्यधिक धूप बताई गई थी. इस मसले पर आयोग की प्राथमिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, खराबी का शिकार हुई वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीनों के दो पुर्जों (कॉन्ट्रास्ट सेंसर और लेंथ सेंसर) में गड़बड़ी के चलते मतदान को रोका गया था.

जांच की रिपोर्ट में पता लगा कि यह तकनीकी खराबी उन मतदान केंद्रों पर पाए गए जहां मशीनें अत्यधिक धूप में रखी गई थीं. जिसके वजह से चुनाव आयोग की तकनीकी समिति ने इन मशीनों में खामी को देखते हुए इन पर आपत्ति जताई थी. इस मामले को वीवीपैट मैन्युफैक्चरर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) के ऊपर सवाल उठाया गया था.

इसके बाद आयोग ने यह निर्णय लिया की मशीनों में एक हुड लगाया जाये जिससे वे लाइट और धूप के संपर्क में ना आये. मैन्युफैक्चरर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने इस प्रकार की मशीनों के निर्माण भी शुरू का दिया है. ईसीआईएल ने भी अपनी मशीनों में ऐसे हुड लगाने शुरू कर दिए हैं. वहीं पुरानी वीवीपैट मशीनों पर भी एक हुड लगाए जाएंगे. जानकारी के मुताबिक, चुनाव आयोग ने 2019 के चुनाव को पूरी तरफ से वीवीपैट मशीनों के आधार पर करने का निर्णय लिया है. इस पर चुनाव आयोग ने करीब 3,000 करोड़ रुपये की मांग की थी. इस पर कैबिनेट ने इन मशीनों के लिए फंड देने का ऐलान किया है. देश में कुल 16 लाख ईवीएम मशीनें लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल होती हैं और इतनी ही वीवीपैट मशीनें चाहिए.

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क्या है वीवीपैट (VVPAT)

बता दें कि वीवीपैट (VVPAT) एक प्रिंट मशीन है. जिसको हम वोटर वैरिफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल के नाम सी भी जानते है. यह ईवीएम की बैलेट यूनिट से जुड़ी होती है. ये मशीन बैलेट यूनिट के साथ उस जगह रखी जाती है जहां मतदाता गुप्त मतदान करता है. वोट डालने के बाद वीवीपैट से एक पर्ची निकलती है जिसमें उस पार्टी और उम्मीदवार की जानकारी होती है जिसे मतदाता ने वोट डाला.