Nagpur News: ‘उन्हें आवारा या कुत्ता कहते अच्छा नहीं लगता’…रोज 150 स्ट्रीट डॉग्स को चिकन बिरयानी खिलाते हैं नागपुर के ज्योतिषी

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Nagpur News: ‘उन्हें आवारा या कुत्ता कहते अच्छा नहीं लगता’…रोज 150 स्ट्रीट डॉग्स को चिकन बिरयानी खिलाते हैं नागपुर के ज्योतिषी

Nagpur News: ‘उन्हें आवारा या कुत्ता कहते अच्छा नहीं लगता’…रोज 150 स्ट्रीट डॉग्स को चिकन बिरयानी खिलाते हैं नागपुर के ज्योतिषी

हाइलाइट्स:

  • नागपुर के रहने वाले ज्योतिषी रंजीत नाथ लगभग 150 आवारा कुत्तों को रोज स्वादिष्ट खाना खिलाते हैं
  • जब से महामारी आई है, 58 वर्षीय ज्योतिषी हर रोज 35 किलो बिरयानी पकाते हैं और कुत्तों को खिलाते हैं
  • रंजीत कहते हैं, ‘मुझे उन्हें आवारा या कुत्ता कहते हुए अच्छा नहीं लगता। मैं उन्हें अपने बच्चे मानता हूं’

नागपुर
आप जब भी नागपुर में ग्रॉसरी शॉपिंग के लिए जाएं तो आवारा कुत्तों को बिरयानी खाते देख हैरान न होइएगा। राज्य में कोविड प्रतिबंधों के चलते जहां समाज के एक वर्ग को दिन में एक वक्त का खाना भी मुश्किल से नसीब हो रहा है, नागपुर के रहने वाले ज्योतिषी रंजीत नाथ जिन्हें लोग रंजीत दादा बुलाते हैं, लगभग 150 आवारा कुत्तों को रोज स्वादिष्ट खाना खिलाते हैं।

जब से महामारी आई है, 58 वर्षीय ज्योतिषी हर रोज 35 किलो बिरयानी पकाते आए हैं। रंजीत के साथ जुड़े राहुल मोटवानी बताते हैं, ‘वह पिछले कुछ सालों से ऐसा कर रहे हैं लेकिन महामारी के शुरू होते ही उन्होंने इसे और बढ़ा लिया। उन्हें आवारा कुत्ते पसंद हैं और वह इन्हें अपने बच्चे बुलाते हैं।’

दिन में बिरयानी बनाते, शाम को खिलाते
रंजीत कहते हैं, ‘मुझे उन्हें आवारा या कुत्ता कहते हुए अच्छा नहीं लगता। मैं उन्हें अपने बच्चे मानता हूं।’ उनका दिन बिरयानी की तैयारियों से शुरू होता है। वह दिन में बिरयानी बनाना शुरू करते हैं और शाम करीब बजे अपनी बाइक से आवारा जानवरों को खिलाने निकल जाते हैं।

बिल्लियों को भी खिलाते हैं बिरयानी

रंजीत बताते हैं, ‘मेरी 10-12 फिक्स लोकेशन हैं और मेरे बच्चे उन्हें जानते हैं। जिस पल वे मुझे देखते हैं, मेरे पीछे दौड़ने लगते हैं।’ रंजीत खाली डब्बा लेकर आधी रात को घर पहुंचते हैं। वह हफ्तों के सातों दिन कुत्तों को खाना खिलाते हैं। रंजीत बताते हैं, ‘मैं किसी के साथ भेदभाव नहीं करता हूं। मैं बिल्लियों को भी खिलाता हूं लेकिन क्योंकि बिरयानी में मीट होता है इसलिए मैं गायों को नहीं खिलाता।’

अब लोग कर रहे हैं डोनेट
इस चिकन बिरयानी में कम मीट और हड्डी अधिक होती है। रंजीत बताते हैं, ‘मुझे चिकन का हड्डी वाला भाग सस्ते दाम में मिल जाता है जिससे मैं अधिक कुत्तों को खिला पाता हूं।’ पिछले महीने तक अधिकतर खर्चा उनकी जेब से ही होता था। पिछले कुछ दिनों से रंजीत को उन लोगों से डोनेशन मिल रहा है जिनके पास आवारा जानवरों को खिलाने के लिए पर्याप्त समय नहीं है। मोटवानी ने बताया, ‘एक फूड ब्लॉगर ने रंजीत का वीडियो शूट करके अपलोड किया था जिसके बाद उन्हें डोनेशन मिलना शुरू हुआ।’

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