Explainer: नौकरी और इकनॉमी पर अभी भी घनघोर निराशा, जानिए कैसे पता करते हैं कंज्यूमर कॉन्फिडेंस

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Explainer: नौकरी और इकनॉमी पर अभी भी घनघोर निराशा, जानिए कैसे पता करते हैं कंज्यूमर कॉन्फिडेंस

नई दिल्ली
भारत में उपभोक्ता विश्वास (Consumer Confidence) अब भी कोविड-पूर्व के स्तर (Pre-Covid Level) पर नहीं लौट पाया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक अध्ययन में कहा गया है कि महामारी की लगातार आई लहरों ने उपभोक्ता विश्वास को बुरी तरह से प्रभावित किया है। यह मई, 2021 में दूसरी लहर के चरम पर रहते समय 48.5 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया था। आरबीआई का कहना है कि अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की सात बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी महामारी से प्रभावित रही हैं, लेकिन इसका सबसे अधिक असर भारत पर पड़ा है।

रिजर्व बैंक के बुलेटिन ‘कोविड-19 महामारी का उपभोक्ता विश्वास पर प्रभाव’ में कहा गया है कि ज्यादातर देशों में उपभोक्ता विश्वास में एक बड़ी गिरावट देखी गई। धीरे-धीरे विश्वास फिर बढ़ना शुरू हुआ। हालांकि, अधिकांश देशों में उपभोक्ता भरोसा अभी भी महामारी-पूर्व के स्तर पर नहीं लौट पाया है।

कैसे पता करते हैं कंज्यूमर कॉन्फिडेंस
कंज्यूमर कॉन्फिडेंस पता करने के लिए उपभोक्ता विश्वास सूचकांक (सीसीआई) का सहारा लिया जाता है। उपभोक्ता विश्वास सूचकांक (सीसीआई) एक सर्वेक्षण है, जो इंगित करता है कि उपभोक्ता अपनी अपेक्षित वित्तीय स्थिति के बारे में कितने आशावादी या निराशावादी हैं। यदि उपभोक्ता आशावादी हैं तो खर्च अधिक होगा, लेकिन यदि वे इतने आश्वस्त नहीं हैं तो उनका खराब उपभोग पैटर्न, मंदी का कारण बन सकता है।

कौन कराता है यह सर्वे
भारत में भारतीय रिजर्व बैंक जून 2010 से नियमित रूप से कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे करा रहा है। यह हर दो माह पर होता है। इस सर्वेक्षण में परिवारों से सामान्य आर्थिक परिस्थितियों, रोजगार परिदृश्य, मूल्य स्तर, परिवारों की आय और व्‍यय पर उनके मनोभाव के संबंध में गुणात्‍मक प्रतिक्रिया ली जाती है। यह सर्वेक्षण नियमित रूप से 13 शहरों- अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना और तिरुवनंतपुरम में कराया जाता है। इस सर्वेक्षण में 13 शहरों के 5000 से ज्यादा प्रतिक्रियादाताओं को शामिल किया जाता है। सर्वेक्षण के परिणाम नीति-निर्माण के लिए उपयोगी सूचना उपलब्ध कराते हैं।

कैसे होता है सर्वे

भारतीय रिजर्व बैंक किसी एजेंसी को सर्वे की जिम्मेदारी सौंपता है। वह एजेंसी परिवारों से संपर्क करती है और चयनित परिवारों से अपनी प्रतिक्रिया देने का अनुरोध किया जाता है। अन्‍य ऐसे व्‍यक्ति, जिनसे एजेंसी ने संपर्क नहीं किया हो वे भी कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे में भाग ले सकते हैं। इसके लिए आरबीआई एक लिंक उपलब्ध कराता है, जिस पर एक फॉर्म रहता है। इस फॉर्म को डाउनलोड करके भरने के बाद दिए गए ई-मेल एड्रेस पर भेजा जा सकता है।

यह सर्वे इस तरह से किया जाता है कि उपभोक्ताओं की खरीद, बिक्री और किसी वस्तु या सेवा को खरीदने को लेकर उनकी आर्थिक स्थिति के पैमाने का डेटा तैयार किया जा सके। अगर किसी को लगता है कि उनकी जॉब चली जाएगी तो इसका अर्थ ये भी निकाला जा सकता है कि अर्थव्यवस्था को लेकर उनका आत्मविश्वास कमजोर है। साथ ही यह इस बात का संकेत भी है कि भविष्य में वो किसी भी नई चीज खरीदने से अधिक बचत करने पर ध्यान देंगे।

आर्थिक विकास की कुंजी है सीसीआई
कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स आर्थिक विकास की कुंजी है क्योंकि जब लोग वर्तमान आर्थिक स्थिति और अपनी वित्तीय स्थितियों के बारे में आश्वस्त महसूस करते हैं तो खपत बढ़ जाती है। भारत जैसे देश में खपत, सकल घरेलू उत्पाद के 60-70% को प्रभावित करती है। यही कारण है कि विकास की संभावनाओं में अंतर्दृष्टि दिखाते हुए, अर्थव्यवस्था में सीसीआई की महत्वपूर्ण भूमिका है। कंज्यूमर सेंटीमेंट, हाउसहोल्ड्स की वर्तमान भावनाओं और आर्थिक स्थितियों को लेकर भविष्य की अपेक्षाओं का संकेतक है, जिस पर बारीकी से नजर रखी जाती है।

टीकाकरण में तेजी पुनरुद्धार में कर सकती है मदद

consumer confidence

सर्वे के इंडीकेटर्स में कोविड की वजह से लगाए गए प्रतिबंधों के चलते हाउसहोल्ड इनकम सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। कम आय का प्रभाव सामान्य आर्थिक स्थिति और रोजगार को लेकर कंज्यूमर्स की धारणों पर दिखा है। आरबीआई ने अपने मासिक बुलेटिन में कहा है कि कोविड टीकाकरण में तेजी पुनरुद्धार में मदद कर सकती है। लेकिन महामारी की बार-बार आने वाली लहरों से दीर्घावधि में उपभोक्ता विश्वास पर असर पड़ सकता है। खासकर व्यापार और रोजगार स्थितियों से जुड़ी अनिश्चितताओं के चलते उपभोक्ता विश्वासा डगमगा सकता है।

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