दाँव-पेंच – चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम कार्ड की एंट्री

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महाराष्ट्र में एक रैली को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने भाजपा के सबसे पुराने दाँव को फिर से खेल दिया. उनका बयान था कि इतिहास में कोई हिन्दू आतंकवादी नही हो सकता है. और “हिन्दू आतंकवाद” शब्द का प्रयोग कांग्रेस ने किया है. अब मुद्दे की बात पर आते हैं.

मुद्दे की बात ये है कि आखिर अचानक से चुनाव हिन्दू-मुस्लिम की तरफ क्यों मोड़ा जा रहा है? सारे ज़रूरी मुद्दे ग़ायब क्यों किया जा रहा है? ऐसे बहुत से सवाल हैं जो ज़हन में उठना ज़रूरी है और अगर ऐसे सवाल नहीं उठते हैं तो फिर आपकी रूह कहीं मर गयी है.

Unemployment -

देश में बेरोज़गारी के आंकड़े चिंताजनक हैं, सरकारी आंकड़े किसी सूरत में बाहर आ नहीं पा रहे हैं, आखिर ऐसी क्या वजह है कि हम चुनाव में नौकरियों पर बात नही कर रहे? हमारे देश में सबसे अधिक युवा हैं या आने वाले दिनों में हो जायेंगे. लेकिन असल में हर साल नौकरियां देने का वादा जाने किस कूड़े के ढेर में पड़ा धूल खा रहा है.

वैसे सत्ता की चाह में हिन्दू-मुस्लिम कार्ड खेलना कोई नई बात नही है, इसके पहले भी अलग-अलग पार्टियों ने अलग-अलग समय पर इसका इस्तेमाल भरपूर किया है. अभी क्यूँ इसका इस्तेमाल किया जा रहा है और फिर इस हिन्दू आतंकवाद के नाम पर वोट माँगा जा रहा है, ये समझना बेहद ज़रूरी है.

असल में जब आपके पास चुनाव में रिपोर्ट कार्ड में दिखने के लिए कुछ विशेष न हो तब आप मुद्दे से भटकाने की चाह रखेंगे ही. अब शिक्षा व्यवस्था, नौकरियां, तमाम संस्थाओं का गर्त में जाना आदि जैसे कोई मुद्दा है ही नही. एक विशेष पार्टी की आईटीसेल आपको आंकड़ो के नाम पर कुछ ऐसा परोस देगी जो की आपकी मानसिक भूख को पूरा करेगा और आप इन सब मुद्दों को भूल ही जायेंगे.

वैसे भी भारत की पहचान सर्वे भवन्तु सुखिनः से होती है न कि आपस में लड़ने से. हमारे देश में हिदू, मुस्लिम, इसाई, पारसी सब साथ में रहते हैं. गंगा-जमुनी तहजीब को भूल जाना शायद अपने मूल को भूलना होगा. हम सिर्फ मतदाता ही नही, एक मस्तिष्क पूर्ण मनुष्य भी है , जो सोच-समझ कर प्रतिक्रिया भी दे सकता है.

Dirty Politics -

इस चुनाव में आप इस खेल को समझिये. चुनाव लोकतंत्र का त्यौहार है, और आपका अधिकार भी. इसका इस्तेमाल कीजिये और सही इस्तेमाल कीजिये. जाते-जाते ये शेर, जिसका शायर नामालूम है, लेकिन मालूम पड़ता है कि इसको ऐसे ही मौको के लिए लिखा गया है.

नफरत फैला रहे हैं ये मज़हब के नाम पर,

सत्ता के भूखे लोगों से मज़हब बचाइए…