Exclusive Interview: अखिलेश यादव से कोई नाराजगी नहीं, अब सब ठीक है, मैं चुनाव लड़वाऊंगा: इमरान मसूद

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Exclusive Interview: अखिलेश यादव से कोई नाराजगी नहीं, अब सब ठीक है, मैं चुनाव लड़वाऊंगा: इमरान मसूद

लखनऊ: गांधी परिवार तक सीधी पहुंच रखने वाले सहारनपुर के इमरान मसूद (Imran Masood) ने हाथ का साथ छोड़ कर साइकल थामी। एसपी पहुंचे तो वहां नाराजगी की बात आई। टिकट पर बात नहीं बनी। कहा गया कि वह बसपा जा सकते हैं। इस बीच गुरुवार को वह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से फिर मिले। दावा है कि अब सब ठीक है। इमरान के करीबी रागिब अंजुम को सहारनपुर का सपा जिलाध्यक्ष बना दिया गया है। यूपी के माहौल पर इमरान कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) सही कह रहे हैं कि यूपी की लड़ाई 80-20 की है। बस वह गिन गलत रहे हैं। वह 20 में हैं। इमरान से विस्तार से बात की रोहित मिश्र ने। पेश हैं प्रमुख अंश –

आपकी सपा से नाराजगी की बात आ रही थी। क्या हुआ था?
कुछ नहीं। कुछ लोगों ने फूट डालने की कोशिश की थी। अब सब ठीक है। मैं चुनाव लड़वाऊंगा।

और आपके टिकट की बात?
मैं तो अपनी बात करके आया ही नहीं था। मैं तो मसूद अख्तर के लिए टिकट मांग रहा था, लेकिन गुंजाइश नहीं बन रही। बड़ी लड़ाई में ऐसा होता है। कोई बात नहीं।

कांग्रेस से सपा में जाने का फैसला एक रोज में तो हुआ नहीं होगा?
मैं शुरुआत से ही चाह रहा था कि यूपी में कांग्रेस-सपा में समझौता हो जाए। यहां की लड़ाई भाजपा बनाम सपा है। किसी और पार्टी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। मेरे लिए कांग्रेस छोड़ना मुश्किल फैसला था। राहुल और प्रियंका गांधी ने मुझे बहुत सम्मान दिया, लेकिन फिलहाल प्रदेश को भाजपा से बचाने के लिए यह निर्णय लेना जरूरी था।

कांग्रेस को सशक्त करने की कवायद में क्या कमी रही, कभी आगाह नहीं किया नेतृत्व को?
बहुत सारी चीजें हैं, मैं उन पर चर्चा नहीं करना चाहता। मैं अब छोड़कर आ गया तो उन बातों के मायने नहीं रहे।
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चुनाव दो दलों के बीच होने की वजह?
भाजपा के कारनामे इस तरह के हैं कि यह पूरी लड़ाई दो दलों की हो गई। किसान की खेती खराब हो गई। व्यापारी परेशान हैं। युवा बेरोजगार हैं। कानून व्यवस्था चरमरा गई है। योगीजी सही कह रहे हैं कि प्रदेश की जनता 80-20 का चुनाव कर रही है। बस वह गिन गलत रहे हैं, वह 20 में हैं। उनकी सरकार में प्रदेश की 80 प्रतिशत से ज्यादा जनता पीड़ित है।

आपका नाम आते ही पोलराइजेशन शुरू हो जाता है। क्या इसका असर पश्चिम यूपी के चुनाव पर पड़ेगा?
मैंने बार-बार उन शब्दों के लिए माफी मांगी है, जो मेरे यहां आम बोलचाल के शब्द हैं। क्या भाजपा वाले उन शब्दों की माफी मांगेंगे जो उन्होंने कहे? उन्होंने तो उन लोगों को भी अपने साथ बैठा लिया, जिन्होंने भगवान के लिए पार्लियामेंट में उल्टा-सीधा कहा था।
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आपको लगता है कि जाट एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ जाएगा?
जाट ही क्यों, सभी लोग। सभी परेशान हैं। मैं बस इतना कह सकता हूं कि पिछली बार भाजपा ने 111 में 88 सीटें जीती थीं। इस बार 10 भी नहीं जीतेगी।

चुनाव डिजिटल मोड में जा रहा है। इसका सपा को फायदा होगा या नुकसान?
नुकसान। यह सब भाजपा के इशारे पर हो रहा है।

आपका एक समर्थक भाजपा में चला गया। भाई बसपा में है। आप सपा में। क्या कहेंगे?
भाई मुझसे नाराज है। मैं उसे चुनाव लड़ने के लिए मना कर रहा था, लेकिन वह लड़ा। वह इस कदर नाराज है कि मेरे यहां बेटी की शादी में भी नहीं आया। लेकिन वह नासमझी में नाराज है। रही बात नरेश भाई की तो वह तो मेरे साथ आ रहे थे।

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