गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों और वोटो की गिनती अभी जारी है. अब तक की खबर के अनुसार एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती हुई दिख रही है. अगर बीजेपी की सरकार बन जाती है तो ये छठी बार होगा कि राज्य में उसकी सरकार होगी. चुनाव प्रचार से लेकर आज वोटों की गिनती के दिन भी विपक्षी पार्टियां ईवीएम पर सवाल उठा रही हैं. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने गिनती से पहले भी ईवीएम पर सवाल उठाए थे. लेकिन क्या सच में ईवीएम की नीयत पर सवाल उठाया जा सकता है? क्या ईवीएम में की जा सकती है गड़बड़ी? देखते हैं इस मुद्दे पर बाक़ी दुनिया की क्या राय है!
इस तरह काम करता है ईवीएम
ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलट यूनिट और एक 5 मीटर की केबल होती है. इस मशीन को 6 वोल्ट की बैटरी से भी चलाया जा सकता है. मतदाता को अपनी पसंद के उम्मीदवार के आगे दिया बटन दबाना होता है और एक वोट लेते ही मशीन लॉक हो जाती है. इसके बाद मशीन सिर्फ नए बैलट नंबर से ही खुलती है. ईवीएम में एक मिनट में सिर्फ 5 वोट दिए जा सकते हैं.
ईवीएम मशीनें बैलट बॉक्स से ज्यादा आसान थीं. उनका भंडारण (स्टोरेज), गणना आदि सब कुछ ज्यादा बेहतर था इसलिए इनका इस्तेमाल शुरू हुआ. तक़रीबन 15 सालों से ईवीएम मशीने भारतीय चुनावों का हिस्सा बनी हुई है. मगर कहा जाता है कि ये मशीनें काफी असुरक्षित भी होती हैं.
ये हैं ईवीएम के खतरे-
* दुनिया कई देशों में ये पाया गया है कि ईवीएम मशीनें हैक की जा सकती हैं.
* इसके अलावा ईवीएम मशीनों द्वारा वोटर की पूरी जानकारी भी निकाली जा सकती है.
* इलेक्शन के परिणामों को भी बदला जा सकता है.
* ईवीएम मशीन आंतरिक तौर पर किसी इंसान द्वारा भी बदली जा सकती है. इसके आंकड़ो को इतना सटीक नहीं कहा जा सकता.
ईवीएम से पीछा छुड़ा चुके हैं ये देश:
* पारदर्शिता ना होने के कारण नीदरलैंड ने अपने देश में ईवीएम पर रोक लगा दी थी.
* आयरलैंड ने 3 साल की रिसर्च पर 51 मिलियन पाउंड खर्च करने के बाद भी सुरक्षा और पारदर्शिता का कारण देकर ईवीएम पर रोक लगा दी थी.
* जर्मनी ने कहा था कि ईवोटिंग असंवैधानिक है, क्योंकि इसमें पारदर्शिता नहीं है.
* इटली ने भी इस कारण ही ईवोटिंग को खारिज कर दिया था क्योंकि इसके नतीजों को आसानी से बदला जा सकता है.
* यूएस- कैलिफोर्निया तथा अन्य राज्यों ने ईवीएम को बिना पेपर ट्रेल के बैन कर दिया था.
* सीआईए के सिक्योरिटी एक्सपर्ट मिस्टर स्टीगल के अनुसार वेनेज्यूएला, मैसिडोनिया और यूक्रेन में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीने (ईवीएम) कई तरह की गड़बड़ियों के कारण इस्तेमाल होनी बंद हो गई थीं.
* इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों ने तो ईवीएम का उपयोग ही नहीं किया है.